दलित महिला की कब्र जेसीबी से खोदी, ट्रैक्टर में डाली और कहा - अपने घर में गाड़ दो
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दलित महिला की कब्र जेसीबी से खोदी, ट्रैक्टर में डाली और कहा - अपने घर में गाड़ दो

बाड़मेर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर रामसर का कुआ ग्राम पंचायत में ढाढ़ी समाज से आने वाली 90 वर्षीय अणसी देवी का 27 जून को निधन हुआ था. जिसके बाद परिजनों और समाज के लोगों ने गांव के ही सार्वजनिक श्मशान घाट की चार दिवारी के पास उसको दफना दिया था.

दलित महिला की कब्र जेसीबी से खोदी, ट्रैक्टर में डाली और कहा - अपने घर में गाड़ दो

Barmer : दबंगों से गरीब इंसान जिंदगी भर दो प्रताड़ित होता ही है लेकिन मरने के बाद भी शव को दफनाने के लिए 2 गज जमीन भी नसीब नहीं होने देते हैं। ऐसा ही एक बुजुर्ग महिला की मौत के बाद उसके शव के साथ मानवीय व्यवहार हुआ। महिला के शव को दफनाने के 3 दिन बाद गांव के दबंगों ने परिवार पर दबाव डालकर शव को जेसीबी से खोद कर मिट्टी सहित ट्रैक्टर में भरवा दिया और फरमान सुना दिया क्या अपने घर में ले जाकर इसे गाड़ दो।

बाड़मेर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर रामसर का कुआ ग्राम पंचायत में ढाढ़ी समाज से आने वाली 90 वर्षीय अणसी देवी का 27 जून को निधन हुआ था. जिसके बाद परिजनों और समाज के लोगों ने गांव के ही सार्वजनिक श्मशान घाट की चार दिवारी के पास उसको दफना दिया था.

यह बात गांव के दबंगों को नागवार गुजरी और उन्होंने उस परिवार के लोगों को धमका कर ये फरमान सुना दिया कि आप इस गांव को कब्र से निकालकर वापस अपने घर ले जाओं नहीं तो आपका हुक्का पानी बंद कर देंगे. 3 दिन तक चले इस मामले में पीड़ित परिवार ने प्रशासन को भी इसकी सूचना दी थी लेकिन  प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की और गुरुवार शाम को गांव के दबंगों ने जेसीबी मशीन से कब्र खोदकर मिट्टी सहित शव को एक ट्रैक्टर में लोड करवा दिया.

इस दौरान दबंगों ने पीड़ित परिवार को कहा कि अब अपने घर में ले जाकर इसे गाड़ दो. इस पूरे मामले की बाड़मेर जिले के मुखिया जिला कलेक्टर लोक बंधु और उपखंड अधिकारी समुद्र सिंह भाटी को भी सूचना देने के बावजूद भी गरीबों की एक भी नहीं सुनी गयी. कोई कार्रवाई नहीं की गयी. जिसके बाद देर रात अणसी देवी के परिवार वालों ने शव का अपने खेत में ही वापस अंतिम संस्कार किया.

अणसी देवी, अपनी पूरी जिंदगी गांव के लोगों के घरों में बच्चे होने या फिर शादियों समारोह में ढोल बजाकर और गाने गाकर, लोगों की खुशियां दोगुनीकर देती थी लेकिन गांव के दबंगों ने अणसी देवी की मौत के बाद उसके शव को गांव के सार्वजनिक श्मशान घाट की मिट्टी भी नसीब नहीं होने दी.

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