इन्वेस्टमेंट समिट: माइंस क्षेत्र में 3057 करोड़ का हुआ निवेश, खुली रोजगार की राह
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इन्वेस्टमेंट समिट: माइंस क्षेत्र में 3057 करोड़ का हुआ निवेश, खुली रोजगार की राह

अग्रवाल ने जिला स्तर तक के अधिकारियो को निर्देश दिए कि इंवेस्ट राजस्थान समिट के तहत हस्ताक्षरित एमओयू, एलओआई की नियमित मॉनिटरिंग की जाए और निवेशकों से समन्वय बनाते हुए उन्हें आवश्यक सहयोग और मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाए ताकि विभाग से संबंधित एमओयू एलओआई तेजी से धरातल पर आ सकें.

इन्वेस्टमेंट समिट: माइंस क्षेत्र में 3057 करोड़ का हुआ निवेश, खुली रोजगार की राह

Jaipur: राज्य में इन्वेस्टमेंट समिट का असर दिख रहा है. समिट के तहत खनन क्षेत्र से संबंधित निवेशकों से किए गए एमओयू-एलओआई धरातल पर उतरने लगे हैं. प्रदेश में माइंस से जुड़े 173 एमओयू, एलओआई में 3057 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है. इससे करीब 2 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला है. वहीं हजारों लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार की राह खुल गई है.

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अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने सचिवालय में इंवेस्ट समिट में माइंस क्षेत्र के हस्ताक्षरित एमओयू, एलओआई की समीक्षा की. अग्रवाल ने जिला स्तर तक के अधिकारियो को निर्देश दिए कि इंवेस्ट राजस्थान समिट के तहत हस्ताक्षरित एमओयू, एलओआई की नियमित मॉनिटरिंग की जाए और निवेशकों से समन्वय बनाते हुए उन्हें आवश्यक सहयोग और मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाए ताकि विभाग से संबंधित एमओयू एलओआई तेजी से धरातल पर आ सकें.

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि इंवेस्ट समिट के तहत हस्ताक्षरित एमओयू, एलओआई में 50 करोड रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव की समीक्षा व मॉनिटरिंग उद्योग विभाग और बीआईपी द्वारा किया जा रहा हैं वहीं 50 करोड़ से कम के निवेशकों से मांइस विभाग द्वारा मॉनिटरिंग और समन्वय स्थापित किया जा रहा है. नियमित समन्वय और मॉनिटरिंग का परिणाम है कि कम समय में ही राज्य में माइनिंग क्षेत्र में 50 करोड़ रुपये से अधिक के निवेशकों में से 9 निवेशकों द्वारा 2789 करोड़ 80 लाख रुपये का निवेश किया जा चुका हैं. वहीं 50 करोड़ रुपये से कम के निवेशकों में से 164 निवेशकों द्वारा 267 करोड़ 99 लाख रुपये का निवेश किया जा चुका है.

माइंस क्षेत्र में निवेशकों द्वारा खनिज आधारित उद्योगों की स्थापना, खनन गतिविधियों में तेजी लाने, खनन क्षमता बढ़ाने और इससे जुड़ी गतिविधि क्षेत्र में निवेश के लिए एमओयू एलओआई किए गए हैं. माइंस विभाग के मुख्यालय से लेकर जिला स्तरीय अधिकारियों को उनके क्षेत्र के निवेशकों से समन्वय बनाया जा रहा है और उसी का परिणाम है कि माइंस से जुड़े निवेश प्रस्ताव धरातल पर उतरने लगे हैं.

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