राजस्थान: एक साल बाद भी पूरा नहीं हुआ सरकारी वादा, पेंशन को तरस रहा शहीद का परिवार
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राजस्थान: एक साल बाद भी पूरा नहीं हुआ सरकारी वादा, पेंशन को तरस रहा शहीद का परिवार

शहीद की शहादत पर जो घोषणाएं हुई वह आज तक पूरी नहीं हो सकी है. आलम यह है कि शहीद की पत्नी की पेंशन तक शुरू नहीं हो सकी है

शहीद का परिवार परिवार कृषि और पशुपालन के जरिये अपना जीवन यापन करने को मजबूर है

देवेन्द्र सिंह/भरतपुर: देश आज गणतंत्र दिवस मना रहा है लेकिन इस गणतंत्र की रक्षा करने वाले सैनिक का एक परिवार ऐसा भी है जो अपने जांबाज सिपाही बेटे को खोने के बाद अब तक सरकार द्वार किए गए वादों के पूरा होने का इंतजार कर रहा है. राजस्थान के भरतपुर में एक शहीद का परिवार ऐसा भी है जिनके बेटे को शहीद हुए 1 वर्ष से अधिक समय हो गया, लेकिन इस शहीद की शहादत के एक वर्ष बीत जाने के बाबजूद आज तक सरकार द्वारा जारी बजट सहित अन्य सुविधाओं का लाभ उसके परुवार को नहीं मिल सका है.

खबर के मुताबिक शहीद की शहादत पर जो घोषणाएं हुई वह आज तक पूरी नहीं हो सकी है. आलम यह है कि शहीद की पत्नी की पेंशन तक शुरू नहीं हो सकी है. ना ही सरकारी स्कूल का नामकरण शहीद के नाम पर किया जा सका है. यहां तक कि वादे के मुताबिक शहीद की मूर्ति की स्थापना गांव में अब तक नहीं की जा सकी है यही नहीं यह परिवार कृषि और पशुपालन के जरिये अपना जीवन यापन करने को मजबूर है.

यही नहीं गांव के कीचड़ भरे रास्तों को भी ठीक नहीं कराया गया है. गांव में आने जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है. शहीद के पिता द्वारा कृषि कनेक्शन की एक फाइल लगाई गई थी कृषि बिजली कनेक्शन के लिए कई महीने पहले आवेदन किया था लेकिन बिजली विभाग ने उनको आज तक कृषि बिजली कनेक्शन जारी नहीं किया है जिससे फसल पैदा करने में काफी मुश्किल हो रही है. 
 
बता दें कि भरतपुर में डीग उपखण्ड की ग्राम पंचायत ककड़ा के गांव अन्जारी का निवासी बलवीर सिंह जो 21 राजपूत रेजिमेंट में तैनात था. वह 2 फरवरी 2018 को आर्मी के ऑफ रक्षक ऑपरेशन में शहीद हो गया था. जिसके बाद शहीद के घर में आज उसकी पत्नी गुड्डी देवी, दो बेटे गौरव सिंह(11), मोहित सिंह(7), पिता देवकरण सिंह और माता सुगना देवी एवं भाई बलराम सिंह साथ ही एक परिवार में रहते है. वह अपनी आजीविका के लिए सिर्फ कृषि पर निर्भर है. शहीद के दो भाई है जिसमे एक भाई बलराम कृषि करता है.

शहीद के पिता देवकरण के अनुसार उसका बेटा देश के लिए शहीद हो गया जो उनके लिए दुख नहीं बल्कि एक गर्व का विषय है लेकिन बेटे के शहीद होने के बाद उसकी पुत्रवधु की पेंशन तक नहीं हो पायी. शहीद की मूर्ति की स्थापना तक नहीं की जा सकी है और उनके गांव में लोगों को कीचड़ भरे रास्ते में निकलना पड़ता है. पत्नी गुड्डी देवी जिसका पति देश के लिए शहीद हो गया लेकिन आज अपने बच्चों को पढ़ाने और पालन पोषण के लिए वह काफी चिंतित है. 

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पेंशन के लिए उसने कई बार अधिकारीयों के चक्कर तक लगाए है, पर कोई सुनवाई नहीं हुई. शहीद के परिवार को राजस्थान सरकार की तरफ से 25 लाख रूपये मिलने थे जो अभी तक नहीं मिल सके है. साथ ही उसके गांव अन्जारी के राजकीय प्राथमिक स्कूल का नाम भी शहीद के नाम नहीं किया गया है. हालांकि जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल वीरेंदर सिंह ठेनुआ का कहना है कि शहीद की पत्नी की पेंशन की प्रक्रिया शुरू करने के आर्डर जारी किये जा चुके है जल्द ही पेंशन मिलनी शुरू हो जाएगी. 

साथ ही कर्नल वीरेंदर सिंह ठेनुआ ने बताया कि शहीद के नाम से स्कूल का नाम रखने के लिए शिक्षा विभाग को पत्र लिखा जा चुका है. वहीं बजट राशि जब सरकार स्वीकृत कर देगी तब वह शहीद के परिजनों को मिल जायेगी. हालांकि भले ही जिला सैनिक कल्याण विभाग भले ही सारे वादों के जल्द पूरा होने की बात कर रहा हो लेकिन शहीद के परिवार के लिए विभाग के इस वादे पर फिर से यकीन करना मुश्किल हो रहा है. 

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