2 साल से बंद पड़ा है वीर हनुमान मंदिर का रोप-वे, चढ़नी पड़ रही 1,050 सीढ़ियां
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2 साल से बंद पड़ा है वीर हनुमान मंदिर का रोप-वे, चढ़नी पड़ रही 1,050 सीढ़ियां

राजधानी जयपुर के सामोद के वीर हनुमान जी पर भी होता है. हालांकि इस रोप-वे पर तत्कालीन कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने सुरक्षा कारणों को लेकर रोक लगा दी थी.

रोप-वे.

Chomu: झारखंड में रोप-वे हादसे में कई श्रद्धालु घायल हो गए तो कई अभी भी फंसे हुए हैं. इसी तरह के रोप-वे का संचालन राजधानी जयपुर के सामोद के वीर हनुमान जी पर भी होता है. हालांकि इस रोप-वे पर तत्कालीन कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने सुरक्षा कारणों को लेकर रोक लगा दी थी. शुरू होने के 34 दिन बाद रोप-वे का संचालन बंद हो गया था तब से लेकर आज तक बंद ही पड़ा है. 

करीब 6 करोड़ रुपये की लागत से एक निजी कंपनी ने रोप वे का निर्माण करवाकर संचालन शुरू किया था लेकिन पिछले 2 साल से रोप-वे बंद पड़ा है. इसके चलते श्रद्धालुओं को 1,050 सीढ़ियां चढ़कर ही बालाजी के दर्शन करने पड़ रहे हैं. 

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जानकारी के मुताबिक, 24 मई 2019 को सामोद के वीर हनुमान मंदिर जाने के लिए अरावली पर्वत श्रृंखला पर रोप -वे का संचालन शुरू हुआ था. इस रोप-वे का निर्माण कार्य 17 जुलाई 2016 में शुरू हुआ था. मंदिर तक जाने के लिए कुल 1,050 सीढ़ियां बनी हुई है.  

सीढ़ियों के जरिए मंदिर पहुंचने के लिए 40 से 45 मिनट का समय लगता है, लेकिन रोप-वे के संचालन के बाद महज 5 से 7 मिनट का वक्त ही मंदिर पहुंचने में लग रहा था. रोप-वे के संचालन के समय 6 ट्रॉलियों का उपयोग शुरू किया गया था. 

प्रत्येक ट्रॉली में सात से आठ व्यक्ति बैठने की क्षमता है, लेकिन 28 जून 2019 को तत्कालीन कलेक्टर जगरूप यादव ने सार्वजनिक निर्माण विभाग की तकनीकी एनओसी के अभाव में और रज्जू अधिनियम 1996 की धारा 7 का उल्लंघन मानकर इस रोप-वे को बंद करने के आदेश दिए थे तब से लेकर आज तक यह रोप-वे बंद पड़ा है. 

हालांकि यहां आने वाले श्रद्धालु चाहते है कि इस रोप-वे का संचालन जल्द ही शुरू किया जाए. उम्मीद भी जताई जा रही है कि जल्द ही रोप-वे का संचलन शुरू होगा. 
जिला प्रसाशन ने 26 मानकों के निर्णय के आधार पर रोप-वे के संचालन को अनुमति देने का मन भी बना लिया था, लेकिन फिर से वह ठंडे बस्ते में चला गया. इस तरह प्रोजेक्ट्स पर सुरक्षा के लिहाज से ध्यान रखना होता है. समय-समय पर इसका मेंटेनेंस भी किया जाना चाहिए वरना झारखंड जैसे हादसे की पुनरावृति में समय नहीं लगता है. 

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