गडकरी ने कहा कि विचारधाराओं का सम्मान करना ही हमारे देश के लोकतंत्र की आत्मा है. उन्होनें कहा कि गरीब के कल्याण के मुद्दे पर किसी में मतभेद नहीं हो सकते.
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Jaipur: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) कहते हैं कि आप किसी को नेत्रदान तो कर सकते हो, लेकिन विजन का दान नहीं किया जा सकता. गडकरी ने कहा कि जब तक राजनेता सकारात्मक और विकासवादी विजन के साथ आगे नहीं बढ़ेंगे तब तक लोकतंत्र में जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा जा सकता है.
संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने और लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों से जनता की क्या अपेक्षाएं होती हैं. इस विषय पर यह सेमिनार रखा गया. विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी (President Dr CP Joshi) की पहल पर आयोजित किए गए सेमिनार में नितिन गडकरी का परिचय कराते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने उनके सम्मुख कुछ यक्ष प्रश्न रखे. स्पीकर ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करना होगा. इसके लिए हमें क्या करना चाहिए? इस पर गडकरी का संबोधन महत्वपूर्ण है. आज विधायक और विधायिका की भूमिका बहुत गंभीर है.
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वहीं, स्पीकर जोशी ने कहा कि पिछले 18 महीने से कोविड (Covid-19) के चलते स्कूल बंद हैं, जिससे शिक्षा का बहुत नुकसान हुआ है. जोशी ने कहा कि बदली हुई व्यवस्था में अगर हम नीतियां नहीं बनाएंगे तो लोग हमसे क्या अपेक्षा रखेंगे? विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने संसदीय लोकतंत्र में बढ़ते पैसे के दखल पर अपनी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि पहले सरपंच को गांव में सरपंच साहब कहा जाता था लेकिन अब पैसा और संसाधन छोटे चुनाव में ज्यादा लग रहे हैं. ग्रामीण और शहरी निकाय के चुनाव में मतदान का प्रतिशत भी बढ़ रहा है, जबकि वही लोग विधानसभा और लोकसभा चुनाव में वोटिंग के प्रति कई बार अपना रुझान कम दिखाते हैं. यह लोकतंत्र की मजबूती के लिए अच्छा संकेत नहीं हैं.
इस दौरान प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया (Gulabchand Kataria) ने लोकतंत्र के बदलते परिदृश्य पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आज लोकतंत्र में पैसे का दखल बढ़ने लगा है. कटारिया ने कहा कि देश की आजादी को 70 साल से ज्यादा हो गए. ऐसे में लोकतंत्र का स्वरूप विशाल होना चाहिए था लेकिन अब तो समय के साथ लोकतंत्र बौना होता दिख रहा है. कटारिया ने कहा कि आज देश गौण जबकि पार्टी और व्यक्ति प्रमुख हो गए हैं और इस बात की पीड़ा उनके मन में भी है.
'संसदीय प्रणाली और जन अपेक्षाओं' के मुद्दे पर बोलते हुए गडकरी ने अपनी शुरुआत संगठन और विचारधारा की श्रेष्ठता से करते हुए कहा कि जब व्यक्ति और संगठन की बात आती है तो उसमें संगठन श्रेष्ठ है, जबकि संगठन और विचारधारा की बात आती है तो विचारधारा श्रेष्ठ है. गडकरी ने कहा कि विचारधाराओं का सम्मान करना ही हमारे देश के लोकतंत्र की आत्मा है. उन्होनें कहा कि गरीब के कल्याण के मुद्दे पर किसी में मतभेद नहीं हो सकते.
गडकरी ने कहा कि जनता को किसी विषय पर दोष देने से कुछ नहीं होगा, जितने अच्छे हम होंगे और जितना अच्छा सोचेंगे, लोकतंत्र भी उतना ही अच्छा होगा. गडकरी ने कहा कि हम कैसा बर्ताव करते हैं, इसी पर लोकतंत्र का भविष्य निर्भर करता है. उन्होंने कहा कि समस्याएं राजनीति में सबके सामने हैं. कई बार पार्टी में समस्या है तो कभी पार्टी के बाहर समस्या है. निर्वाचन क्षेत्र में समस्या है तो कभी उसके बाहर समस्या है लेकिन उस समस्या से कैसे निपटा जाए यह स्किल की बात है.
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गडकरी ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को समान अवसर मिलने चाहिएं और शोषण खत्म होना चाहिए. उन्होंने ई-रिक्शा शुरू करने के पीछे की सोच बताते हुए कहा कि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का बोझा खींचे, यह शोषण है और इसी शोषण को रोकने की सोच के साथ ई-रिक्शा की शुरुआत हुई. उन्होंने कहा कि ई-रिक्शा का मुद्दा कोर्ट में भी गया लेकिन हमने गरीब को राहत देने की कोशिश की. उन्होंने विकासवादी दृष्टिकोण की पैरवी करते हुए कहा कि आप किसी को नेत्रदान तो कर सकते हो लेकिन उसे विजन नहीं दिया जा सकता. उन्होंने कहा कि जब तक राजनेताओं में विजन नहीं होगा तब तक लोकतंत्र में वह जनता की आकांक्षाओं पर खरे नहीं उतर सकते.