CM Gehlot to help Krishna Prajpat: शक्कारगढ़ में राजीव गांधी जिला स्तरीय ओलंपिक खेलकूद प्रतियोगिता में घायल हुई राज्य स्तरीय खिलाड़ी कृष्णा प्रजापत के भविष्य हित में संवेदन शील निर्णय लेने के लिए जहाजपुर विधायक गोपीचंद मीणा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख सहायता के लिए भेजा.
Trending Photos
CM Gehlot to help Krishna Prajpat: शक्कारगढ़ में राजीव गांधी जिला स्तरीय ओलंपिक खेलकूद प्रतियोगिता में घायल हुई राज्य स्तरीय खिलाड़ी कृष्णा प्रजापत के भविष्य हित में संवेदन शील निर्णय लेने के लिए जहाजपुर विधायक गोपीचंद मीणा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख सहायता के लिए भेजा. उक्त छात्रा नवोदित खिलाड़ियों के लिए अपने आप में आदर्श है. बालिका ने अब तक सात बार राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया है.
वहीं कृष्णा प्रजापत कबड्डी में कोच धर्मचंद मीणा की कोचिंग में कबड्डी की शुरूआत वर्ष 2013-14 में कक्षा 4 में हुई उसके बाद से कृष्णा ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. कृष्णा प्रजापत ने सीकर, झुन्झूनू , हिंडोली सिटी करोली, रावतसर हनुमानगढ़ , सीनियर चैम्पियनशिप उदयपुर सहित 7 बार राज्य स्तर पर खेल चुकी है. कबड्डी के साथ ही कृष्णा शिक्षा में भी अव्वल रही है.
कृष्णा के पिता महावीर प्रजापत के 6 जून 2020 में मृत्यु हो जाने पर भी हिम्मत नहीं हारी और जीव विज्ञान से सीनियर सेकेंडरी स्कूल प्रथम श्रेणी से पास की साथ ही कृष्णा ने बताया की मुझे नेशनल खेलने सहित प्रो कबड्डी में जाने का सपना है. साथ ग्रामीणों सहित विधायक गोपीचंद मीणा ने आर्थिक सहायता के लिए सीएम को चिट्ठी लिखी है.
लड़की होते हुए भी विधवा मां ने नहीं हारी हिम्मत
कृष्णा के पिता की मृत्यु होने के बाद भी मां कल्ला देवी ने हिम्मत नहीं हारी और छात्रा को खेलकूद सहित जीव विज्ञान से 12 वीं पास करवा दिया. बता दें कि कृष्णा का ऑपरेशन गुप्ता हॉस्पिटल भीलवाड़ा में हुआ. अंकल श्यामलाल और रत्न प्रजापत ने बताया की हम सभी बालिका के साथ है. इसका हर सपना पूरा हो इसके लिए प्रयासरत रहेंगे.
ये भी पढ़ें- टाईगर की चहलकदमी से ग्रामीणों का छूटा पसीना, वन विभाग ने की ट्रैकिंग शुरू
पैर फ्रैक्चर होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी
कृष्णा प्रजापत पैर फ्रैक्चर होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी. बीएसटीसी की परीक्षा बूंदी जिले में देकर आई. प्रजापत ने कहा कि अब सपना है कि मैं जल्दी ठीक होकर अपने लक्ष्य को पूरा करूं. वर्ष 2013 में छात्रों के साथ साथ छात्राओं को खिलाना शुरू किया. मैदान से लेकर गांव वालों तक से ताने सुनने पड़े, लेकिन छात्राओं ने हौंसला नहीं खोया. एक बार शुरूआत करने पर पीछे मुड़कर नहीं देखा. पहली बार में ही छात्राओं ने राज्य सत्र में खेला इसके बाद गांव वालों ने भी सहयोग करना शुरू कर दिया. बालिका कृष्णा अब तक सात बार राज्य स्तर पर खेल चुकी है.