हथेली पर खोया की गोली बनाएं. अगर यह फटने लग जाए तो समझिए मावा नकली है या इसमें मिलावट की गई है.
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Jaipur: दिवाली के त्योहार में महज कुछ दिन शेष हैं. इसी के साथ आपकी सेहत के साथ खिलवाड़ करने वाले सौदागर भी बाजार में मिलावट के साथ सक्रिय हो चुके हैं. दीपावली के त्योहार पर मिलावटी मावे से बनी मिठाइयों को घरों तक पहुंचाने के लिए मिलावटखोर पूरी तरह सक्रिय हैं. प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई में रोज मिलावट की खेप पकड़ में आ रही है. ऐसे में आशंका है कि दुकानों तक पहुंचने वाले मावा, दूध ,पनीर ,घी और अन्य खादय पदार्थों मे बड़ी संख्या में मिलावट हो सकती है.
इस दीपावली रंगों वाली मिठाई से दूरी बनाएं. सिंथेटिक कलर आपकी सेहत के लिए घातक हो सकता है.
- मावा या खोया को अपने अंगूठे के नाखून पर रगड़ें. अलग यह असली है तो इसमें से घी की महक आएगी और खुशबू देर तक रहेगी.
- हथेली पर खोया की गोली बनाएं. अगर यह फटने लग जाए तो समझिए मावा नकली है या इसमें मिलावट की गई है.
- 2 ग्राम मावा का 5 मिलीलीटर गरम पानी में घोल लें और इसे ठंडा होने दें. ठंडा होने के बाद इसमें टिंचर आयोडीन सॉल्यूशन डालें. अगर खोया नकली होगा तो इसका रंग नीला हो जाएगा.
- मावे में थोड़ी चीनी डालकर गरम करने अगर यह पानी छोड़ने लगे तो यह नकली है.
-थोड़ा मावा आप खाकर देखिए अगर असली होगा तो मुंह में नहीं चिपकेगा जबकि नकली मावा चिपक जाएगा.
- असली मावे को खाने पर कच्चे दूध जैसा आएगा.
- नकली मावे को परखने के लिए पानी में डालकर फेंटने से वह दानेदार टुकड़ों में अलग हो जाएगा.
असली खोया को पहचानने का सबसे आसान तरीका यह भी है कि असली मावा चिपचिपा नहीं होता.
- चखकर भी असली खोया की पहचान की जा सकती है. चखने पर अगर मावे का स्वाद कसैला आता है तो मावा नकली हो सकता है.
- वहीं अगर मावा खरीद रहे हैं तो अपनी विश्वसनीय दुकान से ही खरीदें.
- आप दुकान से मावा बनाने की तारीख पूछ सकते हैं. अगर मावा दो दिन से ज्यादा पुराना हो न खरीदें.
- कच्चे मावा से बेहतर सिका हुआ मावा लें तो मिठाई बढ़िया बनेंगी और खराब होने की संभावना कम हो सकती है.
क्या हो सकता है ऐसे मावे की मिठाइयां खाने से
- नकली मावे के कारण फूड पॉइजनिंग, उल्टी, पेट दर्द होने का खतरा हो सकता है.
- मावे में घटिया किस्म का सॉलिड मिल्क मिलाया जाता है. इसमें टेलकम पाउडर, चूना, चॉक और सफेद केमिकल्स जैसी चीजों की मिलावट भी होती है.
पिछले दिनों राजस्थान मे मिलावट की स्थिति
राजस्थान में जनवरी से लेकर जयपुर, अलवर, अजमेर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, कोटा समेत प्रदेशभर में मसालों के 1106 नमूनों में से 310 मिलावटी मिले है. यानि 28 फीसदी मिलावटी पाए गए है. मिलावटी वाले सैम्पल में 100 सब्सटेंडर्ड, 94 मिस ब्रांड और 70 नमूने अनसेफ यानि मानव के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक पाए गए है.दीपावली से पहले राजस्थान में चलाए जा रहे ‘शुद्ध के लिए युद्ध’ अभियान के तहत बड़े पैमाने पर मिलावटी दूध, पनीर और मावे के खिलाफ कार्रवाइयां की जा रही है. इसके तहत राजस्थान के मेवात इलाके में स्थित अलवर जिले में स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई की.
इस इलाके में विभाग ने 1500 लीटर मिलावटी दूध को जब्त कर उसे खेत में फेंकवा दिया. दूध में मिलावट का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इससे आसपास के इलाके में भारी दुर्गंध फैल गई.दीपावली नजदीक आते ही मिलावटखोर सक्रिय हो गए हैं. राज्य सरकार के निर्देश पर प्रशासनिक टीम ने जयपुर और टोंक में मिलावटखोरी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए नकली घी का जखीरा पकड़ा है.
जयपुर हरमाड़ा इलाके में खाद्य विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस और जयपुर डेयरी की टीम ने संयुक्त रूप से कार्रवाई की. राजियावास में एक ठिकाने पर छापा डालकर नकली घी का जखीरा बरामद किया गया. ब्रांडेड कंपनी सरस, कृष्णा और अमूल के नाम से नकली घी का जखीरा था. जयपुर डेयरी और खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने मौके पर जांच कर मिलावटी घी का खुलासा किया.कार्रवाई के दौरान 277.500 लीटर सरस का नकली घी, 54 लीटर कृष्णा का नकली घी और 105 लीटर अमूल का मिलावटी घी जब्त किया गया. सरस डेयरी की शिकायत पर आरोपी महेंद्र शर्मा को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है.
टोंक में मालपुरा चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाया. अभियान के तहत कई जगहों पर छापा डालकर जांच किया गया. शहरी क्षेत्र में 675 लीटर विभिन्न ब्रांड के घी और पॉम ऑयल, ट्रक स्टेंड पर पवन एजेंसी नामक दुकान से 115.5 लीटर डेयरी टच नामक देशी घी के सात कार्टन सीज किए.
राज्य सरकार के प्रयास
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले मिलावटखोरों विरोध सख्ती से कार्रवाई करने की तैयारी में हैं. मिलावटखोरों के खिलाफ राज्य सरकार के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एक अभियान चलाया जा रहा है.
कोई भी व्यक्ति मिलावट की शिकायत व सूचना हेल्पलाइन नंबर 181 और कलेक्टर व संबंधित अधिकारियों को आसानी से दे सकता है. उसकी पहचान भी गोपनीय रखी जाएगी.अभियान की अवधि में मिलावटखोरों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई के लिए सूचना देने वालों को ''अनसेफ फूड'' प्रमाणन पर 51,000 रुपये और ''सब-स्टेंडर्ड'' होने पर 5,000 रु. की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. चालान के वक्त प्रोत्साहन राशि का आधा हिस्सा सूचना देने वाले व्यक्ति को दे दिया जाए.
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