उत्तर पश्चिम रेलवे पर स्टॉक आइटम के लिए प्राप्त बिलों को पहले से ही ऑनलाइन प्रोसेस किया जा रहा है और अब नॉन स्टॉक आइटम्स के लिए भी ऑनलाइन बिलिंग प्रक्रिया शुरू हो गई. विक्रेताओं को इन समस्याओं के समाधान के लिए स्टोर विभाग ने ऑनलाइन यूवीएएम पोर्टल की शुरूआत की है.
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Jaipur: उत्तर पश्चिम रेलवे की कार्यप्रणाली को उत्कृष्ट बनाने और पारदर्शिता बढाने के प्रयास किए जा रहे है. उत्तर पश्चिम रेलवे पर स्टोर विभाग द्वारा जारी सभी कॉन्ट्रेक्ट के लिए बिल की बिलिंग को 100% ऑनलाइन बिलिंग शुरू कर दिया है. उत्तर पश्चिम रेलवे पर स्टॉक आइटम के लिए प्राप्त बिलों को पहले से ही ऑनलाइन प्रोसेस किया जा रहा है और अब नॉन स्टॉक आइटम्स के लिए भी ऑनलाइन बिलिंग प्रक्रिया शुरू हो गई.
उत्तर पश्चिम रेलवे के सीपीआरओ कैप्टन शशि किरण ने बताया कि उ. प. रेलवे महाप्रबंधक विजय शर्मा के दिशानिर्देशों से उत्तर पश्चिम रेलवे की कार्यप्रणाली को उत्कृष्ट बनाने और पारदर्शिता बढाने के लिये निरन्तर प्रयास किए जा रहे है. स्टोर कॉन्ट्रेक्ट के सभी बिलों को ऑनलाइन बिलिंग में स्विच ओवर किया गया है. इस प्रणाली के शुरू होने से अब आपूर्तिकर्ता आईआरईपीएस मॉड्यूल पर अपने घर और कार्यालय से बिल जमा कर सकता है.
ऑनलाइन जमा किए गए बिलों को कंप्यूटर पर ऑनलाइन ट्रैक किया जा सकता है. इस प्रणाली के शुरू होने से आपूर्तिकर्ताओं के लिए पारदर्शिता और व्यापार करने में आसानी होगी.वहीं समय पर भुगतान से विक्रेता की संतुष्टि स्तर में भी बढोतरी के साथ-साथ G2B संबंधों में सुधार होगा.
यूवीएएम पोर्टल की शुरूआत
इसके अतिरिक्त स्टोर विभाग ने यूवीएएम (यूनिफाइड वेंडर अप्रूवल मॉड्यूल) लॉन्च किया है. अब तक वेंडर्स को मैनुअल आधार पर 7 अलग-अलग वेंडर अप्रूव करने वाली एजेंसियों को आवेदन करना कठिन और बोझिल प्रक्रिया थी. विक्रेताओं को इन समस्याओं के समाधान के लिए स्टोर विभाग ने ऑनलाइन यूवीएएम पोर्टल की शुरूआत की है. सभी वेंडर जो रेलवे में आईसीएफ, एमसीएफ, आरडीएसओ जैसी किसी भी वेंडर को मंजूरी देने वाली एजेंसी का अनुमोदन प्राप्त करना चाहते हैं.
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इस ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं. पोर्टल के माध्यम से आवेदनों की स्थिति ऑनलाइन जांच सकते हैं. मंजूरी देने वाली ईकाई द्वारा वेण्डर से वांछित जानकारी भी ऑनलाइन मांगी जा सकती है. विक्रेता आवश्यक जानकरी ऑनलाइन ही जमा कर सकते. इस प्रणाली में वेंडर को मंजूरी देने वाली एजेंसी को आवेदन की तारीख से 6 महीने के भीतर आवेदन का निपटान करना होगा. यह पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम है. इससे रेलवे में विक्रेताओं की संख्या बढेगी जिससे प्रतिस्पर्धा और राजस्व बचत बढ़ाने में मदद मिलेगी.
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