प्रदेश में नशा युवाओं की नसों में घुलता जा रहा है और नशे की लत ने युवाओं को अपराध की तरफ शुरू कर दिया है. अफीम ढांडा, चूरा, हेरोईन, बाउन शुगर, गांजा, चरस आदि मादक पदार्थों के अलावा सिन्थेटिक साईकोट्रॉपिक ड्रग्स जहर घोल रहे हैं.
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Jaipur: प्रदेश में नशा युवाओं की नसों में घुलता जा रहा है और नशे की लत ने युवाओं को अपराध की तरफ शुरू कर दिया है. अफीम ढांडा, चूरा, हेरोईन, बाउन शुगर, गांजा, चरस आदि मादक पदार्थों के अलावा सिन्थेटिक साईकोट्रॉपिक ड्रग्स जहर घोल रहे हैं.
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दूसरे राज्यों के साथ ही राजस्थान से लगती पाकिस्तानी बॉर्डर भी इन मादक पदार्थों की तस्करी बढ़ा रही है. इधर मादक पदार्थ की तस्करी की रोकथाम के लिए स्पेशल टास्क फोर्स (एन्टी ड्रग्स) के गठन की तैयारी की जा रही है. राजस्थान में नशा गंभीर समस्या के रूप में उभर रहा है. बड़ी संख्या में लोग नशे आदी होते जा रहे हैं. हालात यह है कि युवाओं के साथ ही छोटे-छोटे बच्चे भी नशे की लत के शिकार बनते जा रहे हैं.
कुछ साल पहले राज्य में अफीम, डोडा पोस्त, गांजे का नशा था और नशा करने वालों को परमिट के जरिए आसानी से मिल जाता था. वर्तमान में अफीम, डोडा पोस्त आदि की वैध आपूर्ति पूर्णतया बंद है. राजस्थान अफीम के लाइसेंस शुदा उत्पादन वाला राज्य है. साथ ही इसकी सीमाएं इसी प्रकार लाईसेन्स शुदा अफीम उत्पादन वाले राज्य मध्यप्रदेश से लगती है.
वहीं राजस्थान का पाकिस्तान से अन्तर्राष्ट्रीय बॉर्डर भी लगता है. इन सभी कारणों के मध्यनजर राजस्थान मादक पदार्थों की तस्करी व उपभोग, दोनों से प्रभावित हो रहा है. पिछले कुछ समय से अफीम ढांडा चूरा हेरोईन बाउन शुगर, गांजा, चरस आदि मादक पदार्थों के अलावा सिन्थेटिक साईकोट्रॉपिक ड्रग्स की तस्करी भी बढ़ी है.
- मादक पदार्थों की तस्करी सुनियोजित और गंभीर अपराध है
- इसमें बड़े पैमाने पर अवैध हथियार व चोरी के वाहनों का प्रयोग किया जा रहा है
- इसके साथ ही हवाला के माध्यम से धन राशि का लेन-देन हो रहा है
- पिछले तीन साल में राजस्थान में मादक पदार्थों के खिलाफ कार्रवाई की गई
- वर्ष केस गिरफ्तारी ब्राउन शुगर हरोइन स्मैक चरस अफीम गांजा डोडा पोस्त
2019 -2592 -3881-1.812- 0.999 -16.299 - 6.039 -533.322 -8840 - 1101566
2020 -2743 -4353 -0.368 -12.799 -16.760 -25.266 -642.064 -14315 620 -130344 8
2021 -2989 -5610 -1.835 -34.386 -25,200 -14.475 -587.985 -11186 -123371.4
- अभी क्राइम ब्रांच में ड्रग्स एण्ड मैजिक रमिडीज, एन.डी.पी.एस. सैल है जो अवैध मादक पदार्थों से जुड़े अपराधों के कंट्रोल व निगरानी रखती है
- इस सैल का पुनर्गठन कर विस्तार करते हुए एसओजी के अधीन एस.टी.एफ. (एन्टी-ड्रग्स) किया जाना है
- एस.ओ.जी. में यह एसटीएफ (एन्टी-ड्रग्स) एक आईजी या डीआईजी पुलिस के नेतृत्व में कार्य करेगी
- एसटीएफ (एन्टी-ड्रग्स) क्षेत्र में इंटेलीजेंस एवं चौकियों की कार्रवाई की मॉनिटरिंग करेगी
- राज्य के नौ जिलों में मादक पदार्थों का बोलबाला सबसे ज्यादा
- जयपुर, जोधपुर, कोटा, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़ और उदयपुर शामिल है
एसटीएफ (एन्टी-ड्रम्स) इस प्रकार करेगी काम-
1. ड्रग्स के कारोबार में लिप्त आपराधिक तत्वों को पता लगाना.
2. ऐसे स्थानों को चिहि्नत करना, जहां आमतौर पर ड्रग्स की समस्या है, स्कूल काॅलेज जैसे स्थान
3. ड्रम्स कारोबार में लिप्त आपराधिक नेटवर्क का पता लगाना.
4. ड्रग्स कारोबार में विभिन्न प्रकार की ड्रग्स कहाँ से आ रही है, कहां संग्रहित की जाती है, कहां से वितरित की जाती है एवं इसकी अन्तिम पहुंच के स्थान का पता लगाना.
5. मुखबिर तंत्र विकसित करना.
6. नशा मुक्ति संबंधी योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करना.
ये पद चाहिए एसटीएफ (एन्टी-ड्रग्स) एवं जिला स्तरीय चौकियों के लिए
- महानिरीक्षक या उप-महानिरीक्षक पुलिस, अति. पुलिस अधीक्षक पुलिस निरीक्षक का एक पद चाहिए
- एसआई के तीन पद मौजूद हैं
- वहीं हैडकांस्टेबल के दो पद मौजूद हैं, दो नए पद चाहिए
- कांस्टेबल के 6 पद मौजूद हैं, सात नए पद चाहिए।
मुख्यमंत्री दे चुके हैं निर्देश
प्रदेश में अवैध मादक पदार्थों के कंट्रोल और माफिया पर कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी निर्देश दे चुके हैं। ऐसे में एसटीएफ एंटी ड्रग के गठन की जरूरत है.