गंगा-जमुनी तहजीब! मथुरा का मुस्लिम परिवार बनाता है जयपुर का सबसे बड़ा रावण का पुतला
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गंगा-जमुनी तहजीब! मथुरा का मुस्लिम परिवार बनाता है जयपुर का सबसे बड़ा रावण का पुतला

Jaipur Dussehra:  धार्मिक सौहार्द्र की उम्दा मिसाल पेश करते हुए गुलाबीनगरी के आदर्श दशहरा मैदान में रावण और कुम्भकर्ण का पुतला मथुरा का मुस्लिम परिवार 67 साल से बनाता हुआ आ रहा है. 

 गंगा-जमुनी तहजीब! मथुरा का मुस्लिम परिवार बनाता है जयपुर का सबसे बड़ा रावण का पुतला

Jaipur Dussehra: धार्मिक सौहार्द्र की उम्दा मिसाल पेश करते हुए गुलाबीनगरी के आदर्श दशहरा मैदान में रावण और कुम्भकर्ण का पुतला मथुरा का मुस्लिम परिवार 67 साल से बनाता हुआ आ रहा है. ये उनके लिए सिर्फ बिजनेस नहीं है. बल्कि पुतले बनाते समय इस बात का ख्याल रखा जाता है की दशहरा के दिन इस खास दिन हिंदू लोग रावण के पुतलों को देखकर वैसा ही महसूस करें जैसा की उन्होंने उसके बारे में सुना और पढ़ा है. दशहरे के दिन जब सैकडों हिंदू परिवार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतिक के रूप में इस पुतलों को जलते हुए देखते हैं तो उन्हे खुशी होती है. 67 साल पांच पीढ़ी हर बार 25 सदस्यों का दल.

जन्माष्टमी के बाद  रावण का पुतला बनाने में जुटी
यह कहानी है मथुरा के उस मुस्लिम परिवार की जो जन्माष्टमी के दो दिन बाद जयपुर पहुंचकर गुलाबी नगरी के सबसे बडे रावण का पुतला बनाने में जुट जाता है. गंगा-जमुनी तहजीब को मुस्लिम परिवार की पांच पीढ़ियां यू ही आगे बढ़ा रही है. 25 सदस्यों के इस दल में सबसे छोटा सदस्य 7 साल का मोहम्मद रजा कादरी और सबसे बडे सदस्य 68 साल के लक्खूभाई रावण वाले शामिल हैं. विजयदशमी पर आदर्श नगर के दशहरा मैदान में करीब 105 फीट के रावण और 95 फीट के कुम्भकर्ण के दहन को देखने के लिए ना केवल शहर से बल्कि दूर दूर से लोग आते हैं. जिसे मुस्लिम परिवार 45 दिन की बडी मेहनत के बाद तैयार करता है. मथुरा निवासी लखोभाई की पांच पीढी श्रीराम मंदिर प्रन्यास श्रीसनातन धर्मसभा आदर्श नगर के लिए रावण बना रही है.आज से 67 साल पहले लखोभाई के दादा नईम बक्स आतिशबाज यहां रावण बनाने आए थे. उसके बाद पिता सुबान बक्स, बडे भाई अबरार हुसैन रावण बनाते थे. 

उसके बाद से वे इस काम को अंजाम दे रहे हैं. इस बार उनकी देखरेख में उनके बेट पोते पोती रावण का पुतला बनाने में जुटे हुए हैं. इस काम में परिवार की महिलाएं भी पीछे नहीं है. जाति से ये परिवार मुसलमान है. मगर जाति का बंधन उनके काम के कभी आड़े नहीं आया.हर साल डेढ़ महीने तक दिन-रात मेहनत करके ये लोग हर साल रावण और मेघनाद के पुतले का निर्माण करते हैं. मेहनताना बहुत ज्यादा नहीं मिलता, लेकिन इस काम को करने में जो खुशी मिलती है, वहीं इस परिवार को हर साल जयपुर खींच लाती है. इस बार 105 फुट ऊंचे रावण और 95 फुट के कुम्भकर्ण के पुतले का निर्माण किया जा रहा है. 

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रावण का 25 फीट ऊंचा मुकुट
इस बार रावण का 25 फीट ऊंचा मुकुट खास रहने वाला है. मुकुट में हीरे-मोती और रत्न जडे हुए नजर आएंगे.मथुरा से आए कारीगरों ने बताया की इस बार जो रावण और मेघनाथ के पुतले के लिए विशेष मुकुट बनाया गया है ऐसा मुकुट आज तक किसी ने नहीं बनाया.रावण के मुहं और आंख में मोम को इस प्रकार भरा जाएगा की जैसे ही पुतले में आग लगाई जाएगी तो वो गुस्से में दिखाई देगा उसके मुहं से अंगारे बरसते हुए नजर आएंगे. किसी के साथ ही रावण के मुकुट को भी आकर्षक गोल्डन रंग दिया गया है जो दूर से ही दिखाई देगा.

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 इसी के साथ ही रावण के मुकुट सहित पूरे पटल पर विशेष एलइडी लाइट लगाई गई है जो आकर्षण का केंद्र बनेगी. दोपहर में राम बारात का आयोजन श्री राम मंदिर से किया जाएगा जो शहर के विभिन्न मार्गो से गुजरती हुई दशहरा मैदान पहुंचेगी और शाम के समय रावण दहन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. हर बार रावण और कुंभकरण के पुतले अलग अलग तरीकों से डिजाइन किए जाते हैं जिससे शहर वासियों को कुछ नए होने का आभास नजर आए. इस बार विशेष आतिशबाजी भी करी जाएगी जो जयपुर शहर में आकर्षण का केंद्र बनेगी.

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