चिकित्सकों का कहना है कि पशु को दवा केवल एक बार ही देनी चाहिए और जो भी दवा पहले शुरू कर दी जाए, सिर्फ उसी दवा को जारी रखा जाना चाहिए. इसमें मवेशी के लिए दवा की 5 से 10 बूंदे पर्याप्त बताई गई हैं. इसके साथ ही विभाग का यह भी कहना है कि यदि लक्षण के आधार पर दवाई किसी पशुपालक को समझ में ना आए तो नजदीकी तैनात होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लेकर दवाई दी जानी चाहिए.
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Jaipur: लंपी स्किन बीमारी से जूझ रहे राजस्थान के पशुधन के लिए होम्योपैथी की तरफ से राहत की बड़ी खबर आई है. होम्योपैथी में प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर्स की अलग-अलग टीम ने पिछले कुछ समय से प्रयोग करके यह निष्कर्ष निकाला कि होम्योपैथी दवाई में भी लंपी स्किन संक्रमण से उबरने में कारगर साबित हो रही है. इसके बाद राज्य सरकार ने भी पशुपालकों के बीच होम्योपैथी दवाओं के इस्तेमाल के लिए जागरूकता लाना शुरू कर दिया है.
होम्योपैथी चिकित्सक डॉक्टर अशोक सिंह का कहना है कि लंबे समय से पशुओं में इलाज के लिए होम्योपैथी दवाई काम में ली जाती हैं और लंपी स्किन के मामले में यह दवाएं क्यूरेटिव साबित हुई हैं. यानी वैक्सीन के मुकाबले बीमारी होने के बाद उससे उबरने में इन दवाओं के बेहतर परिणाम सामने आए हैं.
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शुरुआती लक्षण देखने के बाद दवा देनी चाहिए
डॉ. अशोक सिंह ने बताया कि सरकार ने इसके लिए अलग-अलग मिश्रण और फार्मूले भी निर्देशित किए हैं, जिससे पशुपालकों को राहत मिले और प्रदेश के पशुधन को बचाया जा सके. डॉक्टर अशोक सिंह का कहना है कि किसी भी पशु में बीमारी के शुरुआती लक्षण देखने के बाद दवा देनी चाहिए. विभाग ने इसके लिए 9 दवाओं की लिस्ट भी जारी की है. जिसमें काली आयोड 30, यूरेनियम नाइट्रिकम 30, एसिड नाइट्रिक 30, अमोनियम नाइट्रिकम 30, नाइट्रोजन ऑक्सीजिनेटम 30, अमाइल नाइट्रोसम 30, मरकरी ग्रुप, थूजा 30 और वेरियोलिनम 200 शामिल हैं.
पशु को दवा केवल एक बार ही देनी चाहिए
चिकित्सकों का कहना है कि पशु को दवा केवल एक बार ही देनी चाहिए और जो भी दवा पहले शुरू कर दी जाए, सिर्फ उसी दवा को जारी रखा जाना चाहिए. इसमें मवेशी के लिए दवा की 5 से 10 बूंदे पर्याप्त बताई गई हैं. इसके साथ ही विभाग का यह भी कहना है कि यदि लक्षण के आधार पर दवाई किसी पशुपालक को समझ में ना आए तो नजदीकी तैनात होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लेकर दवाई दी जानी चाहिए.
पशु पालकों को जल्द राहत मिलने की आस बंधी
होम्योपैथिक चिकित्सकों का कहना है कि वैक्सीन तो बीमारी से पहले बचाव के लिए है जबकि होम्योपैथी दवाएं बीमार पशु को भी दी जा सकती हैं और इससे पशुओं में फायदा देखा गया है. अब होम्योपैथी दवाओं से इलाज की सुविधा मिलने पर पशु पालकों को जल्द राहत मिलने की आस बंधी है. उधर पशुपालन विभाग के सचिव पीसी किशन का कहना है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले 15 दिन में लंपी स्किन संक्रमण को प्रदेश में नियंत्रित कर लिया जाएगा.
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