महिला संसद की व्यवहार पर लोकसभा स्पीकर ने जताई नाराजगी, बोले- सदन की गरिमा बनाए सभी सांसद
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महिला संसद की व्यवहार पर लोकसभा स्पीकर ने जताई नाराजगी, बोले- सदन की गरिमा बनाए सभी सांसद

दिल्ली/ जयपुर। लोकसभा के बजट सत्र में शुक्रवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला का सख्त और संवेदनशील दोनों रूप नजर आए. सदन के बाहर एक महिला सदस्य द्वारा मीडिया और सोशल मीडिया पर अध्यक्षपीठ के संबंध में की गई टिप्पणियों पर अध्यक्ष ओम बिरला ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की.

संसद की कार्यवाही

दिल्ली/ जयपुर। लोकसभा के बजट सत्र में शुक्रवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला का सख्त और संवेदनशील दोनों रूप नजर आए. सदन के बाहर एक महिला सदस्य द्वारा मीडिया और सोशल मीडिया पर अध्यक्षपीठ के संबंध में की गई टिप्पणियों पर अध्यक्ष ओम बिरला ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की. लोकसभा में सदस्यों को संबोधित करते हुए स्पीकर बिरला ने कहा कि सदन के अंदर और बाहर अध्यक्षपीठ पर टिप्पणी सदन की गरिमा और मर्यादा का उल्लंघन है.

सदन की एक उच्च कोटि की मर्यादा है, जिसका सम्मान सभी सदस्य करते हैं. आसन का प्रयास होता है कि सदन निष्पक्ष रूप से नियम और प्रक्रियाओं से संचालित हो. अध्यक्षपीठ पर बैठने वाले सदस्य को भी अध्यक्ष के सभी संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं. सदस्य या किसी अन्य व्यक्ति को आसन के बारे में टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, इससे हमारे संसदीय लोकतंत्र पर आघात पहुंचता है.

सदन के अंदर और बाहर की जाने वाली टिप्पणियों को  गंभीरता लेते हुए ओम बिरला ने सख्त लहजे में कहा कि सदस्य सदन के बाहर और सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने से बचें.यह संसद और संसदीय प्रणाली के लिए अच्छा रहेगा. हमारा व्यवहार, आचरण सदन की मर्यादा के अनुकूल हों, मेरी अपेक्षा है कि सदस्य सदन और आसन की गरिमा बढ़ाने में सहयोग करेंगे.

पूरे मामले से सारा सदन सकते में
तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सुदीप बंधोपाध्याय ने कहा कि मैं आपकी भावनाओं को दिल से साझा करता हूं. हम इस बात में विश्वास करते हैं कि सदन की मूलभावना का स्तर बना कर रखना चाहिए. हमें सदन के सिद्धांतों, विचारों और दर्शन के प्रति समर्पित रहना चाहिए. यह संवैधानिक मंदिर, सदन के अध्यक्ष का आसन और इस सदन के संचालन की प्रक्रियाएं गरिमा के साथ स्थापित रहें और विश्व को राह दिखा सकें.

कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन चैधरी ने लोकसभा अध्यक्ष बिरला से कहा कि आपके साथ हमारे अच्छे ताल्लुकात हैं. हम सब आपका सम्मान करतें हैं. कोई भी विषय हो, हम आपके सामने खुलकर अपनी बात रख सकते हैं. हम आपके साथ पूरा सहयोग करेंगे.

 हम सदन की गरिमा का सम्मान करते हैं-शिवसेना सांसद 

शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि स्पीकर बिरला की बात सुनकर वे हिल गए. जब भी सदन में प्रवेश करते हैं या बाहर जाते हैं आसन को अभिवादन करते हैं. सदन में हर चीज हमारी मर्जी से नहीं हो सकती. आसन का दायित्व संभालने के बाद अध्यक्ष को बहुत सी जिम्मेदारियां निभानी होती हैं. आसन को हम सदैव आदर की भावना से देखना महत्वपूर्ण है. हम सबको यह देखना होगा कि जब हम सदन और आसन का सम्मान करेंगे तो ही लोग हमारा सम्मान करेंगे.

डीएमके के ए राजा ने कहा कि मैं आसन का बहुत सम्मान करता हूं और आसन से जो चिंता आपने जताई उससे भी पूरी तरह सहमत हूं. स्पीकर का पद देश के सर्वोच्च पदों में से एक हैं. सदस्यों के आचरण से यदि आसन को कोई असहजता होती है तो वह किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है. यदि किसी सदस्य के शब्दों से आपको पीड़ा हुई है तो मैं उसके लिए क्षमा मांगता हूं. सभी दलों की ओर से मैं आश्वस्त करता हूं कि हम सदन और आसन का सम्मान करेंगे।

स्पीकर का सम्मान सर्वोपरि- फारूख अब्दुल्ला

नेशनल कांफ्रेंस के फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि स्पीकर इस सदन की इज्जत हैं और उस इज्जत का बरकरार रखना हम सब सदस्यों की जिम्मेदारी है। आप सदन के सर्वेसर्वा हैं, प्रमुख है। हम आपको सदन के अभिभावक के तौर पर देखते हैं। मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि हम आपका औार आसन का सम्मान करेंगे। यदि हमसे कोई गलती हुई है तो हमें माफ कीजिएगा। हम आगे भी आपकी और इस आसन की इज्जत रखेंगे क्योंकि उसी में हमारी इज्जत है.

सदन में जो कुछ हुआ दुर्भाग्यपूर्ण- सुप्रिया सुले

एनसीपी की सुप्रिया सुले ने कहा कि जो भी कल सदन में हुए उससे मन दुखी और व्यथित है. नियम सभी सदस्यों के लिए समान और उसकी सभी सदस्यों को पालना करनी चाहिए. हमने पूर्व में कभी इस प्रकार का व्यवहार पूर्व में नहीं देखा है. हम सभी सदस्य इससे बेहद दुखी हैं. हमें लोगों के लिए आदर्श होना चाहिए.जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है और हमें उसकी अन्तर्विवेचना करनी चाहिए. हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस तरह उन्मादी किसी भी सदस्य या आसन के प्रति भविष्य में कभी नहीं होना चाहिए.

सभी सदस्य स्पीकर की भावनाओं का सम्मान करें- तोमर
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि माननीय अध्यक्ष महोदय मैं इस सत्र में पहली बार आपको इतना व्यथित देख रहा हूं. निश्चित रूप से आपकी वेदना का पूरा असर पूरे सदन पर है.0सभी दल के नेताओं ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए हैं और मुझे लगता है कि सभी आपकी भावनाओं के साथ हैं. भारत बड़ा लोकतंत्र हैं और संसद लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर है. लोक सभा की कार्यवाही संचालन में आसन्दी का महत्व है. सदन के लिए नियम प्रकिया है. उनके अंतर्गत ही आसन्दी काम करती है और आसन्दी की हमेशा कोशिश रहती है कि वह निर्लिप्त रहे, निष्पक्ष रहे. उन्होंने कहा कि गुरुवार को जो कुछ हुआ वह निश्चित रूप से बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण था. वह किसी को भी अच्छा नहीं लगा और उसके कारण आपके भी मन में वेदना है. मैं आपको आग्रह करना चाहूंगा कि सभी सदस्यों को आपकी भावना का ख्याल रखना चाहिए. संसद के भीतर भी और संसद के बाहर भी निश्चित रूप से जो हमारी लोकतांत्रिक मर्यादाएं हैं, उनका पालन होना चाहिए. मैं अपनी ओर से तथा अपने दल के सदस्यों की ओर से आपको भरोसा दिलाना चाहता हूं कि हम सब आसन्दी के सम्मान के लिए जो आवश्यक होगा उसे जरूर करेंगे।

प्रश्नकाल के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सदस्य कल्याण बनर्जी का अवसर आने पर स्पीकर बिरला ने उन्हें बैठकर ही प्रश्न पूछने का कहा। कल्याण बनर्जी के पांव में चोट है, ऐसे में उन्हें असुविधा नहीं हो इसके लिए बिरला ने यह पहल की। स्पीकर बिरला ने सदस्यों से कोरोना स्वास्थ्य प्रोटोकाॅल्स की पालना के लिए भी कहा। लोकसभा में सदस्य नजदीक बैठे थे, यह देख स्पीकर बिरला ने कहा कि लोकसभा की दीर्घाओं में काफी जगह खाली है। राज्य सभा में भी काफी जगह है। सदस्य सामाजिक दूर बनाए रखने के लिए उस जगह का उपयोग करें।

राजस्थान में हो रहा मेडिकल कॉलेज का निर्माण

राजसमंद सांसद दीयाकुमारी ने प्रश्नकाल के दौरान राजस्थान में निर्माणाधीन सरकारी मेडिकल कॉलेजों के बारे में जानकारी मांगी. जवाब में सरकार ने कहा कि स्वास्थ्य व्यवसायियों की उपलब्धता में वृद्धि करने और तृतीयक स्वास्थ्य परिचर्या में सुधार करने के लिए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ऐसे जिलों, जहां सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेज नहीं है,  जिला अस्पतालों के उन्नयन द्वारा मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए मौजूदा जिला/रेफरल अस्पतालों से संबद्ध नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना नामक एक केन्द्रीय प्रायोजित योजना चलाता है.

केन्द्र सरकार और राज्यों के बीच निधि साझाकरण पूर्वोत्तर/विशेष वर्ग के राज्यों के लिए 90:10 और अन्य राज्यों के लिए 60:40 के अनुपात में है. उक्त स्कीम के इन तीन चरणों में राजस्थान में कुल 23 नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें में अब तक बाड़मेर, भरतपुर, भीलवाड़ा, चुरू, डूंगरपुर, पाली और सीकर को कार्यात्मक बनाया गया है, जबकि धौलपुर, अलवर, बारां, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, जैसलमेर, करौली, नागौर, श्री गंगानगर, सिरोही, बूंदी, सवाई माधोपुर, टोंक, हनुमानगढ़, झुंझुनू और दौसा में मेडिकल काॅलेज का कार्य निर्माणाधीन है.

Reporter-  SUSHNAT PARIK

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