राजस्थान में जल जीवन मिशन में विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. सरपंचों के बाद अब कॉन्ट्रेक्टर्स ने भी नई शर्त का विरोध जताया है. जलदाय विभाग ने 1 लाख लीटर तक OHSR टंकी बनाने के लिए शर्त रख दी. अब कॉन्ट्रेक्टर्स को OHSR बनाने के लिए 1/3 अनुभव की कंडीशन लगाई है.
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Jaipur: राजस्थान में जल जीवन मिशन में विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. सरपंचों के बाद अब कॉन्ट्रेक्टर्स ने भी नई शर्त का विरोध जताया है. जलदाय विभाग ने 1 लाख लीटर तक OHSR टंकी बनाने के लिए शर्त रख दी. अब कॉन्ट्रेक्टर्स को OHSR बनाने के लिए 1/3 अनुभव की कंडीशन लगाई है. यानि 33 हजार लीटर तक ही टंकी बनाने का अनुभव कॉन्ट्रेक्टर्स के लिए जरूरी होगा. इस संबंध में चीफ इंजीनियर टैक्नीकल संदीप शर्मा ने आदेश जारी किए है.
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ऑल राज. पीएचईडी कॉन्ट्रेक्टर यूनियन ने दावा किया है कि इस विभाग में 1 लाख लीटर से कम टंकी का निर्माण ही होता. ऐसे में कॉन्ट्रेक्टर अनुभव 33 हजार लीटर तक टंकी निर्माण का अनुभव कहां से लाए. पहले टंकी निर्माण के लिए किसी तरह के अनुभव की शर्त ही नहीं थी. इस फैसले से जल जीवन मिशन (Jal Jivan Mission) का काम प्रभावित होगा और काम की गति धीमी होगी.
इस आदेश के विरोध में ऑल राजस्थान पीएचईडी कॉन्ट्रेक्टर यूनियन ने जलदाय मंत्री महेश जोशी (Mahesh Joshi), जल जीवन मिशन के डॉयरेक्टर और मुख्य अभियंता टैक्नीकल को चिट्टी लिखी है. यूनियन के अध्यक्ष सतीश दाधीच का कहना है कि इस फैसले से बड़े चुनिंदा कॉन्ट्रेक्टर्स ही भाग ले पाएंगे. ऐसे में इस आदेश से अधिकतर कॉन्ट्रेक्टर बाहर हो जाएंगे और विभाग में प्रतिस्पर्धा खत्म हो जाएगी. इसलिए विभाग को अपना आदेश वापस लेना चाहिए. कॉन्ट्रेक्टर यूनियन इस आदेश का विरोध करता है.
इसके अलावा पहले 10 प्रतिशत एक्साईज ड्यूटी कॉन्टेक्टर को मिलती थी, लेकिन अब जीएसटी (GST) आने के बाद एक्साईज ड्यूटी खत्म हो गई और जीएसटी का 18 प्रतिशत भार और पड़ गया. इससे कुल 28 प्रतिशत का भार कॉन्टैक्टर पर बढा. यदि सरकार अपने स्तर पर सेंटर पर चेजिंग करती है तो ये भार कम होगा और क्वालिटी में सुधार आएगा.