डॉ. अनिल शर्मा का कहना है कि सामान्यतः ओपन हार्ट सर्जरी के दौरान सीने की हड्डी को काटा जाता है लेकिन अब बिना हड्डी काटे हार्ट के अलग-अलग ऑपरेशन किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि काफी समय पहले SMS अस्पताल में भी ओपन हार्ट सर्जरी सीने की हड्डी को काट कर की जाती थी. शर्मा का कहना है कि इस तकनीक के बाद काफी कम खर्चे में और काफी कम समय में मरीज के हार्ट का ऑपरेशन संभव हो पाया है.
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Jaipur: राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएमएस के एक चिकित्सक पिछले कुछ सालों से एक ऐसी मुहिम पर हैं, जिसमें वह एक अलग तकनीक से इलाज कर रहे हैं.
इस नई तकनीक को शुरू करने के पीछे बहुत ही बड़ा कारण है. चिकित्सकों की ओर से इजाद की गई इलाज की इस नई तकनीक से अब तक बड़ी संख्या में मरीजों की जान बचाई जा चुकी है.
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हाल ही में एसएमएस अस्पताल के कार्डियो थोरोसिस एंड वैस्कुलर सर्जरी डिपार्टमेंट की ओर से 6 साल के एक छोटे बच्चे का हार्ट ऑपरेशन किया गया. ये बच्चा एक दुर्लभ बीमारी टोसिंग बिंग यानी दिल में छेद से पीड़ित था और अस्पताल के चिकित्सकों ने इस जन्मजात विकृति को मात्र एक छोटे से चीरे से ऑपरेट किया और बच्चा अब बिल्कुल स्वस्थ है.
डॉक्टर अनिल शर्मा ने इस मुहिम के पीछे की असली वजह ZEE Media बताई. डॉ. अनिल शर्मा एक किस्सा बताते हुए कहा कि काफी साल पहले एक लड़की की ओपन हार्ट सर्जरी उन्होंने की थी, इस दौरान छाती पर एक बड़ा चीरा लगाया गया लेकिन इस चीरे के कारण लड़की का विवाह होना मुश्किल हो गया. ये बात डॉ. अनिल शर्मा को परेशान करने वाली थी क्योंकि युवती के पिता ने बताया कि लड़के ने विवाह के लिए सिर्फ इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि युवती के छाती पर ऑपरेशन के चलते चीरे का निशान था. यही एक कारण था कि डॉ. अनिल शर्मा और उनकी टीम ने एसएमएस अस्पताल में हार्ट के ऑपरेशन के लिए एक नई तकनीकी को इजाद किया, जिसमें बिना छाती की हड्डी काटे हार्ट सर्जरी जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में की जा रही है.
बिना हड्डी काटे हार्ट के ऑपरेशन
डॉ. अनिल शर्मा का कहना है कि सामान्यतः ओपन हार्ट सर्जरी के दौरान सीने की हड्डी को काटा जाता है लेकिन अब बिना हड्डी काटे हार्ट के अलग-अलग ऑपरेशन किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि काफी समय पहले SMS अस्पताल में भी ओपन हार्ट सर्जरी सीने की हड्डी को काट कर की जाती थी. शर्मा का कहना है कि इस तकनीक के बाद काफी कम खर्चे में और काफी कम समय में मरीज के हार्ट का ऑपरेशन संभव हो पाया है. तकनीक कामयाब होने के बाद अब छोटे बच्चों में भी सिर्फ छोटा सा चीरा लगाकर हार्ट का ऑपरेशन किया जा रहा है. अब तक 60 से अधिक दिल की बीमारी से पीड़ित छोटे बच्चों को नया जीवनदान डॉ अनिल शर्मा और उनकी टीम ने दिया है. इसके अलावा इस तकनीकी की सहायता से एक हजार से अधिक वयस्कों का इलाज किया गया है.
छोटे चीरे से सर्जरी के फायदे
डॉ. अनिल शर्मा का कहना है कि छोटे चीरे से जब मरीज का ऑपरेशन किया जाता है तो यह काफी कम खर्चीला होता है. इसके अलावा यह सर्जरी पारम्परिक उपकरणों की सहायता से की जा सकती है. इसके लिए बहुत अत्यधिक खर्च और विशिष्ट उपकरणों की आवश्यकता नहीं होती है.
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