भारत-पाक सीमा (Indo-Pak Border) में स्थापित लंबे रेगिस्तन में आजादी के 75 वर्ष बाद भी लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हो रहे हैं.
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Bikaner: रेगिस्तान में अगर इंसान को सबसे जरूर कोई चीज हैं तो है पानी, जिसकी एक बूंद हल्क में उतर जाए तो ऐसा लगता है जैसे जीवन को जीने की एक अमृत रूपी दवा मिल गई हो. इसे पीते ही इंसान में एक नई ऊर्जा का संचार होता है.
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भारत-पाक सीमा (Indo-Pak Border) में स्थापित लंबे रेगिस्तन में आजादी के 75 वर्ष बाद भी लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हो रहे हैं. नहरों से आने वाला पानी सीधा डिग्गयों में डाला जाता है. वहीं, कहने को तो विभाग इसे फिल्टर करता है लेकिन अगर आप डिग्गियों का नजारा देख ले तो उसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कितने महीने पहले साफ की गई है. स्थानीय लोगों को मटमेला और दूषित पानी कई बीमारियों को न्योता दे रहा हैं.
शुद्ध पेयजल की आपूर्ति
दूषित पानी की समस्या को लेकर स्थानीय लोगों ने कई बार मांग की. सरकारें आई और गई लेकिन सिर्फ आश्वासन और वोट बटोरने के अलावा यहां के लोगों को कुछ नहीं मिला. वहीं, लोगों की समस्या को देखते हुए जल जीवन मिशन के तहत गहलोत सरकार (CM Ashok Gehlot) ने एक बड़ी सौगात देते हुए 600 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया, जिससे पीएचडी की मदद से ग्रामीणों को घर बैठे शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हो सकेगी. यह बजट यहां के लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.
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लोगों को मिलेगा शुद्ध पेयजल
ग्रामीण रामेश्वर और जयपाल ने बताया कि इस क्षेत्र के निवासी वर्षों से दूषित पानी पीने को मजबूर हो रहे थे, जिससे कई गंभीर बीमारियां से यहां के लोगों को रूबरू होना पड़ रहा था. गहलोत सरकार की इस सौगात से अब यहां के लोगों को एक नई आस जगी है कि अब यहां के लोगों को भी शुद्ध पेयजल पीने को मिलेगा.
Reporter- Tribhuwan Ranga