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Jaipur : शहरों के विकास के लिए नगर पालिका बनाई गई है, लेकिन नगर पालिका प्रशासन लापरवाही करे तो उस शहर का विकास कैसे हो सकता है. जयपुर की चौमूं नगर पालिका की लापरवाही की वजह से इन दिनों शहर के लोग परेशान हैं. नगर पालिका अब नरक पालिका बन चुकी है.
जयपुर की चौमूं नगर पालिका (Chomu Nagar Palika) की कार्यशैली अक्सर विवादों में रही है. शहर में पिछले पांच दिन से कचरा नहीं उठ रहा है. सड़कों पर कचरे के ढेर लगे हुए हैं. नगर पालिका में कचरे से भरे ऑटो टीपर भी खड़े हैं. अब तो शहर के लोग भी नगर पालिका को नरक पालिका बताने लगे हैं. शहर की सड़कों पर फैला कचरा लोगों के लिए मुसीबत बन चुका है.
दरअसल यह विवाद तब उपजा जब नगरपालिका ने करीब 4 साल से चल रहे अस्थाई कचरा डिपो का टेंडर निरस्त कर दिया और नई जगह पर टेंडर जारी कर दिया. नई जगह पर टेंडर जारी होने के बाद से ही विरोध शुरू हो गया. दरअसल हाईवे के किनारे लाल कुई के पास 75 रुपये हजार रुपये प्रतिमाह में कचरा डिपो के लिए नगर पालिका ने भूमि किराए पर ली है. जबकि इससे पहले 50 हजार प्रतिमाह किराए की भूमि पर कचरा डिपो चल रहा था.
अब नए कचरा डिपो (Garbage Depot) का विरोध शुरू हो गया है. आज बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरुषों ने नगरपालिका के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया. स्थानीय लोगो ने कहा किसी भी सूरत में यहां कचरा नहीं डालने दिया जाएगा.
इतना ही नहीं नगर पालिका में टेंडर को निकालने में हुए भ्रष्टाचार (Corruption) से भी इंकार नहीं किया जा सकता. बीजेपी पार्षद बाबुलाल यादव ने इस टेंडर को निकालने में अनियमितताएं बरतने का आरोप लगाया है. इस को लेकर नगर पालिका अधिशासी अधिकारी को पत्र भी लिखा है. टेंडर के नियम और शर्तों की बात की जाए तो नगर पालिका से किसी भी अधिकारी, कर्मचारी, पार्षद से संवेदक, निविदादाता का कोई संबंध नहीं होना चाहिए.
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बीजेपी पार्षद बाबूलाल यादव ने बताया कि जिस जगह पर टेंडर दिया गया है वह एक पार्षद के नजदीकी रिश्तेदार की भूमि है. इसकी जमाबंदी भी अधिशासी अधिकारी को पत्र के साथ दी गई है. अधिशासी अधिकारी ने लोगों के विरोध के चलते इस टेंडर को निरस्त करने की अनुशंसा भी कर दी है, लेकिन फाइल चेयरमैन की टेबल पर जाकर अटक गई. अब चेयरमैन साहब अपनी जिद पर अड़े हैं और टेंडर को यथावत रखना चाहते हैं. इधर ,अधिशासी अधिकारी वर्षा चौधरी ने टेंडर को निरस्त करने के लिए अब डीएलबी को भी पत्र लिख दिया है. वर्षा चौधरी इस पूरे मामले को लेकर कहती है कि लोगों के विरोध के चलते टेंडर निरस्त किया गया है. वहीं, अस्थाई तौर पर जलदाय विभाग की भूमि पर कचरा संग्रहण करने का काम किया जाएगा.
अब हैरानी तो तब होती है जब करीब 4 साल से 50 हजार रुपये प्रति माह में भूमि किराए पर लेकर कचरा संग्रहण किया जा रहा था. यहां किसी का विरोध नहीं था, लेकिन आखिरकार नया टेंडर और नई भूमि को अधिक किराए पर नगर पालिका को क्यो लेना चाहती है और चेयरमैन साहब का इस भूमि से क्या इंटरेस्ट है. जो इस नियम विरुद्ध निकाले गए टेंडर को निरस्त नहीं करना चाह रहे हैं. विरोध कर रहे लोगों ने भी यह साफ कर दिया है कि इस जगह पर कचरा किसी भी सूरत में नहीं डालनी दिया जाएगा.