इलाज के बहाने पैसा कमाने का फंडा! किराए पर दिए गए सरकारी वेटिंलेटर, MP ने की जांच की मांग
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इलाज के बहाने पैसा कमाने का फंडा! किराए पर दिए गए सरकारी वेटिंलेटर, MP ने की जांच की मांग

Bharatpur News: जिलाधिकारी ने कहा कि 20 वेंटिलेटर उपयोग में नहीं आ रहे थे क्योंकि अस्पताल में ऑक्सीजन पॉइंट की कमी है, इसलिए 10 को निजी अस्पतालों को किराए पर दिया गया है.

सरकारी पैसे से खरीदे वेंटिलेटर को किराए पर देकर वसूला जा रहा रकम. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Bharatpur: भरतपुर में इन दिनों कोरोना महामारी अपने पैर पसारता जा रहा है. सरकारी अस्पतालों में मरीजों को सही इलाज नहीं मिल रहा. इलाज के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ जिला आरबीएम अस्पताल, प्राइवेट अस्पतालों को सुविधा देने में लगा हुआ है.

RBM अस्पताल की तरफ से 10 वेंटिलेटर 2 हजार रुपए प्रति दिन के हिसाब से एक प्राइवेट अस्पताल को किराए पर दिए हैं और उन्हीं वेंटिलेटर से वही प्राइवेट अस्पताल प्रति दिन 20 से 40 हजार या उससे ज्यादा वसूल रहे हैं. अब इस मामले में भरतपुर सांसद रंजीता कोली ने सवाल उठाते हुए कहा है कि वह जिला अस्पताल से पीएम केयर फंड के वेंटीलेटर को लेकर लगातार पूछ रही हैं. लेकिन अस्पताल प्रशासन जानकारी छुपा रहा है. साथ ही, एक निजी अस्पताल संचालक को वेंटीलेटर देकर प्राइवेट अस्पताल संचालक लोगों से 40 से 50 हजार रुपए प्रतिदिन इन वेंटीलेटर के मरीजों से वसूल रहा है.

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मामले में सांसद कोली ने जिले के दोनो मंत्रियों पर भी सवाल उठाते हुए प्राइवेट अस्पताल संचालक को राजनेतिक़ सरक्षण देने का आरोप लगाया है और सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) से मामले की जांच की मांग की है. वहीं, जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता का कहना है कि आरबीएम अस्पताल में इस समय 60 वेंटिलेटर हैं, जिसमें से 20 कोरोना वार्ड में लगे हैं और 20 वेंटिलेटर सामान्य मरीजों के लिए ICU वार्ड में लागये हुए हैं.

उन्होंने कहा कि 20 वेंटिलेटर उपयोग में नहीं आ रहे थे क्योंकि अस्पताल में ऑक्सीजन पॉइंट की कमी है, इसलिए सभी प्राइवेट अस्पतालों को बताया गया कि अगर आपको वेंटिलेटर की आवश्यकता है तो वे 60 हजार रुपए प्रति माह के हिसाब से वेंटिलेटर किराए पर ले सकते हैं, जिसके बाद एक प्राइवेट अस्पताल को 10 वेंटिलेटर किराए पर दिए गए हैं.

जिला कलेक्टर ने कहा कि अगर प्रशासन के पास कोई भी ऐसी मशीनरी है जिसका उपयोग नहीं किया जा रहा तो वह प्राइवेट अस्पताल किराए पर ले सकते हैं क्योंकि कोरोना काल में सबसे अहम काम लोगों की जिंदगी बचाना है. इसके अलावा जिला कलेक्टर का कहना है कि कोरोना काल में प्राइवेट अस्पताल भी लोगों की जान बचाने का काम रहे हैं. अगर वे मरीजों से ज्यादा पैसा वसूल कर रहे हैं तो सभी के इलाज का पैसा निश्चित किया जाएगा.

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वेंटिलेटर के मामले को लेकर जब जिला आरबीएम अस्पताल की पीएमओ जिज्ञासा साहनी से बात की तो उनका कहना था कि पीएम केयर फंड से जिला आरबीएम अस्पताल में 40 वेंटिलेटर आये हुए हैं, जिसमे से 19 वेंटिलेटर को उपयोग में लिया जा रहा है. क्योंकि आरबीएम में ऑक्सीजन पॉइंट की कमी है, जिसको देखते हुए चिकित्सा राज्यमंत्री सुभाष गर्ग ने विधायक फंड से 60 ऑक्सीजन के पॉइंट लगवाने के लिए राशि स्वीकृत की है, जिसका काम 15 से 20 दिनों के अंदर हो जाएगा.

इसके बाद आरबीएम अस्पताल अपनी पूरी वेंटिलेटर की क्षमता को पूरा कर सकेगा. इसके अलावा वेंटिलेटर पर ऑक्सीजन ज्यादा उपयोग में आती है, इसलिए अस्पताल में वेंटिलेटर का उपयोग कम किया जा रहा है क्योंकि जिला आरबीएम अस्पताल में वेंटिलेटर काम में नहीं लिए जा रहे थे. इसलिए वह किराए पर दे दिए गए और जब आरबीएम अस्पताल को वेंटिलेटर को जरूरत पड़ेगी तो उन्हें वापस ले लिया जाएगा. फिलहाल जिंदल हॉस्पिटल को कुछ वेंटिलेटर किराए पर दिए हैं, जिससे 2000 रुपये प्रति दिन किराया लिया जा रहा है.

(इनपुट-देवेंद्र सिंह)

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