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Jaipur News : खराब मौसम, कम दृश्यता, ट्रैफिक कन्जेशन या किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में जयपुर एयरपोर्ट पर सुरक्षित लैंडिंग हुई. उत्तर भारत के अन्य एयरपोर्ट्स के लिए इन दिनों जयपुर एयरपोर्ट वरदान साबित हो रहा है. पिछले 3 माह में ख़राब मौसम के चलते जयपुर एयरपोर्ट पर भारत के अन्य हिस्सों से 84 फ्लाइट्स डायवर्ट होकर पहुंची और इनकी सुरक्षित लैंडिंग भी कराई गई.
जयपुर सबसे सुरक्षित विकल्प 3 माह में 84 फ्लाइट्स डयवर्ट होकर जयपुर एयरपोर्ट पर लैंड हुई. सबसे अधिक इनबाउंड डायवर्जन मार्च के महीने में देखने को मिले जिसकी संख्या 42 रही. फरवरी में 19 फ्लाइट्स और जनवरी में 23 डायवर्टेड फ्लाइट्स की लैंडिंग जयपुर एयरपोर्ट पर हुई. इंडिगो, गो फर्स्ट और एयर इंडिया की सबसे अधिक फ्लाइट्स डायवर्ट हो कर जयपुर लैंड हुई. ज्यादातर फ्लाइट्स का डायवर्सन दिल्ली, चंडीगढ़, भोपाल, अमृतसर, कोलकाता, अहमदाबाद, आगरा, लखनऊ जैसे शहरों से हुआ.
जयपुर एयरपोर्ट पर विमानों के संचालन के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं की मौजूदगी के चलते किसी भी विमान की किसी भी परिस्थिति में लैंडिंग कराई जा सकती हैं. पिछले एक वर्ष में रनवे पर लगे उपकरणों की न सिर्फ तकनिकी क्षमताओं में वृद्धि की गई हैं बल्कि नए उपकरण भी लगाए गए हैं. इस कारण से जयपुर एयरपोर्ट पर इनबाउंड डायवर्जन की संख्या निरंतर बढ़ रही है.
जयपुर एयरपोर्ट पर कैटेगरी 3 बी नेविगेशन प्रणाली विषम परिस्थितियों में भी विमान को सुरक्षित लैंड करने में सहायक होती है. ये प्रणाली 300 मीटर से कम दृश्यता या दृश्यता के न होने की स्थिति में भी सुरक्षित लैंडिंग में सहायक होती हैं. कई बार सर्दी के मौसम में अन्य एयरपोर्ट पर एयर ट्रैफिक कंजेशन के हालात होते हैं या फिर कोहरे की वजह से दृश्यता कम हो जाती है. ऐसे में सुरक्षित लैंडिंग के लिहाज़ से जयपुर एयरपोर्ट सबसे सुरक्षित विकल्प माना जाता है.
इसी तरह रनवे विसुअल रेंज (आरवीआर) एक और तक्नीकी उपलब्धता है जो 50 मीटर की दृश्यता पर विमान को उतरने में मदद करता है. अभी तक एयरपोर्ट के रनवे पर 4 आरवीआर मशीने लगाई जा चुकी है. पिछले साल लगे सर्विलांस राडार भी विमानों की रियल टाइम सर्विलांस मॉनिटर करते है. जो डायवर्जन के समय एयरपोर्ट पर एयर ट्रैफिक को सुचारु रखने के लिए बेहद खास है. , एयरपोर्ट का रनवे उच्च श्रेणी का बना हुआ है. रनवे की लंबाई 11500 फुट है, जिस पर कैटेगरी E के विमान भी आसानी से लैंड हो सकते हैं. कैटेगरी E यानी 335 से लेकर 420 यात्री क्षमता के बड़े आकार के विमान भी यहां सुगमता से लैंड हो सकते हैं.
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