जयपुर:नगर निगम ग्रेटर की बोर्ड बैठक,विपक्ष की भूमिका में नजर आ सकते हैं सत्ताधारी पार्षद
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जयपुर:नगर निगम ग्रेटर की बोर्ड बैठक,विपक्ष की भूमिका में नजर आ सकते हैं सत्ताधारी पार्षद

जयपुर न्यूज: 25 मई की नगर निगम ग्रेटर की बोर्ड बैठक का आयोजन होना है. साधारण सभा से पहले विवाद बढ़ता हुआ नजर आ रहा है. इस बैठक में विपक्ष की भूमिका में सत्ताधारी पार्षद नजर आ सकते हैं.

जयपुर:नगर निगम ग्रेटर की बोर्ड बैठक,विपक्ष की भूमिका में नजर आ सकते हैं सत्ताधारी पार्षद

जयपुर: नगर निगम ग्रेटर की 25 मई को होने वाली साधारण सभा से पहले विवाद बढ़ता जा रहा है. जनहित का एक भी प्रस्ताव एजेंडे में शामिल नहीं होने पर पार्षदों में गुस्सा हैं. इसलिए लगता हैं जयपुर नगर निगम ग्रेटर की बोर्ड बैठक इस बार बड़ी दिलचस्प होगी. इस बैठक में मेयर सौम्या गुर्जर विपक्ष ही नहीं बल्कि अपनी ही पार्टी के पार्षदों से भी घिरी नजर आएंगी.

इसके संकेत कल कार्यवाहक मेयर शील धाबाई, विधायक अशोक लाहोटी और डिप्टी मेयर पुनीत कर्णावत की ओर से जताए विरोध से देखने को मिल रहे है. मेयर का सरकार के पक्ष में चलना और पार्षदों-चैयरमेनों को नजरअंदाज करने की कार्यशैली से पार्षदों में नाराजगी बढ़ गई है. पिछले दिनों भाजपा मुख्यालय में संगठन के पदाधिकारियों संघ एक बैठक हुई थी, जिसमें मेयर और डिप्टी मेयर के बीच तकरार हुई. डिप्टी मेयर ने पिछले दिनों सांगानेर में हुए एक कार्यक्रम में पार्षदों को नरजअंदाज करने का आरोप लगाया.

ग्रेटर नगर निगम में एक वर्ष बाद 25 मई को होने वाली साधारण सभा की बैठक सत्ताधारी पार्षद ही अपनी ही पार्टी की मेयर के खिलाफ भौहें तान सकते हैं. मेयर सौम्या गुर्जर की कार्यशैली से अभी उन्हीं की पार्टी के कई पार्षद खुश नहीं है. बैठक के लिए जो एजेण्डा तैयार किया गया है, उसमें जो प्रस्ताव हैं वह संबंधित कमेटियों (फाइनेंस या अन्य) समितियां से मंजूर नहीं करवाए गए. इसके अलावा पार्षदों का विरोध डेयरी बूथों के आवंटन की प्रक्रिया को लेकर भी रहा, जिस पर मेयर बिल्कुल खामोश रही. जब साधारण सभा का एजेण्डा सार्वजनिक हुआ तो उसमें वित्त संबंधि प्रस्तावों को देखकर वित्त समिति की चेयरमैन और पूर्व कार्यवाहक मेयर शील धाबाई नाराज हुई.

डिप्टी मेयर पुनीत कर्णावत ने पत्र मेयर को लिखा

उन्होंने समिति से पास करवाए बिना प्रस्तावों को साधारण सभा में रखने का विरोध जताया और बैठक का बहिष्कार करने की चेतावनी दी. इस पर निगम प्रशासन बैकफुट पर आया और आयुक्त महेंद्र सोनी ने तीन प्रस्ताव संख्या 15, 16 और 19 को वापस लिया गया. जिनमें मानसरोवर जोन में ई हूपर, विद्याधर नगर और सांगानेर जोन में हूपर का प्रस्ताव शामिल है. डिप्टी मेयर पुनीत कर्णावत ने भी कल एक पत्र मेयर को लिखा और उसमें एजेण्डा में शामिल प्रस्तावों पर अपनी नाराजगी जताई.

कर्णावत ने लिखा कि आपने पार्षदों से साधारण सभा के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए थे जिसमें प्रशासन शहरों के संग अभियान, यूडीटैक्स, सीवरेज, डेयरी बूथ आवंटन, 150 वार्डों की कचरा व्यवस्था को दुरस्त करने संबंधित कई प्रस्ताव आए थे लेकिन उसके बाद भी इन प्रस्तावों को एजेण्डा में शामिल नहीं किया गया. ग्रेटर नगर निगम साधारण सभा की बैठक में अतिरिक्त एजेंडे को शामिल कराने की मांग उप महापौर पुनीत कर्णावत ने की है. इसके लिए उन्होंने महापौर सौम्या गुर्जर को पत्र लिखा है.

उन्होंने कहा कि जब प्रस्तावों को हटाया जा सकता है तो जोड़ा भी जाना चाहिए. उन्होंने डोर टू डोर कचरा संग्रहण और ओपन डिपो हटाए जाने का प्रस्ताव, सभी 150 वार्ड में 80 लाख रुपए की राशि के विकास कार्यों में आ रही समस्याओं का प्रस्ताव, यूडी टैक्स वसूली में आ रही समस्या और उसे गति देने का प्रस्ताव, स्ट्रीट लाइट, पार्कों के रखरखाव और अविकसित वार्डों में अभियान चलाकर नई स्ट्रीट लाइटें लगवाने का प्रस्ताव को शामिल करने की मांग की हैं. उधर नेता प्रतिपक्ष नगर निगम ग्रेटर राजीव चौधरी ने कहा की वार्ड के विकास कार्य और बजट का प्रस्ताव सबसे अंत में है. आयुक्त से मिलकर हमने मांग की है कि इस प्रस्ताव को सबसे पहले लाया जाए. शुरूआती प्रस्तावों को ग्रेटर की जनता से कोई लेना देना नहीं है.

सांगानेर विधायक अशोक लाहोटी ने ग्रेटर नगर निगम आयुक्त को लिखा पत्र

उधर सांगानेर से विधायक अशोक लाहोटी ने ग्रेटर नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखकर 25 मई को आयोजित होने वाली बोर्ड मीटिंग में जनहित के प्रस्तावों को शामिल करने की मांग की है. उन्होने कहा कि आमजन के नियमित्त जरूरी कार्य केवल नगर निगम से ही पड़ते हैं और बोर्ड मीटिंग की महत्वपूर्ण चर्चा में यदि जनहित से जुड़े जरूरी कार्य नहीं जोड़े जाएंगे तो बोर्ड मीटिंग का कोई औचित्य नहीं होता. लाहोटी ने मांग की है कि बोर्ड मीटिंग के प्रस्ताव पार्षदों से चर्चा कर उनके वार्ड के विकास कार्य और जरूरी कार्यों के अनुसार स्पष्ट बनाने चाहिए जिससे आमजन को सुविधा मिल सके.

ज्यादा प्रस्ताव और दिखावटी प्रस्तावों से आमजन को कोई फायदा नहीं होगा उल्टा नगर निगम की छवि का दुष्प्रचार होगा. उन्होंने कहा कि मानसरोवर, प्रताप नगर और सांगानेर में सीवरलाइन जर्जर है. स्ट्रीट लाइट और हाईमास्ट लाइट की जरूरत है. मानसरोवर में घर-घर कचरा संग्रहण में ई-हूपर का प्रयोग नहीं किया जाए. पार्कों के रखरखाव का भी कोई प्रस्ताव नहीं है. गौरतलब हैं की मेयर सौम्या गुर्जर और पार्षदों के बीच नाराजगी बढ़ने की सबसे बड़ी वजह मेयर की कार्यशैली है.

पिछले साल नवंबर में हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने जब पूर्व कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव मामले पर मेयर को अपना पक्ष रखने के लिए कहा तब मेयर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिली और उसके बाद डीएलबी डायरेक्टर को अपना लिखित में पक्ष दिया. उसके बाद से मेयर का सरकार के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर बढ़ गया और सरकार के हर कार्यक्रम में शामिल होने लगी. वहीं सरकार की कार्ययोजनाओं, कानून व्यवस्था या अन्य मुद्दों पर जब पार्षदों और संगठन ने विरोध प्रदर्शन, धरने दिए तो मेयर को खुद को उनसे दूर रखा.पिछले दिनों जब डेयरी बूथों के आवंटन की प्रक्रिया पर पार्षदों ने विरोध जताया तो मेयर ने इस मामले पर चुप्पी साध ली.

एक वर्ष बाद साधारण सभा की बैठक 

बहरहाल, ग्रेटर नगर निगम में एक वर्ष बाद साधारण सभा की बैठक होगी. जनहित के प्रस्ताव न होने से साधारण सभा की बैठक पर सवाल हो रहे हैं. सत्ताधारी पार्षद दबी जुबां कह रहे हैं कि साधारण सभा के नाम पर अधिकारियों के भुगतान को सही दिखाने का प्रयास है.इसकी शिकायत पार्टी पदाधिकारियों से की जाएगी लेकिन इतना जरूर हैं की बैठक में अपने ही अपनों के खिलाफ भौहें ताने मिलेंगे.

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