ढाई साल बाद भी अधूरा Gehlot Government का जवाबदेही कानून लाने का वादा, नहीं हुआ लागू
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ढाई साल बाद भी अधूरा Gehlot Government का जवाबदेही कानून लाने का वादा, नहीं हुआ लागू

प्रदेश की गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने सत्ता में आने के साथ ही जवाबदेही कानून लाने का वादा किया था. 

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Jaipur: कांग्रेस सरकार (Congress Government) की ओर से जनता को गुड गवर्नेंस (Good governance) देने और अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए जवाब देही कानून लाने का वादा तो किया गया, लेकिन कार्यकाल के ढाई साल गुजर जाने के बाद भी सरकार इसे लागू नहीं कर पाई.

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प्रदेश की गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने सत्ता में आने के साथ ही जवाबदेही कानून लाने का वादा किया था. इसके लिए कमेटी बनी, ड्राफ्टिंग हुई. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप भी दी, लेकिन सरकार की ओर से इसे लागू नहीं किए जाने से अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर किस को जवाबदेही से बचाने के लिए कानून को ठंडे बस्ते में डाल जा रहा है. 

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कानून के लागू नहीं होने से अभी भी हजारों लोग हैं, जो काम के लिए ऑफिस दर ऑफिस चक्कर काट रहे हैं. उनकी फाइल अधिकारियों और बाबू के बीच टेबल टेबल घूमती रहती है. अगर कानून लागू हो तो लोगों को ऐसे अधिकारियों की टेबल टेबल नहीं घूमना पड़े और अधिकारियों की जवाबदेही तय हो जाए. 

क्या कहना है सामाजिक कार्यकर्ता का
सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे (Nikhil Day) ने कहा कि अफसरशाही, नौकरशाही ने इस बिल को रोक रखा है. जबकि यह राजनीतिक कमिटमेंट है. कोरोना काल (Covid Era) में लोगों को बहुत परेशान होना पड़ा है. अगर अभी यह कानून बना हुआ तो हजारों लाखो लोगों को इसका फायदा मिलता. इस कानून को रोकने के लिए कितनी ही अड़चन लगाई जाए, हम इसे लागू करा कर रहेंगे. 

जवाबदेही कानून की विशेषताएं 
- जनता को गुड गवर्नेंस देना
- नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी
- जनता को मूलभूत सुविधाओं का हक मिलेगा
- अधिकारियों का भ्रष्ट और मनमाना आचरण रुकेगा
- बिजली, पानी, सड़क, लाइसेंस और प्रमाण-पत्र जैसी सुविधाओं का हक मिलेगा
- अंतिम व्यक्ति तक सेवाओं का समयबद्ध लाभ पहुंच सकेगा
- कोई भी  कर्मचारी और अधिकारी किसी फाइल को अनावश्यक नहीं रोक सकेगा  
 - जवाबदेही कानून लागू होने के बाद शिकायत दर्ज करने के लिए प्रत्येक पंचायत और नगरपालिका में सहायता केंद्र स्थापित होगा
-  हर शिकायत कंप्यूटर पर दर्ज होगी
-  शिकायत को ट्रैक किया जाएगा
- शिकायत लोक शिकायत निवारण अधिकारी तक पहुंचेगी
-  शिकायतकर्ता को शिकायत प्राप्ति की रसीद मिलेगी
- 14 दिन के भीतर शिकायतकर्ता को खुली सुनवाई में बात रखने का मौका मिलेगा
- लोक शिकायत निवारण अधिकारी को 30 दिन के भीतर लिखित में जवाब देना होगा
- यदि समस्या सही पाई गई तो बताना होगा कब तक समस्या का समाधान किया जाएगा
- यदि शिकायत अस्वीकार की जाती है तो उसका कारण बताना होगा ,
- जिला और राज्य स्तर पर सुनवाई के अलग अलग प्राधिकरण होंगे    
 
दरअसल, देशभर में सबसे पहले 'जवाबदेही कानून' को लागू करने की मंशा रखने वाली प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार के इस कदम से आमजन को काफी राहत मिलने की उम्मीद है. इस कानून के जरिए सरकारी मशीनरी की मनमानी वाले रवैये पर शिकंजा कसा जा सकेगा. 

 

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