भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर लगाई रोक, जानिए आम आदमी पर क्या असर पडे़गा
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भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर लगाई रोक, जानिए आम आदमी पर क्या असर पडे़गा

  • रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया में गेहूं की डिमांड बढ़ी
  • भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर लगाई रोक
  • घरेलू बाजार में किमतें बढ़ने के डर से लिया फैसला

भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर लगाई रोक, जानिए आम आदमी पर क्या असर पडे़गा

Delhi - दुनिया में इन दिनों खाद्यान संकट है. रूस और यूक्रेन दुनिया के टॉप-5 गेहूं निर्यातक देश रहे हैं, लेकिन युद्ध की वजह से इन देशों में हालात बिगड़े तो भारत और चीन जैसे देशों से गेहूं की मांग बढ़ने लगी. तुर्की जैसे देश भी भारत से गेहूं मांगने लगे. दुनिया में हो रही इस खाद्यान संकट के बीच अब भारत सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. भारत सरकार ने ये कहते हुए गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी कि कीमतें काफी बढ़ रही है इसलिए निर्यात पर रोक लगा रहे है.

लेकिन यहां कई सवाल भी उठते है. देश में जब केंद्र सरकार ने खेती किसानी से जुड़े तीन कानून लागू किये थे तो कहा गया था कि किसान अब मंडी के बाहर भी कहीं भी अपनी फसल बेच पाएगा. किसान को जहां ज्यादा कीमत मिले वहां फसल बेचने की छूट है. परिणाम ये हुआ कि इस बार किसानों ने बड़ी मात्रा मेंगेहूंमंडियों से बाहर बेचा. सरकार पर्याप्तगेहूंखरीद नहीं पाई. तो हालात ये हो गए कि गरीबों को बंटने वाले मुफ्त राशन के लिए भीगेहूंकम पड़ने की खबरे सामने आने लगी. कई राज्यों में फ्री में दिए जाने वाले राशन में भी अगले महीने कुछ कटौती की गई है. ऐसे में सवाल ये है कि केंद्र सरकार नेगेहूंके निर्यात पर जो रोक लगाई है. क्या वो वाकई गरीबों के हितों में लिया गया फैसला है. या हालात वाकई चिंताजनक है ?

अब पूरा खेल समझिए

दरअसल रूस और यूक्रेन दुनिया मेंगेहूंका सबसे ज्यादा निर्यात करते थे. इस बार युद्ध की वजह से इन देशों से पर्याप्त निर्यात नहीं हो पाया. तो भारत और चीन जैसे देशों सेगेहूंकी डिमांड बढ़ने लगी. जब वैश्विक बाजार में डिमांड बढ़ती है तो उस चीज की कीमतें भी बढ़ती है.गेहूंके साथ भी ऐसा ही हुआ. दुनिया में डिमांड बढ़ी. तो भारत मेंगेहूंकी कीमतों में उछाल आया. जब कीमतें बढ़ी तो किसानों ने भी मंडी की बजाय बाजार में जहां अच्छे भाव मिले.

वहीं, गेहूं बेचना शुरू किया. परिणाम ये हुआ कि सरकार पिछले साल की तुलना में करीब 30 प्रतिशत कम गेहूं खरीद पाई. सरकार को MSP पर गेहूं खरीदकर उसे अलग अलग योजनाओं के जरिए गरीबों में मुफ्त में बांटना होता है. इस पर खरीद कम हुई तो सरकारी स्टॉक भी कम हुआ. 1 मई के आंकड़े ये कहते हैं कि इस पर सरकारी स्टॉक पिछले पांच साल में सबसे कम स्तर पर है. अगर स्टॉक आगे भी सरकारी स्टॉक घटा तो सरकार गरीबों में मुफ्त राशन कैसे बांट पाएगा. घरेलू बाजार मेंगेहूंकी कीमतें तेजी से बढ़ सकती है. ब्रेड और बिस्टिक जैसे प्रॉडक्ट की कीतमों में बढ़ोतरी हो सकती है. जिसका असर आम आदमी को झेलना पड़ेगा. 

गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने की एक वजह ये भी है कि सरकार ने इस बार जितने गेहूं के उत्पादन का अनुमान लगाया था. उतना उत्पादन भी नहीं हुआ है. इसके अलावा सरकार अपने तय लक्ष्य के हिसाब से खरीब भी बहुत कम कर पाई है. सरकार ने इस बार 444 टनगेहूंखरीदने का लक्ष्य रखा था. लेकिन 5 मई तक के आंकड़ों के हिसाब से वो सिर्फ 156 टन ही गेहूं खरीद पाई है. जाहिर सी बात है. सरकार पर्याप्त गेहूं की खरीद नहीं कर पाएगी तो गरीबों में मुफ्त राशन कैसे बांट पाएगी. सरकार को ये भी अंदेशा है कि वैश्विक बाजार मेंगेहूंकी मांग बढ़ने की वजह से व्यापारी और किसान गेहूं का स्टॉक कर रहे है. अगर स्टॉक पर भी वक्त रहते लगाम नहीं लगाई तो आने वाले समय में घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतों में उछाल आ सकता है. जिसका बोझ आम आदमी को झेलना पड़ेगा.

निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद सरकार ने गरीब देशों का ख्याल रखा है. सरकार ने साफ किया है कि विकासशील देशों की तरफ से अगर कोई अनुरोध आएगा तो उसका खास ख्याल रखा जाएगा. सरकार की तरफ से जारी आदेशों में भी ये स्पष्ट कहा गया है कि भारत सरकार पड़ोसी देशों, गरीब देशों और विकासशील देशों की खाद्य सुरक्षा का पूरा ध्यान रखेगी. 

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