7 वर्ष की उम्र में Bharat ने खो दिए थे दोनों हाथ, CM Gehlot ने लौटाई जीवन में नई खुशियां
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7 वर्ष की उम्र में Bharat ने खो दिए थे दोनों हाथ, CM Gehlot ने लौटाई जीवन में नई खुशियां

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की संवेदनशीलता से सीकर जिले के श्यामपुरा खाचरियावास गांव के निवासी 24 वर्षीय दिव्यांग भरत सिंह शेखावत (Bharat Singh Shekhawat) के जीवन में अब फिर खुशियां लौटी हैं. 

24 वर्षीय भरत सिंह शेखावत

Jaipur : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की संवेदनशीलता से सीकर जिले के श्यामपुरा खाचरियावास गांव के निवासी 24 वर्षीय दिव्यांग भरत सिंह शेखावत (Bharat Singh Shekhawat) के जीवन में अब फिर खुशियां लौटी हैं. भरत ने करीब 7 वर्ष की उम्र में बिजली के करंट के कारण अपने दोनों हाथ खो दिए थे. इस हादसे से पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और भरत के माता-पिता को उसके भविष्य की चिंता सताने लगी. तमाम विपत्तियों के बावजूद भरत की माता ने उसे पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रेरित किया. माता की प्रेरणा से भरत ने पैरों से अपने भविष्य की इबारत लिखना शुरू किया. 

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भरत की माता का वर्ष 2011 में निधन हो गया, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और न केवल बीएससी तक की शिक्षा हासिल की, बल्कि प्रतियोगी परीक्षा में .सफलता हासिल कर राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) में कृषि पर्यवेक्षक के पद पर नियुक्ति प्राप्त की. विगत दिनों भरत के मित्र राधे मीणा ने उसकी पीड़ा को समझते हुए उसे मुख्यमंत्री निवास पर मदद के लिए गुहार लगाने की सलाह दी. भरत ने जब अपनी पीड़ा से मुख्यमंत्री कार्यालय को अवगत कराया तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने तत्काल प्रभाव से भरत के दोनों कृत्रिम हाथ लगाए जाने के निर्देश प्रदान किए. 

मुख्यमंत्री के निर्देश पर अधिकारियों ने त्वरित कार्यवाही करते हुए भरत को फोन कर शुक्रवार 13 अगस्त को मुख्यमंत्री निवास बुलाया और भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के माध्यम से उसके कृत्रिम हाथ निशुल्क लगवाए. मुख्यमंत्री की इस संवेदनशीलता और सदाशयता से भरत को बड़ा संबल मिला है. इससे वह न केवल अपने दैनिक कार्यों को आसानी से कर सकेगा, बल्कि राजकीय दायित्वों का निर्वहन भी सुगमता से कर पाएगा. 

मुख्यमंत्री की इस संवेदनशीलता से भावुक हुए भरत ने कहा कि जीवन के साथ संघर्ष करते हुए उसने अपने पैरों से सफलता की इबारत तो लिख दी, लेकिन कृत्रिम हाथों से अब उसके जीवन में नई खुशियां लौट आई हैं. उसे उम्मीद नहीं थी कि उसकी पीड़ा का कभी अंत होगा, लेकिन मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने उसके जीवन को आशा की एक नई किरण दी है.

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