बाड़ी सहित ग्रामीण क्षेत्र में लगातार गोवंश और गाय माता लंपी वायरस से पीड़ित होते जा रहे हैं. आवारा गोवंश के लंपी वायरस से पीड़ित होने का पता नहीं चलने और बीमारी के बढ़े स्तर पर पहुंचने के बाद उपचार देने के बाद भी कोई सुधार नहीं हो रहा.
Trending Photos
Bari: धौलपुर जिले सहित बाड़ी कस्बे में प्रतिदिन बड़ी संख्या में गायों की दर्दनाक मौतें हो रही है. मानव प्रजाति में कोरोना वायरस की तरह गो वंश में फैलने वाला लंपी वायरस दिनों दिन अपना विस्तार करता जा रहा है. जिसकी चपेट में सैकड़ों की संख्या में गोवंश आ चुका है. सड़कों पर आवारा गोवंश इससे संक्रमित हुआ इधर-उधर घूमते हुए देखा जा सकता है. जिससे बीमारियां और अधिक फैल रही हैं. बड़ी संख्या में ऐसी गाय भी हैं जिनकी दर्दनाक मौत भी हो चुकी है और कई गोवंश मौत के कगार पर खड़ा हुआ है लेकिन जिम्मेदार प्रशासन पूरी तरह से इस मसले पर हथियार डाल चुका हुआ प्रतीत होता नजर आ रहा है.
लंपी वायरस को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर प्रशासन ने सतर्क रहने के आदेश दिए हैं. ऐसे में संक्रमित गोवंश को आइसोलेट कर अलग रखने की बात भी की गई है, लेकिन बाड़ी नगरपालिका में इस जिम्मेदारी को भी पूरी तरह से नकारा जा रहा है. नगर पालिका के द्वारा संक्रमित गोवंश को पुराने थाने में स्थित अस्थाई गोशाला में आइसोलेट करने की व्यवस्था की गई थी जो महज शुरुआत के 2 या 3 दिन ही सफल हो सकी. अब जगह-जगह गोवंश संक्रमित हुआ घूम रहा है लेकिन उन्हें आइसोलेट करने के लिए नगर पालिका प्रशासन पूरी तरह लापरवाह नजर आ रहा है.
कभी-कभार इक्का-दुक्का गायों को ही आइसोलेट किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर पशु चिकितस्सलय के चिकित्सक, नर्सिंगकर्मी बिना आइसोलेट के गायों को देखने की जहमत नहीं उठाते. बाड़ी में गो सेवा संगठन के सदस्य शुभम भारद्वाज ने जानकारी देते हुए बताया कि संघ के सदस्यों द्वारा अब तक तकरीबन 400 किलो गुड़ में आयुर्वेदिक दवाई मिलाकर जगह-जगह गायों को खिलाई जा चुकी है जिससे गायों में इस बीमारी से लड़ने की क्षमता उत्पन्न हो सके, लेकिन इन सब की अपनी सीमाएं हैं. बिना सरकारी सहयोग और लोगों की जागरूकता के यह रोग निरंतर फैलता जा रहा है. जिसकी चपेट में बड़ी संख्या में गोवंश आ चुका है और धीरे-धीरे आता जा रहा है.
बाड़ी सहित ग्रामीण क्षेत्र में लगातार गोवंश और गाय माता लंपी वायरस से पीड़ित होते जा रहे हैं. आवारा गोवंश के लंपी वायरस से पीड़ित होने का पता नहीं चलने और बीमारी के बढ़े स्तर पर पहुंचने के बाद उपचार देने के बाद भी कोई सुधार नहीं हो रहा. इसके चलते लगातार गोवंश और गाय माता मौत का शिकार हो रही है.
जिसको लेकर शहर के गो सेवा से जुड़े संगठनों द्वारा अभियान भी चलाया हुआ है और युवा लगातार गायों की सेवा में जुटे हैं लेकिन यह सामाजिक सहयोग ऊंट के मुंह में जीरे के समान प्रतीत हो रहा है.
गाय और गोवंश केवल बाड़ी शहर में नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में भी रोग से पीड़ित हैं. जहां तक स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग नहीं पहुंच पा रहा केवल सूचना मिलने के बाद ही गो सेवा समिति के युवा गोमाता या गोवंश को उपचार दे पा रहे हैं. ऐसे में हिंदूवादी संगठनों और गो सेवा से जुड़े लोगों द्वारा शासन प्रशासन से एक बड़े अभियान को चलाने की मांग की गई है. जिससे निरीह गोवंश और गाय माता अकाल मौत का शिकार होने से बच सकें.
थाने की पुरानी बिल्डिंग में बनाया आइसोलेशन सेंटर
नगर पालिका द्वारा शहर के किला परिसर स्थित थाने की पुरानी बिल्डिंग मे एक अस्थायी आइसोलेशन सेंटर बनाया गया है, लेकिन यहां गायों को उपचार के लिए लाने की जरूरत है जो केवल खानापूर्ति सी होता दिखाई दे रहा है. ऐसे में यहां वर्तमान में एक दर्जन के करीब ही गाय और गोवंश मौजूद हैं जिनका उपचार चल रहा है.
युवा जुटे हैं गाय और गोवंश को बचाने में
शहर में एक गो सेवा समिति बनी हुई है, जिसमें दो दर्जन के युवा शामिल है. इन युवाओं का नेतृत्व शुभम भारद्वाज कर रहे हैं. जिन्होंने बताया कि उनकी टीम लगातार सूचना के बाद मौके पर पहुंच गायों का उपचार कर रही है, लेकिन यदि बीमारी से पीड़ित गाय या गोवंश एक स्थान पर रखी जाए, तो वहां बेहतर उपचार मिल सकता है. इनके इधर-उधर घूमने पर संक्रमण और बढ़ रहा है.
विहिप और हिंदूवादी संगठनों में आक्रोश
लगातार हो रही गो माता और गोवंश की मौत को लेकर हिंदूवादी संगठनों में आक्रोश है. विहिप के अखाड़ा प्रमुख अंजनी पाराशर का कहना है कि शासन प्रशासन को गाय और गोवंश को बचाने के लिए एक बड़ा अभियान चलाना चाहिए, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा. ऐसे में लगातार गो माता रोग के संक्रमण और मौत का शिकार हो रही है.
अब तक सरकारी आंकड़ों में हुई 45 से 50 गोवंश की मौत
सरकारी आंकड़ों में 2 महीने के अंदर गाय और गोवंश की 45 से 50 की संख्या में मौत हुई है. जिसकी जानकारी पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ संत सिंह मीणा ने दी है. वहीं यदि सरकारी आंकड़ों को छोड़ गो सेवकों और आमजन से मिली जानकारी से पता चला है कि शहर सहित आसपास के क्षेत्र में अब तक 100 के करीब गोवंश मौत का शिकार हो चुका है और लगातार मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है.
ऐसे में पशु पक्षी एवं गो सेवा संगठन के सदस्य रामकुमार चौधरी द्वारा आम नागरिकों से आग्रह किया गया है कि वह बड़ी संख्या में इस संगठन का सहयोग करें और आर्थिक रूप से तथा शारीरिक रूप से संगठन की व्यवस्थाओं से जुड़े ताकि संकट की घड़ी में गोवंश को बचाया जा सके.
Reporter-Bhanu Sharma
यह भी पढ़ें - क्यूं लटक रही है IAS टीना डाबी पर जांच की तलवार, भीलवाड़ा के मामले का पकिस्तान कनेक्शन