रेजिडेंट्स बांन्ड पॉलिसी समेत विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन रत हैं. हालांकि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने भी मरीजों को दिक्कतें ना हो, इसके लिए अतिरिक्त चिकित्सकों को तैनात किया है.
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Jaipur: राजस्थान के सबसे बड़े एसएमएस मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंटस डॉक्टर्स का आंदोलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. सोमवार को भी रेजिडेंट्स डॉक्टर्स ने रुटीन कार्य का बहिष्कार किया. इस दौरान एसएमएस अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित हो रही हैं हालांकि वार्ताओं का दौर जारी है लेकिन गतिरोध नहीं टूट रहा है.
रेजिडेंट्स बांन्ड पॉलिसी समेत विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन रत हैं. हालांकि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने भी मरीजों को दिक्कतें ना हो, इसके लिए अतिरिक्त चिकित्सकों को तैनात किया है.
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दरअसल रेजिडेंट चिकित्सक सरकार की बॉन्ड नीति का विरोध कर रहे हैं और कई बार सरकार के स्तर पर इन चिकित्सकों की वार्ता भी हुई लेकिन अभी तक सभी वार्ता बेनतीजा साबित हुई है जबकि सरकार इन चिकित्सकों को राहत देने की बात कह रही है. चिकित्सा शिक्षा विभाग का कहना है कि सरकार प्रदेश के विभिन्न जिलों में नए मेडिकल कॉलेज खोल रही है तो ऐसे में पीजी पूर्ण कर चुके चिकित्सकों की आवश्यकता है और वार्ता के दौरान बॉन्ड नीति में कुछ राहत देने की बात रखी है. बॉन्ड नीति के तहत पीजी पूर्ण करने के बाद चिकित्सक को 2 साल सरकारी सेवा में नौकरी देनी होगी या फिर 25 लाख रुपए देने होंगे. ऐसे में सरकार इन नियमों में कुछ राहत देने को राजी हो गई है लेकिन इसके बावजूद भी चिकित्सक अपनी हड़ताल खत्म नहीं कर रहे.
क्या कहना है चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया का
रेजीडेंट्स डॉक्टर्स के कार्य बहिष्कार के मामले को लेकर चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया का कहना है कि रेजिडेंट्स के साथ हमारी लगातार वार्ता हो रही है और वार्ता के दौरान बॉन्ड से जुड़ी जो परेशानियां उनके सामने आ रही है उनको सुन रहे हैं और हमारा पक्ष भी रख रहे हैं, गालरिया का कहना है कि जब चिकित्सक पीजी करने आते हैं तो उनसे बॉन्ड भरवाया जाता है कि पीजी पूर्ण होने के बाद उन्हें 5 साल अपनी सेवाएं प्रदेश में देनी होंगी लेकिन हमने बॉन्ड की अवधि 5 साल से घटाकर 2 साल कर दी है.
वैभव गालरिया का कहना है कि राज्य सरकार प्रत्येक जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने जा रही है तो ऐसे में नेशनल मेडिकल कमिशन के मापदंडों के अनुसार उन मेडिकल कॉलेजों में सीनियर रेजिडेंट और असिस्टेंट प्रोफेसर की जरूरत होती है, ऐसे में पीजी पूर्ण कर चुके चिकित्सकों की सेवाओं की आवश्यकता होती है. ऐसे में यदि किसी करने के बाद चिकित्सक प्रदेश से बाहर चले जाएंगे तो प्रदेश में चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पाएगा.
पीजी लेवल की पोस्ट पर अप्वॉइंट किया जाए
वैभव गालरिया का कहना है कि पीजी पूर्ण कर चुके चिकित्सकों ने मांग रखते हुए कहा था कि हमें पीजी लेवल की पोस्ट पर अप्वॉइंट किया जाए, जिसके बाद सरकार ने नियमों में शिथिलता देते हुए इन चिकित्सकों को सीनियर रेजिडेंट असिस्टेंट प्रोफेसर और फील्ड में जूनियर स्पेशलिस्ट लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं लेकिन इसके बावजूद चिकित्सक अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं, जबकि सरकार बॉन्ड के तहत राहत देने को तैयार है.
स्पेशलिस्ट चिकित्सकों के पद खाली पड़े हुए
वहीं, प्रदेश के सीएचसी, पीएचपी और जिला अस्पतालों में अभी भी स्पेशलिस्ट चिकित्सकों के पद खाली पड़े हुए हैं. ऐसे में सरकार का कहना है कि हम पीजी पूर्ण कर चुके स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की सेवाएं हर जगह मिल सके, इसे लेकर हम लगातार प्रयास कर रहे हैं. जबकि सरकार लगभग हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने जा रही है. ऐसे में यदि स्पेशलिस्ट चिकित्सक हमारे पास नहीं होंगे तो मरीजों का इलाज करना मुश्किल हो जाएगा.