मुंबई से पहले दिल्ली में मॉनसून, राजस्थान में भी एंट्री, जानें क्यों बदला वैदर पैटर्न और वैज्ञानिकों की चिंता की वजह
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मुंबई से पहले दिल्ली में मॉनसून, राजस्थान में भी एंट्री, जानें क्यों बदला वैदर पैटर्न और वैज्ञानिकों की चिंता की वजह

Rajasthan Weather News : इस साल राजस्थान में गर्मी पड़ी ही नहीं, ये कहना पूरी तरह से ठीक ना हो लेकिन पूरी तरह से गलत भी नहीं है. मई का पूरा महीना बारिश ने राहत दी. फिर जून में थोड़ी गर्मी पड़ी लेकिन फिर पश्चिमी विक्षोभ और बिपरजॉय ने फिर से मौसम सुहाना कर दिया. अब मॉनसून (Monsoon)की देरी और परंपरागत पैटर्न में बदलाव वैज्ञानिकों को चौंका रहा है. इस बार मॉनसून केरल देर से पहुंचा. लेकिन मुंबई(Mumbai) से पहले मॉनसून दिल्ली(New Delhi) और उत्तर भारत में एंट्री ले चुका था. रविवार को गुजरात, पंजाब और राजस्थान को छोड़कर सभी राज्यों में मॉनसून पहुंच गया था.

मुंबई से पहले दिल्ली में मॉनसून, राजस्थान में भी एंट्री, जानें क्यों बदला वैदर पैटर्न और वैज्ञानिकों की चिंता की वजह

Rajasthan Weather News : इस साल राजस्थान में गर्मी पड़ी ही नहीं, ये कहना पूरी तरह से ठीक ना हो लेकिन पूरी तरह से गलत भी नहीं है. मई का पूरा महीना बारिश ने राहत दी. फिर जून में थोड़ी गर्मी पड़ी लेकिन फिर पश्चिमी विक्षोभ और बिपरजॉय ने फिर से मौसम सुहाना कर दिया. 

अब मॉनसून (Monsoon)की देरी और परंपरागत पैटर्न में बदलाव वैज्ञानिकों को चौंका रहा है. इस बार मॉनसून केरल देर से पहुंचा. लेकिन मुंबई(Mumbai) से पहले मॉनसून दिल्ली(New Delhi) और उत्तर भारत में एंट्री ले चुका था. रविवार को गुजरात, पंजाब और राजस्थान को छोड़कर सभी राज्यों में मॉनसून पहुंच गया था.

हालांकि अब राजस्थान में भी मॉनसून की एंट्री हो चुकी है. लेकिन वैज्ञानिक बदले पैटर्न से चिंता में हैं. हमारे देश में मॉनसून देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान रखता है. सर्दी-गर्मी-बरसात ये तीन मौसम ही हमारे देश की खूबसूरती हैं.

लेकिन इस बार मौसम बदला है. मौसम विभाग के डीजी एम मोहापात्रा के मुताबिक मानसून लाइन की धीमी रफ्तार चिंता का विषय रही है. मानसून लाइन का मतलब होता है कि पिछले कुछ सालों में किस तरह से मध्य भारत और दक्षिण से उत्तर भारत की ओर बादलों का कर्व रहा हो.

हालांकि कई बार यह कर्व बदल भी जाता है. जानकारों का कहना है कि मानसून की उत्तरी सीमा पिछले 50-60 साल के ट्रेंड को देखते हुए ही हमेशा तय की जाती है. ऐसे में मौसम विभाग के बनाये जाने वाले कर्व को मानसून पूरी तरह से तो कभी फॉलो नहीं करता लेकिन इस बार इसमें अंतर कहीं ज्यादा है.

मोहापात्रा के मुताबिक, बिपरजॉय की वजह से अरब सागर से उठने वाले बादल थोड़ा कमजोर हो गए थे. पर एक सप्ताह पहले बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बन गया था. जिससे मानसून जल्दी ही उत्तर भारत में आ गया.

जिससे  मुंबई में मानसून देरी से पहुंचा जबकि दिल्ली में मॉनसून ने एंट्री ले ली. इस बार मानसून के अलग पैटर्न की वजह बिपरजॉय चक्रवात को ही माना जा रहा है. 7 जून को यह कच्छ, सौराष्ट्र और पाकिस्तान के तट पर पहुंच गया था.

इसी तूफान के चलते  उत्तर प्रदेश में साइक्लोनिक सर्कुलेशन बना रहा और अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों जगहों पर अनुकूल परिस्थितियां भी बनी. इसके बाद उत्तरी पंजाब से हरियाणा, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, उत्तरपूर्व मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर ओडिशा की मानसून लाइन बन और बारिश शुरू हुई.

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