सरदारशहर में कांग्रेस ने खेला सहानुभूति कार्ड लेकिन हनुमान बेनीवाल बिगाड़ सकते हैं पूरा खेल
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सरदारशहर में कांग्रेस ने खेला सहानुभूति कार्ड लेकिन हनुमान बेनीवाल बिगाड़ सकते हैं पूरा खेल

 कांग्रेस पार्टी गहलोत सरकार के इस शासनकाल में अब तक 7 उपचुनाव लड़ चुकी है. जिसमें से 5 में कांग्रेस को जीत मिली है. 

सरदारशहर में कांग्रेस ने खेला सहानुभूति कार्ड लेकिन हनुमान बेनीवाल बिगाड़ सकते हैं पूरा खेल

Jaipur: राजस्थान में 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले सत्ता का सेमीफाइनल कहे जाने वाले सरदार शहर के उप चुनाव को लेकर भाजपा के बाद अब कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया है. दिवंगत विधायक भंवरलाल शर्मा के पुत्र अनिल शर्मा को कांग्रेस पार्टी ने चुनावी मैदान में उतारा है. इस टिकट के जरिए कांग्रेस ने एक बार फिर से उपचुनाव में से सहानुभूति कार्ड खेला है. पिछले कई चुनाव में भी कांग्रेस ने परिजनों को टिकट देकर ही जीत हासिल की है. कांग्रेस के नेताओं ने किसी दूसरे नाम पर विचार ही नहीं किया. सिंगल नाम राजस्थान से आला कमान को भेजा गया और अनिल शर्मा के नाम पर मुहर लग गई.

सरदारशहर के दिवंगत विधायक पंडित भंवरलाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा सरदारशहर की राजनीति में नए नहीं हैं. सन 1995 में वे सरदारशहर नगरपालिका के चैयरमेन बन गए थे. साल 2000 तक वे इस पद पर रहे. इसके बाद साल 2000 से लेकर साल 2018 तक वे सरदारशहर कांग्रेस ब्लॉक के अध्यक्ष रहे. इसके बाद उन्होंने सरदारशहर के अलावा प्रदेश की राजनीति में भी अपना कदम रखा. साल 2018 से लेकर साल 2022 तक वे प्रदेश कांग्रेस के शहरी निकाय प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे. इसके बाद उन्हें गहलोत सरकार ने राजस्थान राज्य आर्थिक पिछड़ा वर्ग बोर्ड (EWS) का चैयरमेन बनाया और राज्यमंत्री का दर्जा भी दिया. साल 2022 में वे पीसीसी सदस्य निर्वाचित हुए. इसके अलावा अनिल शर्मा राजस्थान ब्राह्मण महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं.

अनिल शर्मा का मुकाबला भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक पिंचा से होगा. हालांकि जाट बाहुल्य सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी किसी जाट उम्मीदवार को उतारने की तैयारी कर रही है जिससे मुकाबला बेहद दिलचस्प हो सकता है लेकिन कांग्रेस का मानना है कि एक बार फिर से सहानुभूति कार्ड के जरिए वह चुनाव में जीत हासिल करेगी.

दरअसल कांग्रेस पार्टी गहलोत सरकार के इस शासनकाल में अब तक 7 उपचुनाव लड़ चुकी है. जिसमें से 5 में कांग्रेस को जीत मिली है. वहीं 1 बीजेपी और 1 रालोपा ने जीता है. 5 सीटें सीटिंग एमएलए की मृत्यु से खाली हुई थी. यहां सहानुभूति की लहर ने पूरा काम किया. सुजानगढ़, सहाड़ा और वल्लभनगर में कांग्रेस ने दिवंगत विधायक के परिवार से टिकट दिया. यह तीनों सीटें कांग्रेस ने जीती. वहीं 2 सीटों पर बीजेपी का कब्जा था. राजसमंद सीट पर बीजेपी ने किरण माहेश्वरी की मृत्यु के बाद उनकी बेटी दिप्ती माहेश्वरी को टिकट दिया और वो चुनाव जीत गई. वहीं धरियावाद में बीजेपी ने दिवंगत विधायक गौतमलाल मीणा के परिवार से टिकट नहीं देकर खेत सिंह को चुनाव मैदान में उतारा. नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस ने यह उप चुनाव जीता और बीजेपी तीसरे नम्बर पर रही.

अनिल शर्मा कल नामांकन दाखिल करेंगे नामांकन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत PCC चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा के साथ पार्टी के सभी बड़े नेता शामिल होंगे. माना जा रहा है कि इस उपचुनाव में जीत के साथ कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव में पूरी तैयारी के साथ जाना चाहती है वहीं भाजपा ने जिस तरीके से अनुभवी नेताओं पर दांव लगाया है और संगठन के नेताओं को इस चुनाव में झोखा है भाजपा विधानसभा चुनाव से पहले इस चुनाव को जीतकर नई ऊर्जा हासिल करना चाहती है.

इस चुनाव को लेकर PCC चीफ का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर हार मान ली है यही वजह है कि चूरू से आने वाले राजेंद्र राठौड़ ने चार बार के हारे हुए प्रत्याशी अशोक पिंचा के नाम का समर्थन किया है वो चाहते हैं कि यह सीट खाली रहे क्योंकि शुरू में उनकी स्थिति कमजोर हो चुकी है और आने वाले दिनों में वो सरदार शहर से विधानसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी कर सकते हैं. सियासी पंडित मान रहे हैं कि इस सीट पर लोकतांत्रिक पार्टी दोनों ही दलों का खेल बिगड़ सकती है लिहाजा मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है.

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