राजस्थान में इन 19 विधायकों से खौफ में कांग्रेस के लोग, प्रभारी से बोले- बचा लो नहीं तो बर्बाद कर देंगे
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राजस्थान में इन 19 विधायकों से खौफ में कांग्रेस के लोग, प्रभारी से बोले- बचा लो नहीं तो बर्बाद कर देंगे

Rajasthan : राजस्थान कांग्रेस में इन 19 विधायकों को लेकर नाराजगी है. अशोक गहलोत और सचिन पायलट की सियासत के बीच सरकार को समर्थन दे रहे 19 विधायकों की कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदेश प्रभारी से शिकायत की है.

राजस्थान में इन 19 विधायकों से खौफ में कांग्रेस के लोग, प्रभारी से बोले- बचा लो नहीं तो बर्बाद कर देंगे

राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है. अशोक गहलोत मुख्यमंत्री है. सचिन पायलट से लेकर गोविंद सिंह डोटासरा जैसे सीनियर नेता है. लेकिन सत्ता होने के बावजूद राजस्थान के 19 विधायकों से कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता बेहद परेशान है. इन लोगों ने ये पीड़ा प्रदेश कांग्रेस प्रबारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के सामने जयपुर में रखी. तो हंगामा हो गया. जिसके बाद रंधावा ने सभी से वन टू वन मुलाकात की और उनकी बात सुनी. 

पिछले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों से हारने वाले कांग्रेस नेताओं ने पार्टी के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के सामने अपना दुखड़ा खुल कर रखा है. निर्दलीयों से हारे प्रत्याशियों ने अपने क्षेत्र के हालात बयां करते हुए कहा कि निर्दलीय विधायकों ने क्षेत्र में लूट मचा रखी है. इस पूरे मामले पर रंधावा ने कांग्रेस नेताओं को आश्वासन दिया कि वे कांग्रेस को कमजोर नहीं होने देंगे, लेकिन वे इस आश्वासन को पूरा कैसे करेंगे यह बड़ा सवाल है?

प्रदेश प्रभारी के रूप में पहले आधिकारिक दौरे पर सुखजिंदर सिंह रंधावा ने चुनाव हारे हुए सभी प्रत्याशियों को मिलने के लिए पीसीसी दफ्तर बुलाया. प्रभारी सुखजिंदर रंधावा के सामने निर्दलीय और बसपा विधायकों की सीटों पर हारे हुए कांग्रेस उम्मीदवारों ने हंगामा कर दिया.

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13 निर्दलीय विधायकों और बसपा मूल के 6 विधायकों वाली सीटों पर हारे हुए कांग्रेस उम्मीदवारों ने प्रभारी के सामने आते ही उनकी अनदेखी का मुद्दा उठाते हुए हंगामा किया. बाद में इन्हें शांत किया गया और अलग से वन टू वन भी बात की. शाहपुरा से कांग्रेस के टिकट पर हारे मनीष यादव, नदबई से हिमांशु कटारा, खंडेला से सुभाष मील, बहरोड़ से आरसी यादव सहित हारे हुए कांग्रेस उम्मीदवारों ने प्रभारी और प्रदेशाध्यक्ष को अपना दुखड़ा सुनाया.

हारे हुए उम्मीदवारों ने कहा कि निर्दलीयों ने हर विभाग में लूट मचा रखी है. वे हर बात पर ऊपर की धमकी देते हैं, उनके सारे काम होते हैं. यादव बोले कि उन्होंने विपक्ष में रहते हुए भी संघर्ष किया और अब कांग्रेस का राज होते हुए भी पीड़ित हैं. जिस कार्यकर्ता ने विपक्ष में रहकर लाठियां खाई, खून पसीना बहाया वो आज राज में भी पीड़ित है तो आगे पार्टी के साथ कौन खड़ा होगा? मनीष यादव ने कहा कि निर्दलीयों के तांडव का कांग्रेस को नुकसान होगा. यादव ने कहा कि उन विधानसभाओं में चुनावों में कांग्रेस को भारी नुकसान होगा, क्योंकि निर्दलीयों और उनके परिजनों ने लूट खसोट की है, उसके बारे में कोई भी बता देगा.

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इधर खंडेला से चुनाव हारे सुभाष मील बोले कि ऊपर के नाम पर निर्दलीय हर किसी को धमकाते हैं. मील बोले कि निर्दलीयों की सहायता से सरकार चलाने के नाम पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो लूट इन लोगों ने मचा रखी है उसका जवाब तो जनता दे देगी. उन्होंने कहा कि चुनाव लड़े नेताओं को संगठन में मौका मिलना चाहिए.

उधर इस मामले में जब पूर्व नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ नेता रामेश्वर डूडी से पूछा गया तो उन्होनें भी माना कि इन लोगों के साथ हुआ तो गलत ही है. डूडी ने कहा कि पार्टी किसी सूरत में कमजोर नहीं होनी चाहिए इसका ध्यान संगठन और सरकार दोनों ही रखें.

चुनाव हारे नेताओं का कहना था कि राज चलाने का मतलब यह नहीं होता कि कार्यकर्ता को मरने दिया जाए. लेकिन साथ ही इन नेताओं ने प्रदेश प्रभारी रंधावा में अपना भरोसा भी जताया. उनका कहना था कि जिस तरह हारे हुए प्रत्याशियों से बात करने की पहल प्रभारी की तरफ से की गई है, उसे देखकर उन्हें लगता है कि इस मसले का समाधान भी अबकी बार तो जरूर ही निकलेगा. रंधावा ने कांग्रेस नेताओं को कहा कि निर्दलीय विधायक के सामने जहां भी पार्टी कार्यकर्ता डटे हैं वहां पार्टी को जरूर संभाला जाएगा. लेकिन सवाल यह है कि जो सरकार के दिए दवा है वो कुछ जगह संगठन के लिए दर्द है. ऐसे में क्या रंधावा इस दर्द को दूर करेंगे या दर्द के साथ जीने का तरीका पार्टी नेताओं को सिखाएंगे?

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