बून्दी सर्किट हॉउस में राज्यमंत्री एवं बूंदी जिला प्रभारी मंत्री जाहिदा खान ने ERCP को लेकर पत्रकारों से बातचीत की.
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Bundi: बून्दी सर्किट हॉउस में राज्यमंत्री एवं बूंदी जिला प्रभारी मंत्री जाहिदा खान ने ERCP को लेकर पत्रकारों से बातचीत की. उन्होंने कहा कि, ईआरसीपी राज्य की महत्वपूर्ण योजना हैं, जिसमें केन्द्रीय जल आयोग की 2010 की गाइड़ लाईन की पालना करते हुए, केन्द्र सरकार के उपक्रम वेप्कॉसके जरिए 37 हजार 200 करोड़ की डीपीआर तैयार की गई. यदि यह योजना लागू नहीं की गई तो प्रदेश में बड़ा आंदोलन केंद्र सरकार के खिलाफ किया जाएगा.
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उन्होंने कहा कि. प्रदेश के किसानों का नुकसान नहीं होने देंगे. इस परियोजना से सिंचाई सुविधा के प्रावधान को नहीं हटाया जा सकता, केन्द्र जब तक राष्ट्रीय महत्व का दर्जा नहीं दे देती. राज्य सरकार अपने सीमित संसाधनों से इसका कार्य जारी रखेगी. इस पत्रकार वार्ता में पूर्व मंत्री हरिमोहन शर्मा, प्रदेश सचिव प्रतिष्ठा यादव, पूर्व विधायक सीएल प्रेमी, जिला प्रमुख चंद्रावती कंवर, पूर्व जिला प्रमुख राकेश बोयत भी मौजूद रहें.
प्रभारी मंत्री ने बताया कि, यह परियोजना 13 जिलों के लि मील का पत्थर साबित होगी. इसके पूरा होने से पेयजल उपलब्धता के साथ 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार होगा. उन्होंने बताया कि इस परियोजना से झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर एवं टोंक के निवासियों की पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाई गई है. उन्होंने कहा कि सीएम ने नवनेरा-गलवा, बिशनपुर-ईसरदा लिंक, महलपुर बैराज, रामगढ़ बैराज के 9 हजार 600 करोड रुपए के काम हाथ में लिए जाने की बजट घोषणा की थी इसका कार्य वर्ष 2022-23 में शुरू कर 2027 तक पूरा किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि इस परियोजना की डीपीआर मध्य प्रदेश राजस्थान अंतरराज्यीय स्टेट कंट्रोल बोर्ड की वर्ष 2005 में आयोजित बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार तैयार की गई है. इस निर्णय के अनुसार राज्य किसी परियोजना के लिए अपने राज्य के कैचमेंट से प्राप्त 90 प्रतिशत पानी एवं दूसरे राज्य के कैचमेंट से प्राप्त पानी का 10 प्रतिशत प्रयोग इस शर्त के साथ कर सकते हैं यदि परियोजना में आने वाले बांध और बैराजों का डूब क्षेत्र दूसरे राज्य सीमा में नहीं आता हो तो ऐसे मामलों में राज्य की सहमति आवश्यक नहीं है.
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के उपक्रम वेप्फॉस लिमिटेड द्वारा 37 हजार 200 करोड़ की डीपीआर नवंबर 2017 में तैयार कर केंद्रीय जल आयोग को स्वीकृति हेतु भेजी गई थी. उन्होंने बताया कि परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की वर्ष 2010 की गाइडलाइन के अनुसार ही तैयार की गई हैं.
उन्होंने बताया ने कि चंबल नदी पर धौलपुर में केंद्रीय जल आयोग का रिवर गेज स्टेशन है जहां पर नदी में बहकर जाने वाले पानी की मात्रा मापी जाती है. केंद्रीय जल आयोग द्वारा इस स्टेशन से प्राप्त 36 साल के आंकड़ों के अनुसार औसतन 19 हजार मिलियन क्यूबिक मीटर एवं 75 प्रतिशत निर्भरता पर 11 हजार 200 मिलीयन क्यूबिक मीटर पानी प्रतिवर्ष यमुना नदी के माध्यम से समुद्र में व्यर्थ बह जाता है. उन्होंने बताया कि जबकि इस योजना से मात्र 35 सौ मिलियन क्यूबिक मीटर पानी ही उपयोग में लिया जाएगा.
प्रभारी मंत्री ने कहा कि राज्य लंबे समय से इस परियोजना को राष्ट्रीय महत्त्व की परियोजना घोषित करने की मांग केंद्र सरकार से कर रहा है जिस पर अभी तक कोई सकारात्मक फैसला केंद्र द्वारा नहीं लिया गया है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जयपुर एवं अजमेर में 7 जुलाई 2018 एवं 6 अक्टूबर 2018 को आयोजित रैलियों में ईआरसीपी को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित करने का वादा किया था. लेकिन अभी तक निभाया नहीं गया है जो दुर्भाग्यपूर्ण है. केंद्र सरकार के जरिए इस परियोजना को 90 अनुपात 10 के आधार पर राष्ट्रीय महत्व की परियोजना का दर्जा दिए जाने पर इस परियोजना को 10 वर्ष में पूर्ण किया जा सकेगा.
जिला प्रभारी मंत्री ने बताया कि, जब इस प्रोजेक्ट में अभी तक राज्य का पैसा लग रहा है. पानी राजस्थान के हिस्से का है तो केंद्र सरकार परियोजना का कार्य रोकने के लिए कैसे कह सकता है. उन्होंने बताया कि केंद्र के इस रवैये से प्रदेश की जनता को पेयजल से और किसानों को सिंचाई के पानी से वंचित करने का प्रयास क्यों कर रही है.
उन्होंने बताया कि इस तरह के रोड़े अटकाने की वजह से इन 13 जिलों में न सिर्फ पेयजल और सिंचाई का काम प्रभावित हो रहा है बल्कि सतही जल की उपलब्धता पर आश्रित जल जीवन मिशन की कई जिलों में सफलता दर भी प्रभावित हो रही है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, इस कदम से तो किसानों की आय ही समाप्त हो जाएगी. उन्होंने बताया कि जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा ईआरसीपी में अपेक्षित सहयोग देने के बजाय उसने रोडे अटकाने का काम किया जा रहा है जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
Reporter: Sandeep Vyas
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