Indian Culture : भारत अपनी सांस्कृतिक विविधता के लिए दुनियाभर में मशहूर है. इंडिया के हिमाचल (Himachal), अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) और तिब्बत (Tibet) में आज भी ऐसी कई जगहें हैं, जहां एक ही लड़की से परिवार के सभी भाईयों की शादी की जाती है. तो चहिए जानते हैं, क्या है इसके पीछे की हकीकत.
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Indian Culture : इंडिया को अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिए दुनियाभर में जाना जाता. देश के सभी संप्रदायों को उनकी परंपराओं और नियमों के हिसाब से जीने का अधिकार है. यहां शादी को लेकर कई प्रकार के कायदे-कानून भी हैं. भारत में आज भी शादी की ऐसी प्रथाएं हैं, जिन्हें सुनकर लोग हैरत में पड़ जाते हैं. हम आपको शादी की ऐसी ही प्रथा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें परिवार के सभी भाइयों की शादी एक ही लड़की से की जाती है.
पहले जानिए, क्या होता है बहुपति विवाह ?
अगर आपने महाभातर (Mahabhatar) पढ़ी या सुनी हो तो उसमें द्रौपदी (Draupadi) का जिक्र आता है. Draupadi की शादी पांचों पांडवों से हुई थी. आज अगर हम इस बात का जिक्र करें, तो बहुत अटपटी बात मालूम होगी, लेकिन ये बहु विवाह की प्रथा इंडिया में आज भी लागू है.
बताया जाता है कि भारत के हिमाचल (Himachal) और अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में आज भी बहुपति विवाह की खबरें सुनने में आती हैं. बहुत जगहों पर दावा किया जाता है कि यहां बहुपति विवाह खत्म हो चुका है, लेकिन जानकार बताते हैं कि आज भी यहां ये प्रथा लागू है, अब यह खुलेआम नहीं होती. इसे छिप-छिपाकर चलाया जा रहा है. हालांकि तिब्बत (Tibet) में कई जगहों पर यह प्रथा आज भी चलन में है.
टोपी के हिसाब से बंटता है भाइयों में समय
बताया जाता है कि आज भी तिब्बत में कई जगहों पर सबसे बड़ा भाई एक युवती से विवाह करता है. और उसके बाद, वह नवविवाहिता बचे हुए भाइयों की साझा बीवी मान ली जाती है. सबसे बड़ा भाई सबसे पहले पत्नी के साथ समय व्यतीत करता है. फिर क्रमश: दुल्हन के साथ वक्त बिताते हैं. यह जानने के लिए कि कमरे के अंदर कौन है, इसके लिए नियम बनाए गए हैं. जब भी कोई भाई कमरे के अंदर होता है, तो उसकी टोपी कमरे के बाहर टंगी रहती है. इस दौरान कमरे के अंदर कोई दूसरा भाई प्रवेश नहीं करता. हालांकि अब बहुत कम ही जगहों में ये प्रथा चलन में है.
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कैसे शुरू हुई बहुपति विवाह की प्रथा
मीडियो रिपोर्ट्स की मानें तो, 1950 तक तिब्बत में बौद्ध भिक्षु की संख्या 1 लाख 10 हज़ार से ज्यादा थी. इसमें से 35% से ऊपर भिक्षु शादी की उम्र वाले थे. वहीं परिवार के सबसे छोटे बेटे को भिक्षु बनने भेज दिया जाता था. ऐसे में जमीन के बंटवारे को रोकने के लिए महिलाओं की एक ही परिवार में अन्य भाइयों से शादी करने की प्रथा शुरू कर दी. इस प्रथा का मुख्य उद्देश्य जमीन का बंटवारा ना होना और टैक्स सिस्टम से बचाना था.
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