Diwali 2022 : इस दीवाली हर दीया कुछ कहता है, तो जानिए आपका दीपक क्या कहता है..
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Diwali 2022 : इस दीवाली हर दीया कुछ कहता है, तो जानिए आपका दीपक क्या कहता है..

Diwali 2022 : रोशनी का त्यौहार दीवाली खुशियों की सौगात लेकर आता है. अपनों को अपनों के और पास लेकर आता है. दीपावली के पांच दिन के पर्व का आगाज हो गया है. ऐसे में हर तरफ सिर्फ रोशनी है उम्मीद है उत्साह है

Diwali 2022 : इस दीवाली हर दीया कुछ कहता है, तो जानिए आपका दीपक क्या कहता है..

Diwali 2022 : रोशनी का त्यौहार दीवाली खुशियों की सौगात लेकर आता है. अपनों को अपनों के और पास लेकर आता है. दीपावली के पांच दिन के पर्व का आगाज हो गया है. ऐसे में हर तरफ सिर्फ रोशनी है उम्मीद है उत्साह है. तो चलिए आज आपको बताते है दीये और दीवाली की कहानी. 

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एक कुम्हार मिट्टी को अपने हाथों और चाक पर रखकर कई तरह के आकार दे सकता है, इसमें सबसे खूबसूरत आकर होता है दीपक का. जो दिखने में भले ही छोटा होता है लेकिन उसकी विशालता है कि वह हर अमावस के अंधेरे को दूर करने का साहस रखता है, बस जरूरत है तो उसमें बाती के जुड़ने की. 

दीवाली में चाहे कितनी ही लाइट लगा लें पर जो खुशी आज भी दीया लगाने में होती है, वो लाइट्स में नहीं. मिट्टी के दिये ने अपने अनगढ़ रूप से लेकर आज समय के साथ बदलते हुए, तरह-तरह के आकार का सफर तय किया है. दिवाली और दीपक का रिश्ता अटूट है जो आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से चला आ रहा है. 

खुशियों का प्रतीक है दीपक 

अंधेरे में रोशनी, निराशा में आशा, अपनों के इंतजार की परिभाषा, दादी नानी की कहानियों सा सच्चा, प्रेमी प्रेमिका के प्यार के किस्सों वादों और कसमों का गवाह है दिया और बाती. चाहे राम के सीता लक्ष्मण सहित अयोध्या आने की खुशी हो, चाहे कोई मुराद पूरी होने पर ईश्वर को दिया गया धन्यवाद हो, दीपक जलाएं बिना अधूरा सा लगता है. दीपक बाती के बिना अधूरा है, तो पूजा की थाली और दिवाली दीपक के बिना अधूरी है. तभी तो बचपन की दूसरी या तीसरी कक्षा में एक कविता में सिखाया गया है, दीप जले आई दीवाली, जो बच्चों को सिखाती है कि दीपक जलाने का मतलब दीवाली होता है.

अंधेरे में रोशनी है दीपक 

अक्सर बड़े बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि एक दीया सारे अंधकार को हर लेता है. अंधेरा लाख कोशिश करले अपना प्रभाव जमाने की लेकिन दीपक की लौ जलते ही अंधेरे की कहानी खत्म होने लगती है. दीपक सिखाता है कि निराशा के अंधेरे जिंदगी में चाहे कितने ही गहरे क्यों ना हो आशा उस दीये की तरह है जो हर अंधेरे को एक पल में खत्म कर देती है. अक्सर देखा होगा कि मंदिर में जब हम कोई इच्छा, आशा या उम्मीद लेकर जाते है तो दीया जलाकर आते है वो दीया हमारी इच्छा पूरी नहीं करता है बल्कि हमें उम्मीद देता है कि विश्वास देता है कि ईश्वर तक बात पहुच गयी है. एक दीपक जब जलता है तो सारे अविशवास , अंधेरे और निराशा को खत्म कर देता है. ये बात हम कोरोना काल के दौरान बखूबी देख चुके है जब , कोविड19 से लड़कर जितने की आशा में हम सबसे एक दीया जलाया था.  इसलिए इस दिवाली एक आश का दीया जरूर जलाये. 

नेगेटिविटी को दूर करता है दीया 

दीया सिर्फ अंधेरे को ही नहीं बल्कि हमारी नेगेटिविटी को भी दूर करता है. यही कारण है कि अध्यात्म में दीपक की रोशनी को सबसे प्रमुख स्थान दिया गया है. मेडिटेशन के दौरान एकाग्रता बढ़ाने के लिए, ध्यान केंद्रित करने के लिए दीपक की लौ देखने से ही शुरुआत की जाती है. जिससे मन शांत होता है. ध्यान केंद्रित होता है और शरीर के सातों चक्रों को जागृत करने का आरंभ होता है. इस दीवाली दीया जलाकर सिर्फ 1 मिनट तक उसकी लौ को देखिएगा आपको खुद अनुभव होगा कि वाकई एक दीपक और उसकी लौ में आपके चंचल मन को स्थिर करने की कितनी गजब की क्षमता है. 

पढ़ाई करने वालों को अपनी पढ़ाई शुरू करने से पहले सिर्फ 10 मिनट तक दीपक की लौ को एकाग्र होकर देखना चाहिए, फिर पढ़ाई शुरू करनी चाहिए जिससे उन्हें पढ़ हुआ याद भी रहेगा और एकाग्रता भी बढ़ेगी. इस दीवाली एक दीया पॉजीटिविटी के नाम.

समर्पण सिखाता है दिया और बाती का रिश्ता
दिया और बाती ये दो शब्द जीवन की सबसे अच्छी परिभाषा बताते है. जैसे दिया और बाती एक दूसरे के बिना अधूरे है और दोनों को देखिए दीया जानता है कि बाती को एक दिन जल जाना है, उससे दूर होना ही है लेकिन फिर भी वो उसे अपने अंदर अपने दिल मे जगह देता है और खुशी खुशी उसे साथ तब तक रहता है जब तक बाती खत्म ना हो जाये, तो वहीं समर्पण बाती का भी है जो जानती है उसे अंधरे को दूर करना है और इसके लिए उसे जलना ही होगा और अपबे दीपक से हमेशा के लिए दूर होना होगा. फिर भी वो जलती है ये उसका समर्पण है. वैसे ही जीवन में भी समर्पण का होना बहुत जरूरी है चाहे को काम के लिए हो, अपने लिए हो या फिर अपनों के लिए हो. 

लक्ष्य को पाना है तो दीपक की तरह जलना सिखो 

जीवन में अगर आपका लक्ष्य आसानी से मिल जाये तो समझों की वो लक्ष्य आपका था ही नहीं, क्योंकि लक्ष्य तक पहुँचने का सफर एक सपने से शुरू जोटा है जो बेहद खूबसूरत होता है लेकिन जैसे दीपक की रोशनी बेहद खूबसूरत लगती है पर उसकी जलन उसकी तपिश किसी को नजर नहीं आती. ऐसे जीवन में लक्ष्य को अगर हासिल करना है तो सबसे पहले मेहनत की आग में जलना सीखना होगा , जिंदगी में बहुत कुछ पाना है तो पहले खोना सीखना होगा. जैसे दीपक का लक्ष्य है अंधेरे को दूर करना और उसके लिए उसके लिए उसे बाती को खोना पड़ता है. इसलिए जीवन में जो भी लक्ष्य बनाया है जो सपना देखा है उसे पूरा करने के लिए जी जान लगा दो , फिर देखना रोशनी का पूरा संसार तुम्हारा होगा. 

तो इस दीवाली 2022  सिर्फ एक दीया जरूर जलाना उम्मीदों का , आशाओं का, सम्मान का और सपनों का और सोचना की आपका दीया कौनसा है? इस दीवाली उस दीये को अपनाना जो प्रेम , स्नेह और अपनेपन का एहसास दें. दिवाली रोशनी का पर्व है ऐसे में अपने जीवन से निराशा को दूर कर आशा का एक दीपक तो जरूर जलाना. इसी के साथ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.

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