स्थाई लोक अदालत ने जेडीए को निर्देश दिए हैं कि वह परिवादी को अपनी आवासीय योजना में तीन माह के भीतर वर्ष 2010 में रही योजना की दर से भूखंड का आवंटन करे. इसके साथ ही जेडीसी उस समय निकाली गई योजनाओं के प्रभारी अधिकारी रहे अफसरों पर विभागीय कार्रवाई करे.
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Jaipur: महानगर की स्थाई लोक अदालत ने जेडीए को निर्देश दिए हैं कि वह परिवादी को अपनी आवासीय योजना में तीन माह के भीतर वर्ष 2010 में रही योजना की दर से भूखंड का आवंटन करे. इसके साथ ही जेडीसी उस समय निकाली गई योजनाओं के प्रभारी अधिकारी रहे अफसरों पर विभागीय कार्रवाई करे. स्थाई लोक अदालत ने यह आदेश ओमप्रकाश अग्रवाल के परिवाद पर दिए.
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अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मामले में परिवादी की कोई लापरवाही नहीं रही है. जेडीए की लापरवाही और सेवा दोष स्पष्ट तौर पर साबित है. परिवादी ने जेडीए से कई बार खुद को अन्य आवासीय योजनाओं में समायोजित करने का आग्रह किया, लेकिन जेडीए ने ना तो भूखंड का आवंटन किया और ना ही उसे मांगपत्र जारी किया.
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मामले के अनुसार, परिवादी ने जुलाई 2010 में जेडीए की अमृत कुंज आवासीय योजना में 25 हजार रुपए जमा करवाकर भूखंड आवंटित करने के लिए आवेदन किया था. इस दौरान 7 अक्टूबर 2010 को जेडीए ने आवंटन पत्र जारी करने के लिए चाहे गए सभी दस्तावेज भी परिवादी से प्राप्त कर लिए, लेकिन जेडीए ने उसे भूखंड आवंटित नहीं किया. मामला स्थाई लोक अदालत में पहुंचने पर जेडीए ने कहा कि हाईकोर्ट की रोक के आदेश से पहले अमृत कुंज योजना के पूरी राशि जमा करवा चुके 140 आवंटियों को पास की अन्य भूमि पर बसी दीनदयाल नगर प्रथम, योजना में 18 जनवरी 2019 को भूखंड आवंटित कर दिए थे. इस पर स्थाई लोक अदालत ने कहा कि परिवादी वर्ष 2010 से ही उसे मांग पत्र जारी करने और भूखंड आवंटित करने का आग्रह कर रहा है, लेकिन जेडीए ने जानबूझकर मांग पत्र जारी नहीं किया और इस गलती के लिए परिवादी को जिम्मेदार नहीं मान सकते. इसलिए जेडीए अन्य आवंटियों की तरह परिवादी को भी अन्य योजना में 2010 की दर के आधार पर तीन महीने में भूखंड आवंटित करे.
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