Jaipur PHED : अलवर खैरथल एनसीआर प्रकरण में पारदर्शिता तार-तार हो गई, लेकिन जलदाय विभाग के जिम्मेदार चीफ इंजीनियर केडी गुप्ता को इस बात की जानकारी तक नहीं कि उनके दफ्तर से किसने फोन किया.
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Jaipur PHED News : अलवर खैरथल एनसीआर प्रकरण में पारदर्शिता तार-तार हो गई, लेकिन जलदाय विभाग के जिम्मेदार चीफ इंजीनियर केडी गुप्ता को इस बात की जानकारी तक नहीं कि उनके दफ्तर से किसने फोन किया.
6 मिनट पहले टेंडर को डेट बढ़ाने और पोर्टल नहीं डालने के मामले पूरी पारदर्शिता पार कर दिया.आखिरकार पूरे मामले में अब जलदाय विभाग अब क्या एक्शन लेगा. पढ़ें
अलवर के खैरथल एनसीआर की 55 हजार की आबादी को पिछले पांच साल से पीने का पानी नहीं मिल रहा, क्योंकि इसकी सबसे बड़ी वजह पीएचईडी (PHED) में अरबन सेल का खेल चल रहा. 6 मिनट पहले निविदा में नियमों को दरकिनार कर नियमों को ताक पर तारीख बढाई, इस मामले पर जब जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता शहरी केडी गुप्ता से जी मीडिया ने सवाल पूछा तो कहा कि मैंने टेंडर की तारीख बढ़ाने के लिए ऐन वक्त पर फोन नहीं किया.
मेरे दफ्तर से किसी और ने फोन किया तो मुझे जानकारी नहीं है.दरअसल जांच रिपोर्ट में तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य अभियंता पीसी मिढ्ढा ने कहा है कि निविदा तारीख बढाने के लिए चीफ इंजीनियर शहरी दफ्तर से मोबाइल से फोन किया गया था.
इसके अलावा SPPP पोर्टल पर 40 करोड के निविदा बिड को डाला नहीं गया, जिसकी सरकार को भेजी है. RTPP 2012 के नियम 23,42 और 2013 के 51 में किसी भी निविदा को पारदर्शिता के लिए पोर्टल पर डालना जरूरी. यदि ऐसा नहीं होता है तो RTPP 2012 के 41 में कार्रवाई का प्रावधान लेकिन खैरथल की इस निविदा में तत्कालीन एडिशनल चीफ इंजीनियर पीसी मिढ्ढा ने पोर्टल पर नहीं डाला.
जिस कारण दूसरी फर्में इसमें भाग नहीं ले पाई और मनपसंद फर्म कैलाश चंद चौधरी का टेंडर मिलना तय हो गया. वैसे तो नियमों के तहत टैंडर की दो दिन पहले ही डेट बढाई जा सकती है लेकिन यहां विशेष परिस्थितियों का हवाला देते हुए चंद मिनट पहले डेट बढाई. ऐसी कौनसी विशेष परिस्थिति थी जिसमें डेट बढ़ाई गई.
माना कि चीफ इंजीनियर ने टेंडर की तारीख बढाने के लिए फोन नहीं किया, लेकिन सवाल ये है कि चीफ इंजीनियर दफ्तर से सरकारी कार्य के लिए निर्देश दिए जा रहे, लेकिन चीफ साहब को भनक तक नहीं लगी. क्या चीफ इंजीनियर ने महीनों से इस बात की जानकारी जुटाना भी उचित नहीं समझा.
पारदर्शिता को भंग करने पर संबंधित अफसरों पर RTPP 2012 के 41 के तहत 6 महीने से 5 साल तक के कारावास के साथ जुर्माने का प्रावधान प्रावधान है.ऐसे में क्या पूरे मामले में पीएचईडी पारदर्शिता के साथ FIR दर्ज करवाएगा. क्या पारदर्शिता तार-तार करने वाले जिम्मेदारों पर ठोक कार्रवाई होगी ?