Dausa News: दौसा में सिस्टम की लापरवाही का एक अजीब मामला सामने आया है. सिकाराय में रहने वाले केसराम मीणा पिछले 18 महीने से लगतार पेंशन ऑफिस के चक्कर लगा रहे है. क्योंकि 18 महीने पहले उनकी पेंशन अचानक बंद हो गई थी, जिसके बाद जब उन्हें असलियत का पता लगा तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई.
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Dausa News: सिस्टम की लापरवाही कहें या फिर बेरूखी. सिस्टम ने एक जीवित व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया, अब पीड़ित व्यक्ति अपने आप को जीवित साबित करने के लिए दर-दर भटक रहा है. पीड़ित कई बार अधिकारियों से अपने जीवित होने की गुहार लगा चुका है, लेकिन सिस्टम में बैठे लोग उसे जीवित मानने को तैयार नहीं है. आखिरकार पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाने के लिए पंचायत समिति सदस्य महेंद्र मीणा ने सिकराय एसडीएम कार्यालय के सामने व्यक्ति को लेकर धरने पर बैठ गए.
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क्या है मामला
दरअसल, मामला दौसा जिले की सिकराय विधानसभा क्षेत्र के पिलोड़ी गांव का है. जहां निवासी केस राम मीणा का है. केस राम मीणा को पिछले दो साल से मिल रही पेशन बंद है. क्योंकि सिस्टम की लापरवाही के काण उसे दो साल से मरा हुआ घोषित कर रखा है.
आखिरी बार दिसंबर 2021 में मिली थी पेशन
सिकराय निवासी केस राम मीणा एक पैर से दिव्यांग है. और 2013 में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत उसकी पेंशन शुरू हुई थी. तब से उसे लगातार पेंशन मिल रही थी. आखिरी बार उसे पेंशन दिसंबर 2021 में मिली थी, जिसके बाद उसे आज तक पेंशन नहीं मिली. जब उसने पेंशन नहीं मिलने का कारण मालूम किया तो जो कारण सामने आया उसे सुनकर वह भी चौक गया. पीड़ित केस राम मीणा ने जब ऑनलाइन सामाजिक सुरक्षा पेंशन की साइट में अपने नाम को चेक किया तो उसके नाम के आगे डेथ लिखा हुआ था यानी वह 2 साल पहले मर चुका है.इसके बाद तो वह काफी परेशान हुआ.
अधिकारियों ने टाल दी बात
मामले में न्याय पाने के लिए जब वह उसकी कॉपी लेकर अधिकारियों के पास गया तो अधिकारियों ने बात को टालने के लहजे में बोलते हुए बात को टाल दिया. कहा कि देखेंगे क्या सही है क्या गलत है, लेकिन पीड़ित दिव्यांग केस राम मीणा पिछले 18 माह से अधिकारियों के यहां दर-दर भटक रहा है, लेकिन अभी तक किसी भी अधिकारी ने उसकी समस्या का समाधान नहीं किया जिससे उसकी पेंशन फिर से शुरू हो सके.
पंचायत समिति से लेकर एसडीएम तक लगाई गुहार
इस मामले को लेकर केस राम मीणा का कहना है कि उसने अपनी समस्या सिकराय पंचायत समिति के विकास अधिकारी और एसडीएम को बताई यहां तक कि हाल ही में गांव में लगे महंगाई राहत कैंप और प्रशासन गांव के संग शिविर में भी प्रभारी को प्रार्थना पत्र भी दिया लेकिन अभी तक भी उन पर कोई अमल नहीं हुआ.
खून के आंसू रोने को मजबूर केस राम मीणा
अब इस मामले में पीड़ित केस राम मीणा का कहना है कि आखिर वह यह कैसे साबित करें कि वह मरा नहीं जिंदा है. बेहद दयनीय स्थिति में जीवन यापन करने वाला दिव्यांग केशराम खून के आंसू रोने को मजबूर है. कच्चे घरों में रहने वाले केस राम के पास सामाजिक सुरक्षा पेंशन ही एक जीने का मात्र आधार है लेकिन सिस्टम में जमे लापरवाह कार्मिकों ने उसकी पेंशन भी यह कहकर बंद कर दी कि वह मर चुका है.
जनहित योजनाओं पर अधिकारी फेर रहे हैं पानी
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत महंगाई राहत कैंप, प्रशासन गांव के संग व शहरों के संग शिविर लगाकर आमजन को राहत देने का काम कर रहे हैं ताकि लोग अपने कामो के लिये इधर- उधर नहीं भटके, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी और कार्मिक इतने लापरवाह बने हुए हैं कि वह जीवित व्यक्ति को मृत बताकर मुख्यमंत्री की जनहित योजनाओं पर ही पानी फेर रहे हैं क्या इतने लापरवाह अधिकारियों और कार्मिकों खिलाफ कोई एक्शन नहीं होना चाहिए. वही पंचायत समिति सदस्य महेंद्र मीणा का कहना है क्षेत्र के अधिकारियों को आम जन से कोई सरोकार नहीं उनका सिर्फ उस काम पर ध्यान है जिसमें वह अपनी जेबें गर्म कर सके.
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