Organ Donation : राजस्थान बना देश का नंबर वन राज्य, 4 लाख लोगों ने Online रजिस्ट्रेशन कर लिया संकल्प, ये मुहिम लाखों लोगों की जान बचाएगा
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Organ Donation : राजस्थान बना देश का नंबर वन राज्य, 4 लाख लोगों ने Online रजिस्ट्रेशन कर लिया संकल्प, ये मुहिम लाखों लोगों की जान बचाएगा

Rajasthan number one in organ donation : राजस्थान ऐसा पहला प्रदेश है, जहां ड्राइविंग लाइसेंस पर अंगदान की इच्छा प्रकट करने का विकल्प दिया गया है. अब तक 4 लाख लोगों ने ड्राइविंग लाइसेंस के माध्यम से इस संकल्प को अपनाया है.

Organ Donation : राजस्थान बना देश का नंबर वन राज्य, 4 लाख लोगों ने Online रजिस्ट्रेशन कर लिया संकल्प, ये मुहिम लाखों लोगों की जान बचाएगा

Rajasthan number one in Organ Donation  : चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने कहा कि राजस्थान भामाशाहों और दानदाताओं का प्रदेश है. दान करना यहां की संस्कृति में रचा-बसा है.

राजस्थान के नागरिकों ने अंगदान का लिया संकल्प 

विगत दिनों में जिस तरह से यहां अंगदान को लेकर जनचेतना बढ़ी है. अंगदान की शपथ लेने में राजस्थान देश में अव्वल है. अंगदान करने में भी राजस्थान को अव्वल बनाने के लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा. सिंह चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित राज्य स्तरीय अंगदान एवं प्रत्यारोपण आमुखीकरण कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं.

ये मुहिम लाखों लोगों की जान बचाएगा

प्रदेश में अंगदान हेतु बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाया जा रहा है, ताकि अंगों की मांग और उपलब्धता के अंतर को न्यूनतम स्तर पर लाया जाए। हमारा यह भी प्रयास है कि अंगदान करने और प्रत्यारोण करवाने, दोनों की ही प्रक्रिया सरलतम हो. कार्यक्रम में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुधीर भण्डारी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी, जनस्वास्थ्य निदेशक डॉ. रवि प्रकाश माथुर, संयुक्त निदेशक डॉ. एसएन धौलपुरिया सहित अन्य मौजूद रहे.

4 लाख लोगों ने Online रजिस्ट्रेशन कर लिया संकल्प

- प्रदेश में 18 वर्ष से अधिक आयु के करीब 25 प्रतिशत नागरिकों ने अंगदान का संकल्प लिया, जो एक रिकॉर्ड

- प्रदेश में 7 प्रतिशत से अधिक बजट स्वास्थ्य सेवाओं को सृदृढ़ करने पर खर्च किया जा रहा

- राजस्थान आज मातृ मृत्यु दर, नवजात मृत्यु दर, टीकाकरण, संस्थागत प्रसव, स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सहित अन्य स्वास्थ्य मानकों को लेकर बेहतर स्थिति में

- आमजन को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए चिकित्सा संस्थानों का अभियान चलाकर निरीक्षण किया जा रहा

- पिछले तीन सप्ताह में 2500 से अधिक निरीक्षण किए गए

- नेशनल ऑर्गन एण्ड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (नोटो) के अनुसार देश में अंगदान का प्रतिशत बढ़ रहा

- अभी भी भ्रांतियों और मिथकों के चलते मृत्यु के उपरांत अंगदान करने वालों की संख्या बेहद कम

- कुल अंगदान में से मात्र 2 प्रतिशत अंगदान ऐसे हैं, जो मृत्यु उपरांत किए गए

- मृत्यु के बाद अंगदान को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि ब्रेन स्टेम डेड व्यक्ति के परिवारजनों की काउंसलिंग कर उन्हें प्रेरित किया जाए

- उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के अंगदान से 8 से 9 लोगों को जीवनदान मिलता

- प्रतिवर्ष 2 लाख नए लोग अंग प्रत्यारोण की प्रतीक्षा सूची में जुड़ जाते

चिकित्सा शिक्षा आयुक्त शिवप्रसाद नकाते ने कहा कि कुछ वर्षों पहले तक राजस्थान में अंगदान को लेकर जनचेतना नगण्य थी. अब स्थिति बदली है और लोग आगे आकर अंगदान के लिए संकल्प ले रहे हैं.

अंगदान के प्रति जागरूकता के साथ-साथ यह जरूरी है कि ऑर्गन फेल्योर की स्थिति नहीं बने। इसके लिए जरूरी है व्यक्ति स्वस्थ जीवन शैली और स्वस्थ खान-पान के लिए प्रेरित हो. प्रदेश में इसके लिए आज से शुद्ध आहार, मिलावट पर वार अभियान की शुरूआत की गई है.

इस अभियान के माध्यम से लोगों को मिलावट से बचने के लिए न केवल जागरूक किया जाएगा, बल्कि मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी.

नेशनल ऑर्गन एण्ड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (नोटो) के निदेशक डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि अब अंगदान के लिए राज्यों के अधिवास की शर्त को हटा दिया गया है. अब देश में कहीं भी अंग प्राप्त करने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है. ऑगर्न ट्रांसप्लांट के लिए पॉलिसी बनाई गई है.

अंगों के सुगम परिवहन के लिए हर एयरपोर्ट पर नोडल ऑफिसर की नियुक्ति की गई है. केंद्र सरकार का प्रयास है कि हर राज्य में कम से कम एक मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट सेंटर संचालित हो.

मोहन फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. सुनील श्रॉफ ने कहा कि राजस्थान में अंगदान को प्रोत्साहित करने के लिए सार्थक पहल हुई है. राजस्थान ऐसा पहला प्रदेश है, जहां ड्राइविंग लाइसेंस पर अंगदान की इच्छा प्रकट करने का विकल्प दिया गया है. अब तक 4 लाख लोगों ने ड्राइविंग लाइसेंस के माध्यम से इस संकल्प को अपनाया है.

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