यज्ञ क्यों किया जाता है, धरती पर प्रथम हवन भगवान ब्रह्माजी ने किया, जानें क्या है इसके पीछे का रहस्य
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यज्ञ क्यों किया जाता है, धरती पर प्रथम हवन भगवान ब्रह्माजी ने किया, जानें क्या है इसके पीछे का रहस्य

Lord Brahma ji Performed First Yagya: अनादि काल से भारत वर्ष में यज्ञों का आयोजन होता रहा है, कभी देवताओं ने तो कभी दानवों ने तो कभी राजा महाराजाओं ने अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु समय समय पर यज्ञों का आयोजन किया है. धरती पर प्रथम यज्ञ भगवान ब्रह्मा जी ने राजस्थान के पुष्कर नाम स्थान पर किया था.

मानव और प्रकृति के कल्याण के लिये यज्ञ.

Lord Brahma ji Performed First Yagya: नवरात्रा की शुरुआत होते ही त्यौहार और पर्वों का उल्हास दिखने लगता है साथ ही विभिन्न प्रकार के धार्मिक आयोजनों की शुरुआत हो जाती है. जिसमे कई आयोजन तो मानव और प्रकृति के कल्याण के लिये किये जाते है. जिनमें सबसे बड़ा योगदान होता है यज्ञों का. सनातन धर्म में वैसे को कई प्रकार के अनुष्ठानों और पूजा पाठ का विधान है जिनमें से एक सबसे बड़ा और महत्त्वपूर्ण अनुष्ठान है यज्ञ.

अनादि काल से दानवों और राजा महाराजाओं द्वारा यज्ञों का आयोजन
अनादि काल से भारत वर्ष में यज्ञों का आयोजन होता रहा है, कभी देवताओं ने तो कभी दानवों ने तो कभी राजा महाराजाओं ने अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु समय समय पर यज्ञों का आयोजन किया है, वर्तमान समय में भी यज्ञों का बहुतायत में आयोजन किया जाता है, लेकिन आमजन के मन में यज्ञ को लेकर कई प्रकार के संशय और सवाल आते होंगे कि आखिर यज्ञ क्यों किए जाते है, इनके आयोजन से किसका भला होता है कैसे यज्ञ से देवता प्रसन्न होते है, मानव जीवन और प्रकृति दोनों के लिए यज्ञ फायदेमंद है. 

धरती पर प्रथम यज्ञ भगवान ब्रह्मा जी ने किये
उड़ीसा से आए महात्यागी संप्रदाय के महंत सरजुदास महाराज ने यज्ञ के इतिहास का वर्णन करते हुए बताया कि सनातन धर्म में यज्ञ का आयोजन विभिन्न प्रयोजनार्थ अनादि काल से किया जाता रहा है, धरती पर प्रथम यज्ञ भगवान ब्रह्मा जी ने राजस्थान के पुष्कर नाम स्थान पर किया था, यज्ञ में दी जाने वाली आहुतियों से देवता प्रसन्न होते हैं, जिससे उनके बल और तेज में वृद्धि होती है, सनातन संस्कृति में यज्ञ एक बड़ी महत्वपूर्ण पूजा पद्धति है, आज भी यज्ञ का आयोजन किया जाता है और आदि अन्नत तक यज्ञों का आयोजन होता रहेगा.

क्या है पौराणिक कथा
ब्रह्माजी ने पुष्कर में कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णमासी तक यज्ञ का आयोजन किया. शास्त्रानुसार यज्ञ पत्नी के बिना सम्पूर्ण नहीं माना जाता. पूजा का शुभ मुहूर्त निकला जा रहा था. सभी देवी-देवता यज्ञ स्थल पर पहुंच गए, लेकिन सावित्री को पहुंचने में देर हो गई. कहते हैं कि जब शुभ मुहूर्त निकलने लगा, तब कोई उपाय न देख ब्रह्माजी ने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री को प्रकट किया और उनसे विवाह कर यज्ञ पूरा किया था.

यज्ञ हमेशा मानव कल्याण और आपदा से बचाता है
बगरू के सावां की बगीची बालाजी मंदिर स्थित यज्ञ स्थली पर नव दिवसीय नव कुंडात्मक श्रीराम महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है. मंदिर महंत यज्ञ प्रेरक पुरुषोत्तम दास महाराज ने यज्ञ के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए बताया यज्ञ हमेशा मानव कल्याण और प्रकति में किसी प्रकार की आपदा ना आये जहां आज विज्ञान का युग जिससे बहुत से कार्य किये जाते है लेकिन जहां विज्ञान भी फैल होता है वहां यज्ञ के द्वारा मानव कल्याण का कार्य किया जाता है.

साकेतवासी बाबा लक्ष्मण दास महाराज और श्यामदास महाराज की सत्प्रेरणा से विगत एक वर्ष में मंदिर में अखंड रामायण पाठ का वाचन किया जाता है. इसी के वार्षिकोत्सव के रूप में विश्व कल्याण की कामना से यहां नव दिवसीय नव कुंडात्मक श्रीराम महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है, जिसमे अपनी सहभागिता निभाने देश - प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से संत महात्माओं का आगमन हुआ है, महानवमी को यज्ञ का समापन होगा, औरर महा प्रसादी का आयोजन भी किया जायेगा.

यज्ञ का आयोजन क्यों किया जाता है, इससे मानव जीवन पर क्या सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. यज्ञाचार्य वेदप्रकाश वेदाचार्य ने बताया कि यज्ञ में आहुति के रूप में हवन कुण्ड में डाली जाने वाली विभिन्न औषधियों से वातावरण शुद्ध होता है, समय पर बारिश अच्छी बारिश होती है, अच्छी बारिश से अन्न उत्पन्न होता है, जिससे प्राणी मात्र को जीवन यापन हेतु प्रयाप्त भोजन की उपलब्धता होती है, यज्ञकर्ता की मनोकामना पूरी होती है. जहा भी जिस क्षेत्र में यगोचार्य किया जाता है उस क्षेत्र में वातावरण का शुद्धिकरण होता है.

1973 में यजमान बनने का सौभाग्य मिला- रघुनाथ शर्मा
यज्ञ करने का सबसे ज्यादा लाभ इंसान को होता है, विगत 50 वर्षों से यज्ञ में भाग ले रहे बगरू के बड़ी खेड़ा निवासी रघुनाथ शर्मा ने अपनी भावना व्यक्त करते हुए बताया कि इसी यज्ञ स्थली पर बाबा लक्ष्मण दास महाराज के सानिध्य में पहली बार 1973 के आयोजित हुए यज्ञ में यजमान बनने का सौभाग्य मिला, तब से अब तक आसपास में आयोजित होने वाले कई यज्ञों में यजमान बनकर यज्ञ से पुण्यलाभ प्राप्त करने का मौका मिला, उन्होंने बताया कि यज्ञ करने से उन्हें भगवान का अनुशरण करने का मौका मिलता है साथ ही मानसिक संतुष्टि तो मिलती है साथ ही जीवन को कई मनोकामनाएं भी पूर्ण हुई है, परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है, पारिवारिक जीवन की बेहद शांति प्रिय व्यतीत हो रहा है.

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अनादि काल से लेकर आज तक असंख्य यज्ञों का बहुतायत में आयोजन किया जाता रहा है, शुद्ध अंतर्मन और निष्काम भाव से किए गए किसी भी अनुष्ठान और पूजा अर्चना का लाभ निश्चित रूप से मिलता है, यज्ञ में दी जाने वाली आहुतियो से पर्यावरण संरक्षण की राह आसान होगी वातावरण शुद्ध होगा तो प्राणियों को कई प्रकार की बीमारियों से रक्षा हो सकेगी, इंसान के लिए कोरोना ओर गौवंश में आई लंपी जैसी महामारी से मुकाबला करने की क्षमताओं में भी निश्चित रूप से सहायता मिलेगी.

Reporter-Amit Yadav

 

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