Holi 2024 : होली पर फिर चढ़ेगा रम्मतों का रंग...राजस्थान के दिल बीकानेर में 400 साल पुरानी परंपरा आज भी
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Holi 2024 : होली पर फिर चढ़ेगा रम्मतों का रंग...राजस्थान के दिल बीकानेर में 400 साल पुरानी परंपरा आज भी

Holi 2024 : राजस्थान के बीकानेर में होली का त्यौहार आज भी 400 से भी अधिक साल पुरानी अनोखी परंपरा के साथ मनाया जाता है, यहां होली की शुरुवात रम्मत से होती है, रम्मत यानि खेल. जिसमें हास्य रस, लावणी और ख्याल के माध्यम से समाज को बेहतर बनाने के सन्देश दिए जाते है.

Holi 2024 : होली पर फिर चढ़ेगा रम्मतों का रंग...राजस्थान के दिल बीकानेर में 400 साल पुरानी परंपरा आज भी

Holi 2024 : होली से पहले ही बीकानेर में होली के रसियों पर होली का रंग सर चढ़ कर बोल रहा है, होलाष्टक के साथ ही यहां रम्मत का दौर शुरू हो जाता है जिसमें हास्य रस, लावणी और ख्याल के माध्यम से समाज को बेहतर बनाने के सन्देश दिए जाते है.

इस मोके पर लड़के लड़किया बनकर खूब धूम मचाते है होली के उल्लास, उमंग और मस्ती के सतरंगी रंग में रंगे होली के रसिये आपको शहर की गलियों में हर और नज़र आयेगे.

राजस्थान के बीकानेर में होली का त्यौहार आज भी 400 से भी अधिक साल पुरानी अनोखी परंपरा के साथ मनाया जाता है, यहां होली की शुरुवात रम्मत से होती है, रम्मत यानि खेल. रम्मत लोक नाट्य की सदियों पुराणी परंपरा है जिसमें इसके पात्र अपने संवाद को गाकर पेश करते है राम्मतो का आगाज "फक्कड़ दाता" की रम्मत से होता हैं जहां ये रम्मतों का मंचन सिर्फ देर रात को शुरू होता है सुबह सूर्योदय तक चलता है.

आज भी रम्मत की रिहर्सल करने के लिए कलाकार दो महीने पहले इसकी तैयारी में जुट जाते है, पुराने लोग इन रम्मत के पात्रों के अभ्यास भी करते है और उनके साज सज्जा, और मेक उप का भी ख्याल रखते है, इनकी वेशभूषा भी वैसी ही होती है जैसी 300 साल पहले पहनी जाती थी पुरुष महिलाओं का रूप धारण करते है पहले ये अपने किरदार के अनुसार तैयार होते है फिर भगवान शिव की आराधना कर मंच पर उतारते है.
रम्मत में शुरू से अंत तक हर कलाकार ढोल, नगाड़ो की लय पर गा कर अपनी प्रस्तुति देते है.

खास तौर से रम्मत में पात्र भगवान का रूप धारण करते है उनमें लोग काफी श्राद्ध रखते है, पहले मंच से गणेश इस्तुती होती है बाद में भगवान कृष्ण, और शिव की के भजन गाते है साथ ही होली के धमार भी गाये जाते है, ख्याल गीत रम्मत का सबसे प्रमुख आकर्षण है जिसमे गीत नृत्य के माध्यम से आने वाले अच्छे ज़माने की कामना की जाती है जिसमे हास्य, ख्याल और लावणी के माध्यम से गीत में व्यक्ति समाज, परिवार, राष्ट्र को केंद्र बनाकर कटाक्ष किया जाता है.

रम्मतका दौर 10 बजे शुरू होता है जो की सुबह के 6 बजे तक चलता है. हर कलाकार मंच से एक विशेष अंदाज में गा कर प्रस्तुति देते है इसी कड़ी में बिस्सा बिस्सा चौक में आशापुरा नाट्य कला संस्था द्वारा भक्त पूर्णमल रम्मत का आयोजन हुआ. देर रात शुरू हुई रम्मत का मंचन सुबह तक चलता रहा.

रम्मत में कोरस में गाने का भी महत्त्व है इसमें इस्टेज पर और इस्टेज के पीछे और इस्टेज के आगे खड़े लोग भी कलाकारों के साथ गाते है एक लय से गाने का आनंद होली के रंग में चार चांद लगा देता है. होली की मस्ती में डूबे होली के रसिये पुरे होली तक इसी तरह अलग अलग स्वांग में शहर में घुमते है.

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