इस मां गणगौर की प्रतिमा की पुलिस करती है पहरेदारी, साल में सिर्फ 2 दिन होते है दर्शन
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इस मां गणगौर की प्रतिमा की पुलिस करती है पहरेदारी, साल में सिर्फ 2 दिन होते है दर्शन

Bikaner News: राजस्थान के बीकानेर में गणगौर का एक ऐसी प्रतिमा है, जिसकी पहरेदारी पुलिस करती है और इसके दर्शन साल में 2 बार ही होते हैं. लोग मंगलकामना के लिए मां के दर्शन करने आते हैं और और मन्नत मांगते हैं.

इस मां गणगौर की प्रतिमा की पुलिस करती है पहरेदारी, साल में सिर्फ 2 दिन होते है दर्शन

Bikaner News: बीकानेर में नवरात्रि में गणगौर के दौरान मां पार्वती की एक ऐसी प्रतिमा है, जिसे रखा जाता है विशेष सुरक्षा पहरे के बीच क्योंकि मां के श्रृंगार में ऐसे अनमोल गहने है. इनकी कीमत करोड़ों में है, जहां महज नवरात्रि के दौरान दो दिन के लिए इस प्रतिमा को खुले चौक में पंडाल में लोगों के विशेष दर्शन के लिए रखा जाता है, जिसके दर्शन के लिए  श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. 

राजस्थान के बीकानेर में नवरात्रि के दिनों में होने वाले गणगौर के दौरान यहां की सैकड़ों साल पुराणी मां गणगौर, जिन्हें मां पार्वती का रूप कहा जाता है, उनकी अनमोल प्रतिमा जिस पर क्या हीरे जेवरात, कुंदन और सोने के आभूषण, जिनकी कीमत करोडों में है. इस प्रतिमा की सुरक्षा के लिहाज से विशेष सुरक्षा दी जाती है. इस प्रतिमा की विशेषता यह है कि ये 150 साल पुरानी है, जिसे ऊपर से नीचे तक आभूषणों से श्रृंगारित किया हुआ है. 

नवरात्रि के दिनों में तीज और चौथ के दिन महिलाए पुत्र प्राप्ति के लिए मां गणगौर के आगे नृत्य करती हैं. मां गणगौर साल में एक ही बार होते है. 150 साल पहले की बात है कि देशनोक की रहने वाली उदयमल के कोई बेटा नहीं था, उन दिनों मां गौरी की पूजा सिर्फ राजा ही किया करते थे. उन्होंने राजा के घर जाकर मां गणगौर (पार्वती) की पूजा की और ठीक एक साल बाद उन्हें बेटा हुआ, पुत्र का नाम चांदमल रखा गया और बाद में जिस गणगौर की पूजा की गई, उसका नाम चांदमल की गणगौर रखा गया. उसके बाद यह परंपरा शुरू हुई, जो लगभग पिछले 150 साल से चली आ रही है. इस अवसर पर मेला लगता है, महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए नृत्य करती है और मन्नत मांगती है.

मां गणगौर का यह दरबार साल में सिर्फ दो दिन ही लगता है. इस पर्व पर हर कोई मंगलकामना के लिए मां के दर्शन करने आता है. देश-विदेश से लोग इस दिन के लिए इकठ्ठा होते है. इस गणगौर की विशेषता ये है कि इस गणगौर के पांव हैं. ये अपने आप मां गणगौर की एक मात्र अनोखी प्रतिमा है, जिसमे पांव बने है. 

मां पूजा अर्चना में जिन लोगो की मन्नत पूरी होती है, वो महिलाएं मां को चुनरी ओढाती हैं और मां के चरणों में नारियल और पताशे का प्रसाद चढ़ाते है,  जिनकी मन्नत मां पूरी करती है वे अपने बच्चो को धोक दिलवाने लाते है. महिलाएं मां के आगे देर रात तक घुमर नृत्य करती हैं. मां की प्रतिमा के पास मां के पुत्र की भी पूजा की जाती है, उसे भी गहनों से सजाया जाता है. महिलाएं उस पुत्र की पूजा करती हैं ताकि उन्हें भी मां गणगौर जैसा ही पुत्र मिले. 

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