Gangaur Puja 2023 : राजस्थान(Rajasthan) में गणगौर (Gangaur )पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं. गणगौर का त्योहार 18 दिनों तक चलता है और फिर अंतिम दिन गणगौर यानी गवरजा जिन्हे इसर-गौरी (शंकर-पार्वती) भी कहा जाता है कि विशेष पूजा की जाती है.
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Gangaur Puja 2023 : राजस्थान में गणगौर पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं. गणगौर का त्योहार 18 दिनों तक चलता है और फिर अंतिम दिन गणगौर यानी गवरजा जिन्हे इसर-गौरी (शंकर-पार्वती) भी कहा जाता है कि विशेष पूजा की जाती है.
गणगौर के दिन कुंवारी लड़कियां और विवाहित महिलाओं के तरफ से अपने वर की सलामती के लिए कामना कर व्रत रखा जाता है. इसर-गौरी की पूजा के समय दूब से पानी के छींटे देते हुए गोर गोर गोमती गीत गाया जाता है. गौर पर सिंदूर समेत श्रृंगार का पूरा सामान चढ़ाया जाता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार होलिका दहन के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया यानी की 18 दिन तक ये गणगौर पूजा की जाती है. इस बार गणगौर पूजा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है.
गणगौर पूजा 2023 तिथि - शुभ मुहूर्त
गणगौर 2023 की तिथि- 24 मार्च 2023, शुक्रवार को है
तृतीया तिथि प्रारंभ- 23 मार्च 2023 को शाम 6 बजकर 20 मिनट पर है
तृतीया तिथि समापन- 24 मार्च 2023 को शाम 4 बजकर 59 मिनट पर है
गणगौर कथा
एक बार भगवान शंकर,माता पार्वती और नारदजी एक साथ भ्रमण पर निकले .चैत्र शुक्ल तृतीया वो जिस गांव में पहुंचे. वहां की निर्धन महिलाओं ने हल्दी और अक्षत से उनका स्वागत किया जिसपर मां पार्वतीजी खुश होकर सारा सुहाग रस उन पर छिड़क दिया ताकि वो अटल सुहाग प्राप्त कर सकें.
अब धनी वर्ग की महिलाएं पहुंची और तरह-तरह के पकवान और सोलह श्रृंगार का सामान मां पार्वती को चढ़ाया. तो शंकर भगवान ने पूछा कि अब इन्हे क्या दोगी ? तो मां पार्वती ने कहा कि मैं अपनी अंगुली चीरकर रक्त के छींटे मार दूंगी ताकि ये सौभाग्यवती हो जाएं
जिस पर जैसे छींटे पड़े उसने वैसा सुहाग पा लिया. पार्वतीजी ने जो महिला वस्त्र आभूषणों का परित्याग कर, माया मोह से रहित होकर पूरे तन, मन, धन से पति की सेवा करेगी उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होगी.
ऐसा कहकर पार्वती जी भगवान शंकर से आज्ञा लेकर नदी में स्नान करने चली गयी. वापस आकर मां पार्वती ने बालू से शिवजी की मूर्ति बना ली और उनका पूजन किया. भोग लगाया और दो अक्षत अपने मस्तक पर टीके के भी लगाये.
पार्थिक लिंग से भगवान शंकर प्रकट हुए और मां पार्वती को वरदान दिया कि आज के दिन जो महिला मेरा पूजन और तुम्हारा व्रत करेगी उसका पति चिंरजीवी होगा और मोत्र प्राप्त होगा.