जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में लेखक मनोरंजन व्यापारी का सेशन, सुनाई अपने जीवन की दास्तां
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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में लेखक मनोरंजन व्यापारी का सेशन, सुनाई अपने जीवन की दास्तां

Jaipur Literature Festival 2024: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन भारतीय बंगाली लेखक मनोरंजन व्यापारी सेशन हुआ. इस दौरान उन्होंने अपने जीवन की दास्तां बताई कि वो ऑटो चालक से कैसे लेखक बनें. 

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में लेखक मनोरंजन व्यापारी का सेशन, सुनाई अपने जीवन की दास्तां

Jaipur Literature Festival: पिंक सिटी जयपुर में पांच दिवसीय जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन किया गया है. फेस्टिवल में देश ही नहीं विदेश के भी कई वक्ता अपनी राय रखने आ रहे हैं. लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन बंगाल के लेखक मनोरंजन व्यापारी भी पहुंचे. इस दौरान उन्होंने अपने जीवन की दास्तान बताते हुए कहा कि मैं कभी स्कूल नहीं गया, इसके बावजूद मैंने अपने सपनों को खत्म नहीं होने दिया.

जेल में रहने के दौरान किताबें पढ़ने का शौक लगा
लेखक मनोरंजन व्यापारी ने कहा कि मेरे द्वारा लिखी गई पुस्तक कई भाषाओं में ट्रांसलेट हुई है. मेरी द्वारा लिखी गई पुस्तक में मेरी ही कहानी मेरे जीवन को बयां करती है. मेरे द्वारा लिखी गई किताब में सच्चाई है, इसलिए मेरी पुस्तक को पढ़ने वाले पाठकों की संख्या कई बड़ी तादाद में है. उन्होंने कहा कि नक्सली आंदोलन के समय उन्हें जेल में डाल दिया गया था. वहीं से उन्हें किताबें पढ़ने का शौक लगा जो अभी तक निरंतर जारी है. एक किताब में जब जिजीविषा शब्द आया, तो मैं उस शब्द को समझ नहीं पाया. 

महाश्वेता देवी की बातों ने बदल दिया जीवन 
देश के शीर्ष साहित्यकारों में शुमार मनोरंजन ने कहा कि एक दिन जब मैं रिक्शा चला रहा था, तो उस समय रिक्शे में महाश्वेता देवी बैठी हुई थी. मैंने समझा कि यह किसी कॉलेज की प्रोफेसर हैं, इन से ही पूछ लेता हूं. जैसे ही मैंने जिजीविषा का मतलब महाश्वेता देवी से पूछा, तो उन्होंने इस समय रिक्शा रुकवा दिया और पूछा कि तुम कौन हो क्या करते हो? मैंने कहा कि मैं रिक्शा चालक हूं और लंबे अरसे तक होटल में बर्तन साफ करे हैं. उसी दिन से मेरी जिंदगी बदल गई. उन्होंने बताया कि महाश्वेता देवी ने मुझसे कहा कि तुम किताबें पढ़ते हो, तो किताब लिख भी सकते हो. उस समय मैंने ठान लिया कि मैं अपने जीवन की किताब लिखूंगा और मैं अपने जीवन की किताब लिख डाली. उन्होंने कहा कि उस दिन अगर मेरी मुलाकात महाश्वेता देवी से नहीं होती, तो मैं आज भी रिक्शा ही चल रहा होता. 

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