सीएमएचओ डॉक्टर मनोज शर्मा ने बताया कि एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली निजी क्षेत्र में एंबुलेंस जिले में ना के बराबर है मगर एंबुलेंस में बेसिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम होना अत्यावश्यक है.
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Churu: किसी भी रोगी को गंभीर स्थिति में इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर किया जाता है तो हमेशा एंबुलेंस से ही रोगी को ले जाया जाता है, ताकि एंबुलेंस से रोगी को जल्दी हायर सेंटर पहुंचाया जा सके और रोगी की जान बचाई जा सके.
जिले के सबसे बड़े राजकीय डेडराज भरतिया जनरल अस्पताल की बात करें तो अस्पताल परिसर में निजी एम्बुलेंस की लंबी कतार देखने को मिलती है, मगर क्या ये एम्बुलेंस रोगी को हायर सेंटर ले जाते समय सभी तय मापदंडों के अनुरूप सुविधाओं से लैस होती है. यह तय करने वाला कोई नहीं है.
गंभीर परिस्थिति में रोगी को परिजन जब निजी एम्बुलेंस से लेकर जाते है तो नहीं तो उसमें देखा जाए तो आवश्यक सुविधाओं का अभाव ही होता है, साथ ही मजबूरी का फायदा उठाते हुए एम्बुलेंस मालिक मनमाना किराया वसूलते है.
क्या-क्या सुविधाएं होनी चाहिए
सीएमएचओ डॉक्टर मनोज शर्मा ने बताया कि एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली निजी क्षेत्र में एंबुलेंस जिले में ना के बराबर है मगर एंबुलेंस में बेसिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम होना अत्यावश्यक है जिसमें ऑक्सीजन सिलेंडर, एम्बुबैक, इमरजेंसी ड्रग्स होनी चाहिए साथ ही प्रशिक्षित स्टॉफ होना चाहिए.
सरकारी अस्पताल के एम्बुलेंस चालक ने भी बताया की एम्बुलेंस क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध है. जो कि रोगी के जीवन को बचाने के लिए रास्ते मे जरूरत पड़ती है. रोगी के परिजनों का भी कहना है कि एम्बुलेंस में किसी प्रकार की सुविधा नहीं है.
निशुल्क उपचार तो सरकारी योजनाओं के तहत मिल जाता है मगर गरीब गंभीर रोगी के अस्पताल पहुँचने का मार्ग अभी कठिन बना हुआ है. जरूरत इस बात की है कि जिम्मेदार अधिकारियों व राजनेताओं को भी ध्यान देना होगा.
Reporter- Gopal Kanwar