दिवाली के दूसरे दिन सूर्यग्रहण के चलते आज तीसरे दिन नए साल पर डूंगरपुर समेत आसपास के इलाकों में मेरियू की परंपरा निभाई गई. आज सुबह दिन खुलने से पहले ही नव विवाहित दूल्हा दुल्हन के घर गांव के लोग एकत्रित हुए. इस दौरान नए दूल्हे के साथ आए दोस्त और बच्चों ने हाथो में मिट्टी के दिए से बना मेरियू लेकर "आज दिवारी काल दिवारी परमे दाडे गेर दिवारी मेरियू...." की आवाज लगाते हैं.
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Aspur: डूंगरपुर जिले में दिवाली के दूसरे दिन होने वाली मेरियू की परंपरा का आज निर्वहन किया गया. कल सूर्यग्रहण की वजह से पहली बार एक दिन देरी इस परंपरा का निर्वहन लोगों द्वारा किया गया.
परंपरा के तहत नव विवाहित दुल्हन ने सज धजकर दूल्हे के मेरियू में तेल भरा. वहीं, इसके बाद बड़ों से लेकर बच्चों तक मेरियू लेकर गांव में घूमे और परंपरा का निर्वहन किया.
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दिवाली के दूसरे दिन सूर्यग्रहण के चलते आज तीसरे दिन नए साल पर डूंगरपुर समेत आसपास के इलाकों में मेरियू की परंपरा निभाई गई. आज सुबह दिन खुलने से पहले ही नव विवाहित दूल्हा दुल्हन के घर गांव के लोग एकत्रित हुए. इस दौरान नए दूल्हे के साथ आए दोस्त और बच्चों ने हाथो में मिट्टी के दिए से बना मेरियू लेकर "आज दिवारी काल दिवारी परमे दाडे गेर दिवारी मेरियू...." की आवाज लगाते हैं.
वहीं, सज-धजकर नई दुल्हन गांव की दूसरी महिलाओं के साथ घर की चौखट पर आकर दूल्हे के साथ ही सभी बच्चों के मेरियू में तेल भरने की परंपरा को निभाया जाता है. वहीं, श्रद्धा के अनुसार मेरियू में दक्षिणा भी दी गई. इसके बाद नए दूल्हे के साथ ही गांव के युवा और बच्चे पूरे गांव में मेरियू लेकर घूमे, जहां मेरियू की आवाज लगाई. घर की महिलाओं ने सभी के मेरियू में तेल डालने के बाद दक्षिणा (पैसा) दिया. वही इस मौके पर बच्चों ने जमकर आतिशबाजी भी की. ये परंपरा पूरे वागड़ में दिवाली के दूसरे दिन नए साल की सुबह होते ही निभाई जाती है. इसे लेकर गांव के युवाओं से लेकर बच्चों में जबर्दस्त उत्साह देखने को मिलता है.
Reporter- Akhilesh Sharma