Rajasthan politics: पूनिया की संगठन के कार्यक्रमों दूरियां, मजबूरी या नाराजगी...आखिर क्या है वजह?
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Rajasthan politics: पूनिया की संगठन के कार्यक्रमों दूरियां, मजबूरी या नाराजगी...आखिर क्या है वजह?

Rajasthan politics: बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे सतीश पूनिया की संगठन के कार्यक्रमों दूरियां हो रही हैं. जयपुर बम बालस्ट के दोषियों के बरी होने के मामले में बीजेपी की ओर से दिए धरने में सतीश पूनिया नजर नहीं आए. 

Rajasthan politics: पूनिया की संगठन के कार्यक्रमों दूरियां, मजबूरी या नाराजगी...आखिर क्या है वजह?

Jaipur: उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया पिछले काफी समय से पार्टी की गतिविधियों से अलग-अलग दिखाई पड़ रहे हैं. जयपुर ब्लास्ट के विरोध में धरना हो या संभागीय बैठक, सतीश पूनिया शामिल नहीं हुए. पूनिया का पार्टी कार्यक्रमों से दूर रहने का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है. भले ही पूनिया दूसरे कार्यक्रमों में व्यस्त रहे हो लेकिन पार्टी कार्यकर्ता इसे मजबूरी या नाराजगी से जोड़कर देख रहे हैं. 

प्रदेश बीजेपी मे गुटबाजी की चर्चाएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश में चल रही गुटबाजी को खत्म करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है.  बावजूद उसके अभी भी बीजेपी में किसी न किसी कारण से गुटबाजी दिखाई दे रही है. पहले सतीश पूनिया और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच खेमा बंदी के चलते साढ़े तीन साल से ज्यादा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके समर्थकों ने संगठन के कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखी. 

अब जब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद से सतीश पूनिया को हटा दिया गया और उन्हें उस उपनेता प्रतिपक्ष बनाया गया  तो उसके बाद पूनिया ने एकाएक संगठन के कार्यक्रमों से कहीं नजर नहीं आ रहे हैं. कारण भले ही कोई भी हो लेकिन सतीश पूनिया की कार्यक्रमों से दूरी न केवल बीजेपी मुख्यालय बल्कि आम कार्यकर्ताओं में चर्चा का विषय बनी हुई है   

अध्यक्ष पद जाने से नाराज !
 

दरअसल बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने सतीश पूनिया के कार्यकाल को पूरा होने के बाद सांसद सीपी जोशी को बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया और सतीश पूनिया को अध्यक्ष पद से हटाते हुए उपनेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी. अध्यक्ष पद संभालने के साथ ही सीपी जोशी ने सभी को साथ लेकर चलने की दिशा में काम करते हुए एक-एक कर सभी बीजेपी के बड़े नेताओं से घर जाकर मुलाकात की . इसमें फिर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हो या पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी , अशोक परनामी हो या फिर सतीश पूनिया . सीपी जोशी ने सभी से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया.

लेकिन जब से सीपी जोशी अध्यक्ष बने हैं उसके बाद से संगठन की होने वाली किसी भी गतिविधि में सतीश पूनिया गैरहाजिर बीजेपी पार्टी में चर्चाओं का विषय बनी हुई है . बीजेपी के सियासी गलियारों में चर्चा है कि सतीश पूनिया उप नेता प्रतिपक्ष के पद से संतुष्ट नहीं है , ऐसे में उन्होंने अब संगठन से भी अपनी दूरी बनाई है .

इन कार्यक्रमों से बनाई दूरी 

जयपुर बम बालस्ट के दोषियों के बरी होने के मामले में बीजेपी की ओर से 1 अप्रैल को छोटी चौपड़ पर धरना दिया गया. धरने में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी सहित तमाम नेता कार्यकर्ता पदाधिकारी मौजूद रहे लेकिन सतीश पूनिया नजर नहीं आए. 

जो नेता पिछले साढ़े तीन से गायब थे वो भी नजर आए . बीजेपी के स्थानीय विधायक और सांसद के साथ-साथ तमाम पूर्व, वर्तमान विधायक शामिल हुए लेकिन इस धरने में सतीश पूनिया शामिल नहीं हुए. . इसके बाद बीजेपी मुख्यालय पर आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर संभागीय बैठक आयोजित हुई इस बैठक में भी तमाम बीजेपी के सांसद विधायकों के साथ संगठन के पदाधिकारी और संभाग के संगठन के नेता शामिल हुए , लेकिन इस संभागीय बैठक में भी सतीश पूनिया ने दूरी बनाई.

इतना ही नहीं 6 अप्रैल को बीजेपी के स्थापना दिवस के कार्यक्रम तक मे शामिल नही हुए. वहीं हाल ही में 2 दिन पहले जयपुर के रामलीला मैदान में बीजेपी की ओर से जयपुर ब्लास्ट मामले को लेकर सभा और कैंडल मार्च किया गया उसमें भी सतीश पूनिया की गैर मौजूदगी दिखाई दी .

गुटबाजी विधानसभा चुनाव में बन सकती है चुनौती 

सतीश पूनिया की गैरमौजूदगी इन दिनों बीजेपी के नेताओं में चर्चाओं का विषय है.  इतना ही नहीं जना आक्रोश यात्रा जिसे कभी अध्यक्ष रहते हुए सतीश पूनिया ने केवल शुरू की थी बल्कि परवान पर भी चढ़ाया था. वहीं दूसरी ओर. अब वह जब हर जिले में आयोजित हो रही है तो उसमें भी सतीश पूनिया शामिल नहीं हो रहे हैं . अध्यक्ष पद जाने और उप नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद अचानक से संगठन के कार्यक्रमों से पूनिया की दूरी साफ कह रही है कि किस तरह से प्रदेश बीजेपी में अभी भी सबकुछ सामान्य नहीं है.

पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके समर्थक नेताओं की दूरी गुटबाजी को दिखा रही थी , तो अब वसुंधरा खेमा तो साढ़े 3 साल बाद फिर से एक्टिव हो गया , लेकिन अब सतीश पूनिया अलग-थलग बने हुए हैं . पार्टी में चल रही यह गुटबाजी विधानसभा चुनाव में सत्ता वापसी का सपना देख रहे हैं बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के लिए बड़ी चुनौती है.

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