सोमवार को मानसरोवर फ्लड कंट्रोल सेल में निरीक्षण के लिए पहुंचीं मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर ने मिट्टी के कट्टों में अफसरों और ठेकेदार के भ्रष्टाचार को पकड़ लिया. मेयर ने संबंधित ठेकेदार को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं.
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Jaipur: आपदा में भी कमाई का अवसर ढूंढना है तो नगर निगम के अफसरों से सीखिए. किस तरह मिट्टी से पैसा कमाया जा सकता है, ये निगम के अफसरों और ठेकेदार से ज्यादा कोई नही बता सकता. नगर निगम ग्रेटर महापौर सौम्या गुर्जर ने जब फ्लड कंट्रोल रूम का निरीक्षण किया तो भ्रष्टाचार की परतें खुलती चली गईं. बारिश में गड्ढे भरने और जलभराव रोकने के काम आने वाले मिट्टी के कट्टो में कम मिट्टी भरकर अफसर और ठेकेदार अपनी जेब भरने का काम कर रहे हैं. जब मेयर ने फ्लड कंट्रोल रूम पर रखे मिट्टी के कट्टों का कांटे पर वजन कराया तो दंग रह गईं.
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30 की जगह सिर्फ 10 किलो मिट्टी भरी
जयपुर नगर निगम हेरिटेज के बाद अब ग्रेटर में भी मिट्टी के कट्टों में घोटाला सामने आया है. तेज बारिश और अतिवृष्टि जैसी आपदा में लोगों की मदद के लिए खोले गए फ्लड कंट्रोल सेंटर पर ही अधिकारी और ठेकेदार मिट्टी के कट्टों में धांधली कर रहे हैं. 25 से 30 किलो मिट्टी के कट्टो में 6 से 10 किलो मिट्टी भरकर अफसर और ठेकेदार अपनी जेब भरने का काम कर रहे हैं और डिमांड आने पर कम मात्रा में भरे मिट्टी के कट्टों को शहर में जगह-जगह पहुंचा रहे हैं. जयपुर नगर निगम ग्रेटर की मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर ने सोमवार को जब शहर के दो फ्लड कंट्रोल सेल का दौरा किया तो ये खुलासा हुआ. मानसरोवर के फ्लड कंट्रोल सेल का औचक निरीक्षण करने पहुंचीं मेयर ने वहां मिट्टी के कट्टे देखे तो चौंक गईं. उन्होंने जब मौके पर मौजूद कर्मचारियों-अधिकारियों से पूछा, कि इन कट्टों में कितनी मिट्टी है तो सभी चुप हो गए. इसके बाद मेयर ने तोलने वाला इलेक्ट्रिक कांटा मंगवाया और कट्टों की तुलाई करवाई तो वह देखकर दंग रह गईं. फ्लड सैल में भरे रखे मिट्टी के कट्टे 6.5 से 10 किलोग्राम वजन के ही निकले. जबकि नियमानुसार एक कट्टे में 25 से 30 किलोग्राम तक मिट्टी भरी होनी चाहिए. उसी के आधार पर नगर निगम ठेकेदार को भुगतान करता है. इस पूरे मामले के बाद मेयर ने संबंधित ठेकेदार को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए.
हेल्प लाइन नंबर तक नहीं
मानसरोवर फ्लड कंट्रोल सेल में निरीक्षण के लिए मौके पर पहुंची मेयर ने देखा तो वहां पहली लाइन में थोड़े साफ-सुथरे मिट्टी के कट्टे रखे थे, जिनमें 15 से 20 किलोग्राम तक मिट्टी भरी थी. पहली लाइन के पीछे जो कट्टे रखे थे वह सब 5 से 10 किलोग्राम के थे. मानसरोवर फ्लड सेल के इंचार्ज और सहायक अग्निशमन अधिकारी देवांग यादव से जब मेयर ने पूछा आप यहां क्या देखते हैं तो वह जवाब नहीं दे पाए. यही नहीं, मेयर ने जब वहां मौजूद कर्मचारियों से काम के वेरीफिकेशन की बात पूछी तो उसका भी कोई जवाब नहीं दे सके. मालवीय नगर फ्लड सेल पर पहुंचने के बाद जब मेयर ने वहां की स्थिति देखी तो ज्यादा खास नहीं थी. फ्लड कंट्रोल रूम पर वहां का हेल्प लाइन नंबर तक नहीं लिखे थे. उन्होंने अधिकारियों से यहां बड़े-बड़े अक्षरों में नंबर लिखवाने के निर्देश दिए. इसके अलावा उन्होंने वहां तैनात कर्मचारियों की उपलस्थिति और वहां मौजूद मडपंप और मिट्टी के कट्टों की संख्या आदि संसाधनों की उपलब्धता भी देखी.
बहरहाल, मिट्टी को ही निगम के अफसरों और ठेकेदारों ने नहीं छोड़ा, इसमे भी मिट्टी कम भरकर कमाई का रास्ता निकाल लिया. बाढ नियंत्रण कक्षों पर कट्टों में मिट्टी भरने से लेकर कटाव वाले स्थानों पर भेजने वालों कट्टों में हेराफेरी का बड़ा खेल चल रहा है. बारिश में कटाव रोकने के लिए काम में आने वाले मिट्टी के कट्टे आधे तो भरे ही जा रहे हैं.
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