नवरात्रि में माता के दरबार में जात, जुड़ूला उतारने के लिए और दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहता है.
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Jhunjhunu: जिले के उदयपुरवाटी (Udaipurwati City) शहर से 15 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों के मध्य सिद्ध शक्ति पीठ माता शाकंभरी का प्राचीन मंदिर स्थित है. मां शाकंभरी के मंदिर की स्थापना सैंकड़ों वर्ष पूर्व में युधिष्ठिर के द्वारा की गई थी.
माता के मंदिर में ब्रह्माणी और रूद्राणी के रूप दो प्रतिमाएं विराजमान हैं. दोनों प्रतिमाओं के बीच में स्वत: प्रकट हुई एक छोटी मुख्य प्रतिमा विराजमान है. सिद्ध शक्ति पीठ होने से माता की ख्याति आज देश-विदेश में फैली हुई है.
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मंदिर के महंत दयानाथ महाराज अनुसार, भारत में मां शाकंभरी के प्राचीन दो ही मंदिर हैं. पहला प्राचीन मंदिर यहां शाकंभरी में तो दूसरा उत्तर प्रदेश के सहारणपुर में है. शाक की देवी के दोनों ही मंदिर हरियाली की वादियों में बसे हुए है. मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित दीनदयाल लाटा के अनुसार माता के हलवा पूरी का भोग लगता है. प्रतिदिन सुबह साढ़े पांच बजे और शाम को पौने सात बजे माता की आरती होती है. यहां आने वालों श्रद्धालुओं की माता मनोकामना पूर्ण करती हैं. जिस रूप में हम माता को देखते हैं, उसी रूप में वह हमें दिखाई देती हैं.
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नवरात्रि में माता के दरबार में जात, जुड़ूला उतारने के लिए और दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहता है. नवरात्रि में माता के दरबार में जगह जगह शतचंडी अनुष्ठानों का आयोजन होता है. मदन मोहनजी मंदिर में प्रतिवर्ष ज्योतिषाचार्य पंडित केदार शर्मा की ओर शतचंडी अनुष्ठान का अयोजन करवा जाता है, जिसमें देशभर से विशिष्टजन भाग लेने के लिए पहुंचते हैं.
कई बड़े नेता लगाते हैं हाजिरी
माता के दरबार में अब तक पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल, पूर्व उप राष्ट्रपति भैरूसिंह शेखावत, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, सपा के अमरसिंह, फिल्म स्टार मनोज कुमार, अजय देवगन, काजोल, तनिशा सहित सैंकड़ों अति विशिष्टजन नवरात्रि में मां शाकंभरी के दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं.
सूजी के हलवे का भोग लगाया जाता
चारों नवरात्रि में शेर पर सवार दुर्गा माता के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है. शाकंभरी देवी के बारे में कहा जाता है कि देवयुग में जब भीषण अकाल पड़ा तो माता ने स्वयं शाक (फल-फूल) के रूप में प्रकट होकर लोगों को भोजन दिया. तब से ही शाकंभरी देवी को भक्तों पर जल्दी कृपा करने वाली भी बताया जाता है. मां शाकंभरी को सूजी के हलवे का भोग प्रमुख रूप से लगाया जाता है.
Reporter- Sandeep Kedia