Jaipur News:साइबर अपराध तेजी से अपने पांव पसार रहा है और साइबर अपराध पर लगाम लगाना व अपराधियों पर नकेल कसना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.MOU के तहत अलग-अलग काम बांटे गए हैं और अलग-अलग जिम्मेदारियां तय की गई है.
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Jaipur News:साइबर अपराध तेजी से अपने पांव पसार रहा है और साइबर अपराध पर लगाम लगाना व अपराधियों पर नकेल कसना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. राजस्थान पुलिस के पास ना तो इतने संसाधन है और ना ही ऐसे ट्रेंड पुलिसकर्मी जो साइबर अपराध के खिलाफ प्रभावी तरीके से काम कर सके.
ऐसे में साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए अब राजस्थान पुलिस ने अनेक कंपनियों, शैक्षणिक संस्थान आदि के साथ एमओयू साइन किए हैं. MOU के तहत अलग-अलग काम बांटे गए हैं और अलग-अलग जिम्मेदारियां तय की गई है.
DG साइबर क्राइम डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा का कहना है कि साइबर क्राइम की सीमा किसी थाने, जिले या राज्य तक सीमित नहीं है. कोई भी ठग कहीं पर भी बैठकर साइबर ठगी कर सकता है. ऐसे में इस पर लगाम लगाने के लिए पुलिस विभिन्न स्टेकहोल्डर, आमजन, विभिन्न कंपनी, बैंक आदि के साथ मिलकर काम कर रही है.
साइबर क्राइम के लिए इंटरनेट और टेक्नोलॉजी का ठगों द्वारा बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में इससे लड़ने के लिए राजस्थान पुलिस को हर स्टेकहोल्डर की मदद चाहिए. दूसरों के साथ मिलकर और उनके सहयोग से ही साइबर अपराध पर लगाम लगाई जा सकती है.
साइबर अपराध में नित्य नए तरीके देखने को मिल रहे हैं और राजस्थान पुलिस के लिए यह एक नई चुनौती बनकर उभरा है. राजस्थान पुलिस की कैपेसिटी और ट्रेनिंग अभी उस स्तर पर नहीं पहुंची है कि वह अकेले अपने दम पर इन अपराधियों पर नकेल कस सके और साइबर अपराध पर पूरी तरह से लगाम लगा सके.
इसलिए राजस्थान पुलिस के लिए विभिन्न स्टेकहोल्डर से सहयोग लेना और उनके साथ पार्टनरशिप करना बेहद आवश्यक हो गया है. यही कारण है जिसके चलते विभिन्न शैक्षणिक संस्थान, कंपनी और यूनिवर्सिटी आदि के साथ राजस्थान पुलिस MOU साइन कर रही है.
ऑनलाइन बिजनेस करने वाली कई कंपनियों के नाम से भी साइबर ठगी की कई वारदातें सामने आती हैं. जिसे देखते हुए कई कंपनियों के साथ भी राजस्थान पुलिस ने एमओयू किया है. विभिन्न MOU और पार्टनरशिप करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य आमजन को साइबर अपराधों के प्रति जागरूक करना है.
DG साइबर क्राइम ने बताया कि जानकारी के अभाव में अनेक लोग साइबर ठगी का शिकार होते हैं यदि उन्हें पहले ही इस बारे में जागरूक कर दिया जाए तो वह समझ सकते हैं कि जो कॉल या मैसेज उन्हें प्राप्त हुआ है वह साइबर ठगों की एक चाल है. वहीं MOU और पार्टनरशिप का दूसरा मुख्य उद्देश्य साइबर वालंटियर तैयार करना है. साइबर वॉलिंटियर लोगों को जागरूक करने के साथ ही विभिन्न प्रकरणों के अनुसंधान में पुलिस की मदद करेंगे. इसके साथ ही पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग देने का भी काम करेंगे.
साइबर अपराध से लड़ने के लिए राजस्थान पुलिस खुद को मजबूत बना रही है और विभिन्न MOU व पार्टनरशिप के जरिए खुद को तकनीक के अनुसार अपग्रेड कर रही है. देखना होगा राजस्थान पुलिस का यह प्रयोग कितना सफल रहता है और साइबर अपराध पर किस तरह से नकेल कसी जाती है.