गांधी परिवार के विश्वस्त नेताओं के Jaipur दौरे के क्या है मायने, कुमारी शैलजा के बाद अब डीके शिवकुमार ने भी की CM से मुलाकात
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गांधी परिवार के विश्वस्त नेताओं के Jaipur दौरे के क्या है मायने, कुमारी शैलजा के बाद अब डीके शिवकुमार ने भी की CM से मुलाकात

राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल का इंतजार कर रहे कांग्रेस के नेताओं के लिए इन दिनों दिल्ली दरबार के विश्वस्त नेताओं के जयपुर दौरे अबूझ पहेली बने हुए हैं. 

गहलोत से मिलने जयपुर पहुंचे डीके शिवकुमार.

Jaipur : राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल का इंतजार कर रहे कांग्रेस के नेताओं के लिए इन दिनों दिल्ली दरबार के विश्वस्त नेताओं के जयपुर दौरे अबूझ पहेली बने हुए हैं. एक दिन पहले सोनिया गांधी की बेहद करीबी और हरियाणा कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा कि अचानक जयपुर यात्रा के बाद आज राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बेहद करीबी नेता और कर्नाटका कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार (DK Shivkumar) की जयपुर आकर अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) से खास मुलाकात सियासी हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है. 

दोनों नेताओं का इस तरह से जयपुर आना अशोक गहलोत से मिलकर वापस दिल्ली लौटना बता रहा है कि मकसद केवल मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल (Rajasthan Cabinet Reshuffle) नहीं मामला इससे कहीं अधिक बड़ा है. दोनों नेता आलाकमान का कोई खास संदेश लेकर आए हैं. चाहे गहलोत कैंप के नेता हो या फिर पायलट कैंप के अब राजस्थान कांग्रेस में हर कोई सीएम के साथ होने वाली इन मुलाकातों को डी-कोड करने में जुटा है.

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राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार फेरबदल और संगठन (Rajasthan Cabinet Expansion) में नियुक्तियों की कवायद के बीच गांधी परिवार के विश्वस्त कहे जाने वाले नेताओं के जयपुर दौरे और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनकी विशेष मुलाकात कई इशारे करने लगी है. राजस्थान के सियासी हलकों में अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या गहलोत पायलट के बीच विस्तार फेरबदल को लेकर फंसे पेंच के मद्देनजर ही यह मुलाकाते हो रही है या इन मुलाकातों के मायने कुछ और हैं. 

सवाल यह भी पूछा जा रहा है कि सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की बेहद करीबी माने जाने वाली कुमारी शैलजा की जयपुर में अशोक गहलोत से मुलाकात के बाद अब राहुल गांधी के बेहद करीबी कर्नाटका पीसीसी के अध्यक्ष डीके शिवकुमार की जयपुर यात्रा और सीएम का उनसे मिलना क्या महेश एक शिष्टाचार मुलाकात है या यह दोनों नेता अशोक गहलोत के लिए आलाकमान का कोई विशेष संदेश लेकर आए हैं. क्या दोनों नेताओं ने जिस तरीके से मीडिया के समक्ष अपनी यात्रा को निजी बताया है वह सच है या फिर इन यात्राओं के पीछे आलाकमान का कोई विशेष एजेंडा है.

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दरअसल कोरोना काल के चलते एक लंबा समय हो गया है जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली नहीं गए हैं. इस दौरान कई बार प्रभारी अजय माकन, संगठन महासचिव वेणुगोपाल राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पवन बंसल के अलावा दिल्ली के कई नेताओं ने आकर सीएम से मुलाकात की है, लेकिन उन नेताओं की यात्राओं और मुलाकातों का मकसद स्पष्ट और साफ था, लेकिन कुमारी शैलजा और डीके शिवकुमार का अचानक जयपुर आना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलना और फिर दिल्ली जाना बता रहा है कि इस बार कारण कुछ अलग नजर आ रहे हैं. 

बड़ी बात यह है कि दोनों नेता दो अलग-अलग राज्यों के पीसीसी अध्यक्ष हैं. कुमारी शैलजा हरियाणा में पीसीसी अध्यक्ष है तो डीके शिवकुमार को भी कर्नाटका में पीसीसी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है. कुमारी शैलजा के अशोक गहलोत के साथ संबंध बहुत अच्छे हैं. राजस्थान में विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Election) के समय स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन के तौर पर उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही थी. वहीं, कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कांग्रेस को सत्ता में लाने में अहम रोल रहा था. दोनों ही नेता गांधी परिवार के बेहद करीबी हैं. माना जा रहा है कि गांधी परिवार का कोई अहम और खास संदेश अशोक गहलोत के लिए लेकर आए हैं.

दरअसल हाल ही में अजय माकन जयपुर में 3 दिनों तक सत्ता और संगठन को लेकर फीडबैक राहुल गांधी को बदलाव फेरबदल को पूरा ब्लूप्रिंट सौंप दिया, लेकिन उस पर अभी तक कोई एक्शन नहीं हुआ है. वहीं, दूसरी कहा जा रहा है कि अपने स्वास्थ्य की जांच करवाने के लिए सोनिया गांधी 5 अगस्त को अमेरिका जा रही है. उससे पहले मंत्रिमंडल विस्तार फेरबदल को लेकर निर्णय नहीं हुआ तो मामला लंबा लटक जाएगा. ऐसे में सवाल यह है कि क्या फिर डीके शिवकुमार की यह जयपुर यात्रा केवल मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल को लेकर है. सवाल यह भी कि आखिर वह कौन सा संदेश है जिसे देने के लिए दो अलग-अलग पीसीसी अध्यक्ष को जयपुर आना पड़ा है. यह एक ऐसा सवाल है जिसको राजस्थान में हर कोई कांग्रेस नेता डी- कोड करने की कोशिश कर रहा है. साथ ही इन नेताओं की इन यात्राओं से राजस्थान कांग्रेस में गहलोत और पायलट कैंप के नेता आने वाले दिनों की आहट को भांपने की भी कवायद में जुटे हैं.

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