जयपुर की वाह रे सियासत! तड़प कर मर रही गाये लेकिन राजनीति चमकाने में जुटी मेयर
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जयपुर की वाह रे सियासत! तड़प कर मर रही गाये लेकिन राजनीति चमकाने में जुटी मेयर

Jaipur:  लंपी संक्रमण से तड़प-तड़प गाये कर मर रही है लेकिन हैरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर हवन यज्ञ के जरिए राजनीति चमकाने में जुटी हुई है.

जयपुर की वाह रे सियासत! तड़प कर मर रही गाये लेकिन राजनीति चमकाने में जुटी मेयर

Jaipur: जयपुर शहर में गौवंश की सुध लेने की बजाय शहरी सरकार अपनी सियायत को चमकाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं. हैरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर लंपी संक्रमण खत्म नहींं होने तक चप्पल और माला नहींं पहनने के प्रण के साथ हवन यज्ञ कर रही हैं. गुर्जर को उम्मीद हैं कि ये सबकुछ करने से लंपी बीमारी खत्म हो जाएगी. इसलिए आज फिर लंपी बीमारी के खात्मे और भाजपा कार्यकर्ताओं को सद्धबुद्धि के लिए यज्ञ रखा गया. जिसमें मेयर सहित पार्षदों ने आहूति दी.

सियासत चमकाने में जुटे रहनुमा

जयपुर शहर में लंपी वायरस के बढ़ते प्रकोप से गौवंश की मौत हो रही हैं. हिंगौनिया गौशाला में हर रोज शहर से लंपी वायरस से ग्रसित गायें गौशाला में पहुंच रही हैं. सडकों पर बीमारी से ग्रसित गौवंश की सुध लेने वाला कोई नहीं हैं. शिकायतों के बाद भी बीमार और मृतक गौवंशों को उठाने का काम नहींं हो रहा हैं. वायरस के बढ़ते प्रकोप से जयपुर शहर में रोज 55 से 60 तक गायों की मौत हो रही है. इनके इलाज के लिए जमीनी स्तर पर कुछ भी उपाय नहींं किए जा रहे हैं. इस बीच जिम्मेदार अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं. 

मेयर ने किया हवन

सोमवार को कांग्रेस और भाजपा पार्षद आमने-सामने होने से आधा-अधूरे रहे हवन को आज मेयर मुनेश गुर्जर और उनके पाषदों ने आहूतियां डालकर पूरा किया और लंपी वायरस को खत्म करने की कामना की. साथ में भाजपा पार्षद और कार्यकर्ताओं के लिए भी यज्ञ किया गया. मेयर मुनेश गुर्जर ने कहा कि भाजपाई प्रदर्शन करते लेकिन पूजा में बाधा तो नहींं पहुंचाते. भाजपा नेताओं पर आरोप लगाया है कि रामायण काल में जैसे राक्षस हवन में बाधा पहुंचाते थे. उसी तरह भाजपा के लोगों ने हवन में बाधा पहुंचाकर हवन वेदी को अपवित्र किया था इसलिए आज दोबारा हवन किया गया हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या ऐसा करने से लंपी का खात्मा हो जाएगा. दरअसल दोनों निगम से गायों को इलाज मिलना तो दूर, अभी तक पशु शाखा गोपालकों और जिन घरों में पशु पाले जाते हैं, उनका सर्वे तक नहींं कर पाई है.

डेयरी मालिकों को सता रहा डर

आम दिनों में गायों की मौतों की संख्या 35-40 के बीच ही थी. अब यह आंकड़ा 50-60 के ऊपर चल रहा है. बढ़ते लंपी प्रकोप को देखते हुए आशंका है कि मौत का सिलसिला 15 दिनों में और बढ़ेगा. क्योंकि सड़कों पर घूम रही और निजी गोपालकों की करीब 1400 से अधिक गोवंश लम्पी की चपेट में आ चुका है. इनको सही इलाज नहींं मिल पा रहा, सिर्फ हिंगोनिया व अन्य गोशालाओं में दवा दी जा रही है. यही नहींं हेरिटेज व ग्रेटर निगम की पशु शाखा ने पशु डेयरियों का सर्वे तक शुरू नहींं करवाया.उधर निजी डेयरियों की गायें भी लंपी वायरस की चपेट में हैं. डेयरियों के मालिक बीमार गायों का इलाज करवाने के बजाय सड़कों पर लावारिस छोड़ रहे हैं. डेयरी मालिकों को डर सता रहा है कि संक्रमित गाय से बाड़े में अन्य पशुओं में भी रोग फैल सकता है. कई इलाकों में संक्रमित गायें खुले में घूम रही हैं. 

स्थानीय लोगों ने कई बार इस बारे में नगर निगम के कंट्रोल को सूचना दी लेकिन कोई उन्हें उठाने नहींं आया. हेरिटेज और ग्रेटर में मृत गायों को उठाने के लिए अगल से टीमें लगाई गई हैं. पशुपालन ‌विभाग इसे सामान्य मौतें बताकर पल्ला झाड़ रहा है. उनका दावा हैं कि जयपुर की हिंगोनिया गोशाला में 14 हजार 500 से ज्यादा गायें हैं. कोरोना की तरह अलग रख इलाज करते हैं. डॉक्टरों की सलाह पर बीमार गोवंश की इम्युनिटी बढ़ाने की दवाएं शुरू कीं हैं. संक्रमित वाले वार्ड में दिन में दो बार सोडियम हाइड्रोकलोराइड और फिनाइल से फॉगिंग कराते हैं. भाजपा प्रवक्ता रामलाल शर्मा का कहना हैं कि हैरिटेज नगर निगम मेयर लंपी वायरस से मुक्ति को लेकर हवन का झूठा स्वांग रच रही हैं. जबकि हवन-यज्ञ जैसे काम मंदिर मठों में हो सकते हैं. निगम को चाहिए कि गायों की रक्षा के लिए वैक्सीनेशन और आइसोलेशन की व्यवस्था करें.

 

ठेके पर उठाए जाते हैं मृत पशु
ग्रेटर-प्रति पशु 700 रुपए दिए जाते हैं..मृत पशुओं को हिंगोनिया में दफनाया जा रहा है.पशु शाखा के अधिकारियों का कहना है कि 10 टीमें पशु उठाने में लगी हैं..पशु उपायुक्त, चिकित्सा अधिकारी और पशु सहायक पूरे काम की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. हेरिटेज-यहां भी मृत पशुओं को उठाने का कार्य ठेके पर है.मृत पशुओं की संख्या बढ़ी तो 4 से बढ़ाकर 6 टीमें कर दी गईं. प्रति मृत पशु को उठाने के 600 रुपए दिए जाते हैं.

बहरहाल, लंपी वायरस के बढ़ते कहर के बीच निगम प्रशासन की चिंता बढा दी हैं.निगम प्रशासन ने अपने संसाधन बढ़ाने में जुट गया है.एंबुलेंस से लेकर पिंजरे और कर्मचारियों की संख्या बढाई जा रही हैं. गायों के रम्भाने से जो घर, गांव आबाद थे वे सुनसान पड़े हैं. जैसे गांव नहींं श्मशान हों. जिनके घरों में गायों की मौत हुई है. वे लोग ऐसे लग रहे हैं जैसे उनके मुंह पर कोई हल्दी फेर गया हो.इन भयानक, खौफनाक हालात पर भी कोई न जागे तो फिर कब जागेगा? लम्पी के सामने लम्पट व्यवस्था से वैसे भी कोई उम्मीद करना बेमानी है.शहरी सरकार अब तो राजनीति करना बंद करो.

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