Churu News: चूरू जिले के तारानगर में सुनिता किन्नर ने एक गरीब वाल्मीकि समाज की बिना बाप की बेटी का भात भर समाजिकता की मिसाल पेश की है. सुनीता किन्नर समय-समय पर सामाजिक कार्य करती रहती हैं.
Trending Photos
Churu News: राजस्थान के चूरू जिले के तारानगर में सुनिता किन्नर ने समाज को आईना दिखाते हुए ऐसी मिसाल पेश की, जिसको सुनकर हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है.
दरअसल चुरू जिले के तारानगर की महंत सुनीता किन्नर ने सिधमुख की एक गरीब वाल्मीकि समाज की बिना बाप की बेटी का भात भर समाजिकता की मिसाल पेश की है. सुनीता किन्नर समय-समय पर सामाजिक कार्य करती रहती हैं. सुनीता किन्नर ने इस बेटी की मां कौशल्या को धर्म बहन बनकर गरीब परिवार की बेटी के पीले हाथ करने में बड़ा सहयोग किया है.
यह भी पढ़ेंः BhajanLal Sharma: दिल्ली से लौटे CM भजनलाल शर्मा, कई दिग्गज नेताओं से की मुलाकात
सुनीता ने बताया की सिधमुख की बिना बाप की बेटी ललिता की शादी होनी थी, उन्हें पता चला की उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं है, तो सुनीता किन्नर ने बेटी ललिता की शादी में सहयोग करने का जिम्मा लिया. इसे देखते हुए सुनीता किन्नर ने अपनी टीम के साथ सिधमुख जाकर उनका गाजे -बाजे से भात भरा. इस दौरान महिलाओं द्वारा मंगल गीत गाए गए और बेटी को ललिता को आशीर्वाद दिया.
सुनीता की ओर से 21 हजार नगद रुपये और एक लाख के सोने-चांदी के आभूषण दिए गए. उन्होंने बताया कि भात में सात सोने और 21 चांदी के आभूषण सहित शादी का अनेक सामान दिया गया. भात में सुनीता के साथ चंदा, राधा, मदीना, बनिता, आइना, संजू आदि टीम के सदस्य भी मौजूद रहे.
इसे पहले भी सुनीता किन्नर ने नेठवा की सुमन, रावतसर की बिना मां-बाप की बेटी काजल, राजपुरा की पिंकी, राजगढ़ की एक बेटी की शादी, भात व छुछक की रस्म अदायगी कर चुकी हैं.
यह भी पढ़ेंः Ram Mandir: 22 जनवरी 2024 को होगा राम मंदिर का उद्घाटन, हर घर मनाई जाएगी दिवाली
इस अवसर पर सुनीता किन्नर ने कहा कि मैंने समाज से ही लिया है और समाज को ही देने का काम कर रही हूं. मेरा कुछ भी नहीं है सब समाज का ही है. आगे भी मैं इसी प्रकार से जरूरतमंद परिवारों के लिए काम करती रहूंगी. मुझे खुशी है कि मैं जरुरतमंद की सहायता कर अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रही हूं. मुझे इतनी खुशी हो रही है, जिन्हें मैं शब्दों में बयान नहीं कर पा रही हूं.
सुनीता बाई द्वारा किए गए आर्थिक सहयोग को देख के लगता है कि सभ्य समाज में उपेक्षित किन्नर भी कभी ऐसा काम कर जाते हैं, जो उन्हें महान बना देता है. किन्नर की दरियादिली के चलते आर्थिक रुप से कमजोर मां का कुछ बोझ हल्का होगा और एक जरूरत मंद परिवार की बेटी की शादी धूमधाम से हुई.