डीओआईटी की ओर 350 करोड़ की लागत से तैयार डेटा सेंटर में खाली 50 फीसदी रैक को निजी कंपनियों लीज पर देकर कमाई का प्लान तैयार किया जा रहा हैं.
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Jaipur: तीन साल पहले 350 करोड़ की लागत से राजधानी में बने देश का सबसे बड़ा डेटा सेंटर को अब निजी कंपनियों को जगह देने की तैयारी की जा रही हैं. सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Information and Technology) सबसे पहले एक निजी बैंक से करार करने जा रहा है. यह डेटा सेंटर अगले 30 सालों तक के लिए प्रदेश के आईटी डाटा को सुरक्षित रखने की क्षमता से लैस है.
डीओआईटी की ओर 350 करोड़ की लागत से तैयार डेटा सेंटर में खाली 50 फीसदी रैक को निजी कंपनियों लीज पर देकर कमाई का प्लान तैयार किया जा रहा हैं. राज्य सरकार (Rajasthan Government) ने 3 साल पहले झालाना में शुरू हुए सबसे बड़े डेटा सेंटर में अब निजी कंपनियों को भी जगह देने की तैयारी कर ली है. इस डेटा सेंटर में 600 रैक हैं, इनमें से 70 फीसदी अब तक खाली पड़ी हैं और 30 प्रतिशत रैक सरकार के ही डेटा स्टोरेज में काम आ रही हैं. इनमें भामाशाह, चिरंजीवी, माइन्स के रवन्ना से लेकर अन्य डेटा स्टोर हैं. अब प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां भी फीस देकर सर्वर यूज कर सकेंगी और रैक ले सकेंगी. इससे राज्य सरकार को कमाई होगी.
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डीओआईटी के आयुक्त संदेश नायक के मुताबिक राज्य सरकार ने डेटा सेंटर की विभिन्न सेवाओं को अन्य राज्यों, केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों, स्टार्टअप और प्राइवेट सेक्टर को सशुल्क देने का निर्णय लिया है. सेंटर में बनी 300 रैक को लंबी अवधि और 15 से 20 साल के लिए लीज पर दिया जाएगा. सबसे पहले एक निजी बैंक से एमओयू करने की तैयारी है. बैंक की देशभर में 358 शाखाएं हैं, जिनसे जुड़ा डेटा यहां सर्वर पर स्टोर किया जाएगा.
डीओआईटी के आयुक्त संदेश नायक ने बताया की झालाना में बने डेटा सेंटर सेंटर 5.2 मेगावाट क्षमता का है, जिससे 30 साल तक के लिए प्रदेश के आईटी डेटा को सुरक्षित रखा जा सकता है. सरकार की वेबसाइटों-एप्लीकेशंस पर जितना भी डेटा अपलोड है. वह इसी सेंटर में रखा जाता है. सरकार में हर साल कई हजार टेराबाइट डेटा जनरेट होता है. करीब 25 हजार वर्ग फीट एरिया में फैले इस सेंटर में 600 रैक हैं. डेटा सुरक्षित रखने के लिए यहां 7 चरणों की सुरक्षा व्यवस्था है. यह देश का एकमात्र टियर-4 सरकारी डाटा सेंटर है. ग्रीन बिल्डिंग रेटिंग सिस्टम से प्रमाणित है. यह हाई एंड कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी पर काम करता है. नायक ने बताया की सेंटर में अब निजी कंपनियां भी अपने डेटा को सुरक्षित रखने के लिए सर्वर का यूज कर सकेंगी. निश्चित समय के लिए कंपनियों को लीज पर देने के लिए एमओयू किए जा रहे हैं. अब तक सिर्फ सरकार का डेटा यहां था. सबके सेक्शन अलग है इसलिए सुरक्षा संबंधी परेशानी नहीं होगी.
बहरहाल, सरकार की मंशा है कि राजस्थान भी बंगलुरु और हैदराबाद की तरह आईटी हब बने. राजस्थान सरकार का विश्व स्तरीय सुरक्षा से युक्त भामा शाह डाटा सेंटर मल्टीमोड ऑटोमैटिक सिस्टम पर तैयार गया हैं. 24 घंटे काम करने वाली इस प्रणाली का लाभ देश के अन्य राज्य ले सकेंगे. गोवा, उत्तराखंड और तमिलनाडु जैसे राज्य ने डेटा सेंटर की सुविधाएं लेने में रुचि दिखाई है. अधिकारियों का दावा है कि उनका यह प्लेटफार्म गूगल, अमेजॉन आदि से सस्ता और सुरक्षित है.