इक्विपमेंट्स की खराबी की जांच के लिए Medical Device Monitoring शुरू, अब होगी कार्रवाई
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इक्विपमेंट्स की खराबी की जांच के लिए Medical Device Monitoring शुरू, अब होगी कार्रवाई

मेडिकल डिवाइस मॉनिटरिंग प्रोग्राम के तहत यदि किसी शिकायत के दौरान मशीन में कोई खराबी देखने को मिलती है या फिर किसी तरह का कोई दुष्प्रभाव मशीन से हो रहा है तो उस कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने का प्रावधान भी रखा गया है.

इस प्रोग्राम की शुरुआत इंडियन फार्माकॉपिया कमिशन की ओर से की गई है.

Jaipur: कोविड-19 संक्रमण (Covid-19 infection) की दूसरी लहर में खराब मेडिकल इक्विपमेंट्स के मामले सामने आए थे, जिसके बाद केंद्र सरकार (Central Government) के निर्देश पर देश के सभी मेडिकल कॉलेज (Medical College) में इसकी शुरुआत की गई है.

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हाल ही में कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर में मेडिकल इक्विपमेंट्स की खराबी के कई मामले देखने को मिले थे, जिसके बाद गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल डिवाइस मॉनिटरिंग प्रोग्राम (Medical device monitoring program) शुरू किया है. 

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अगर आपने इलाज से जुड़े किसी भी मेडिकल इक्विपमेंट्स की खरीद की है या अस्पताल में इलाज या जांच के दौरान आपको मेडिकल उपकरण खराब मिलता है, तो उसकी क्वालिटी की जांच भी आप करवा सकते हैं. जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज (Sawai Mansingh Medical College) में इसकी शुरुआत की गई है. 

क्या कहना है मॉनिटरिंग सेंटर जयपुर के कोऑर्डिनेटर डॉक्टर का
सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के सीनियर प्रोफेसर और मेडिकल डिवाइस मॉनिटरिंग सेंटर जयपुर के कोऑर्डिनेटर डॉक्टर लोकेंद्र शर्मा का कहना है कि इस प्रोग्राम की शुरुआत इंडियन फार्माकॉपिया कमिशन की ओर से की गई है, जिसके बाद SMS मेडिकल कॉलेज में भी एक सेंटर तैयार किया गया है. 

डॉक्टर लोकेंद्र शर्मा का कहना है कि हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक लोगों को इस प्रोग्राम से जोड़ा जाए. डॉ शर्मा का यह भी कहना है कि इस प्रोग्राम का मुख्य मकसद यह होगा कि कोई भी व्यक्ति मेडिकल इक्विपमेंट्स की क्वालिटी से जुड़ी शिकायत कर सकता है, जिसके तहत यदि कोई मेडिकल डिवाइस प्रॉपर काम नहीं कर रही है या फिर उस मशीन से किसी तरह के कोई दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं या फिर खराब क्वालिटी की मशीन किसी को बेची जा रही है तो उसकी शिकायत की जा सकती है.

ये होंगे प्रोग्राम के फायदे
इस प्रोग्राम के तहत मेडिकल से जुड़े ऐसे इक्विपमेंट्स जो अस्पतालों में काम में आते हैं. या फिर जरूरत पड़ने पर मरीज के घर भी उपयोग में लाए जाते हैं. ऐसे इक्विपमेंट्स की जांच हो सकेगी, जिसमें पल्स ऑक्सीमीटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, एमआरआई, सीटी स्कैन मशीन, डिजिटल थर्मामीटर, वेंटिलेटर आदि मशीनें शामिल हैं. 

आमतौर पर कई बार देखा गया है कि अस्पतालों में मेडिकल इक्विपमेंट्स की खराबी के चलते कई तरह के हादसे हो चुके हैं. इसके अलावा हाल ही में कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान औषधी नियंत्रक विभाग की ओर से जयपुर में अलग-अलग कार्यवाही को अंजाम दिया गया था, जहां घटिया क्वालिटी के ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और पल्स ऑक्सीमीटर जब्त किए गए थे. वहीं इस प्रोग्राम के तहत दवाइयों की गुणवत्ता की भी जांच करवाई जाती है.

किस तरह से होगी कार्रवाई
मेडिकल डिवाइस मॉनिटरिंग प्रोग्राम के तहत यदि किसी शिकायत के दौरान मशीन में कोई खराबी देखने को मिलती है या फिर किसी तरह का कोई दुष्प्रभाव मशीन से हो रहा है तो उस कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने का प्रावधान भी रखा गया है. इसके अलावा इसे लेकर एक ऐप (ADR PvPI) भी तैयार किया गया है, जिसके माध्यम से भी कोई भी व्यक्ति मेडिकल इक्विपमेंट्स की क्वालिटी से जुड़ी शिकायत कर सकता है. इसके अलावा एक हेल्प लाइन नंबर (18001803024) भी जारी किया गया है, जिसके तहत शिकायत का प्रावधान रखा गया है. 

हाल ही में कोविड- 19 संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और पल्स ऑक्सीमीटर की गुणवत्ता को लेकर काफी सवाल उठे थे, जिसके बाद देश में इस तरह का प्रोग्राम बेहतर मॉनिटरिंग में मदद करेगा.

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